ऐसा सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हो सकता है जहां के एक प्रमुख केंद्रीय कारागार में दो हजार से अधिक कैदी भूख हड़ताल पर बैठ जाएं। हाल ही में आगरा की सेंट्रल जेल एक सप्ताह से भी अधिक समय तक कैदियों की सरपरस्ती में रही। हालांकि आंदोलनरत बंदियों की मांग वाजिब नहीं थी मगर फिर भी जेल प्रशासन कैदियों की चिरौरी करता नजर आया। कैदी चाहते थे कि सजा के चौदह साल पूरे कर चुके कैदियों को अविलंब रिहा किया जाए। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसएचएम रिजवी द्वारा मामले की सूचना शासन को दी गई और बताया गया कि स्थिति विस्फोटक है और कैदी आपे से बाहर हो सकते हैं। तब सरकार हरकत में आई और जेल राज्यमंत्री ने कैदियों को समझाया-बुझाया। प्रदेश में बंदियों के बेकाबू होने की यह पहली घटना नहीं है। यहां कैदियों के उत्पात का पुराना इतिहास है। कई बार ऐसा भी हुआ कि जेल कर्मियों को जान बचा कर भागना पड़ा। मुल्क में सर्वाधिक कैदियों से भरी प्रदेश की जेलों के लिए कैदी ही नहीं स्वयं जेल प्रशासन भी खुद एक बड़ी समस्या है और इसी का नतीजा है कि जेलों पर माफियाओं का कब्जा है।
हाल ही में देवरिया में कैदियों ने हंगामा कर बैरकों पर कब्जा कर लिया। इस पर पुलिस को गोली चलानी पड़ी। कुछ समय पहले वाराणसी में जेल अधिकारियों को कैदियों ने बंधक बना लिया था और जिला प्रशासन और पुलिस के भारी अमले ने दिन भर की मशक्कत के बाद ताकत दिखा कर उन्हें मुक्त कराया। ऐसा ही कुछ बदायूं में हो चुका है। मथुरा में कैदियों के दो गुटों के फसाद में दो कैदी मारे जा चुके हैं तो सहारनपुर की जेल में कैदियों के बीच चाकू चलने की खबर भी अधिक पुरानी नहीं है। जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर जेलों की तलाशी में शराब, बीयर, मोबाइल फोन, हथियार और नशीले पदार्थ भी अकसर मिलते हैं।
उत्तर प्रदेश की जेलों में कई बड़े सरगना बन्द हैं। जेलों में उनके राज काज की खबरें छन कर बाहर आती रहती हैं। पूर्वांचल की राजनीति में अपनी धमक रखने वाले सरगना मुख्तार अंसारी की राजनीति जेल के भीतर से ही संचालित होती है। उनकी पार्टी के सपा में विलय को लेकर मुलायम सिंह परिवार में हाल ही फूट होते-होते बची है। जाहिर है जेल में उनकी
शानो-शौकत देखते ही बनती है। पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी अपनी जेल में डीजे नाइट करवा ही चुके हैं। मुन्ना बजरंगी, बबलू श्रीवास्तव ने भी प्रदेश की जेलों में अपना जलवा खुल कर दिखाया है। पूर्व विधायक शेखर तिवारी जेल से लोगों को डरा रहे हैं तो चंदन सिंह सलाखों के पीछे से रंगदारी वसूलने के आरोपों से घिरे हैं। हाल ही में फैजाबाद जेल में बंद एक माफिया खान मुबारक ने जेल में ही अपना एक वीडियो बना कर खादी वालों और खाकी वालों को भुगत लेने की चेतावनी दे डाली है। प्रदेश के जेलों में बंद कुख्यात सुभाष ठाकुर, उदयभान डॉक्टर, ब्रजेश सिंह, सुशील मूंछ, अजय जडेजा और दलीप मिश्र गैंग की ओर से सलाखों के पीछे से अपना गिरोह संचालित करने की खबरें बाहर आती रहती हैं।
प्रदेश की जेलों के हालात की पोल हाल ही में स्वयं कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने खोली। उन्होंने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर दावा किया कि कैदियों को पैरोल देने के नाम पर पचास हजार रुपए वसूले जाते हैं। उनका दर्द इसी से पता चलता है कि उनके द्वारा स्वीकृत किए गए पैरोल के 235 में से मात्र 23 आवेदन ही आगे बढ़े।
रामूवालिया कहते हैं कि जेल बंदीगृह नहीं सुधार गृह हैं और इसी तर्ज पर वे इनका विकास चाहते हैं। उधर, जेल महानिदेशक गोपाल लाल मीणा दावा करते हैं कि प्रदेश की जेलों का जितना विकास अब हो रहा है इतना पहले कभी नहीं हुआ। बकौल उनके जेलों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है और प्रदेश की तमाम जेलों में जैमर, सीसीटीवी लगाने का काम शुरू हो गया है। जेलों से अपराधियों के अपनी गतिविधियां चलाने के बाबत वह कहते हैं कि शिकायत मिलने पर बंदी की जेल बदल दी जाती है। अलीगढ़ जेल के अधीक्षक विरेश राज शर्मा भी कुछ ऐसा ही दावा करते हैं और बताते हैं कि पुरानी जेलों की दीवारें ऊंची की जा रही हैं और इसके साथ ही खूंखार कैदियों पर भी विशेष नजर रखी जा रही है।
अधिकारियों के दावों से इतर यहां की जेलों का एक पहलू यह भी है कि प्रदेश की 64 जेलों में एक लाख 26 लोग बंद हैं जबकि इनकी क्षमता मात्र 66 हजार कैदियों की है। जेल प्रशासन में एक तिहाई से भी अधिक पद खाली पड़े हैं और जो कर्मी हैं उनमें से भी काफी लोग मंत्रियों के घरेलू कामों में लगा दिए गए हैं। हाल ही में पूर्व कारागार मंत्री राजेन्द्र चौधरी और प्रोटोकोल मंत्री अभिषेक मिश्र के घर जेल स्टाफ की तैनाती का मामला खूब चर्चाएं बटोर चुका है।
कैदियों को हुनरमंद बना रहा है हरियाणा जेल प्रशासन
हरियाणा के जेलों में अब कैदी ‘कामकाजी व्यक्तियों’ की तरह रखे जाएंगे। इसके लिए सूबे के तमाम जेलों को ‘छात्रावास’ की शक्ल दी जा रही है। जेल प्रशासन इस प्रयास में है कि सजा काटकर बाहर आने वाला किसी कैदी की तरह नहीं स्वरोजगार करने वाला बनकर निकले, ताकि वह दुबारा जरायम पेशा के दलदल में न फंसे। इन्हीं प्रयासों को परवान चढ़ाने के लिए जेल प्रशासन इन दिनों कैदियों को हुनरमंद बनाने में लगा है। गुड़गांव के भोंडसी मॉर्डन जेल को रोल मॉडल का रूप दिया गया है। यहां का कामकाज देखने अगल-अलग प्रांतों के जेल अधिकारियों के अलावा विदेशों से भी लोग आ रहे हैं। हाल में ईस्ट-वेस्ट सेंटर और केआईआईटी ग्रुप ऑफ कॉलेज की पहल पर 15 देशों के पत्रकारों का एक शिष्टमंडल भोंडसी जेल का निरीक्षण करने आया था।
हरियाणा जेल महानिदेशक यशपाल सिंह सिंघल कहते हैं, प्रदेश की तीन छोटी जेलों को छोड़कर बाकी सभी जेलों में योग एवं प्रार्थना आदि कराने के अलावा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के माध्यम से कैदियों का जीवन स्तर सुधारने और उन्हें हुनरमंद बनाने का प्रयास भी चल रहा है। देश की नंबर एक कार कंपनी मारुति ने जेल सुधार कार्यक्रम में दिलचस्पी दिखाई है। कई बैंकों ने तो हुनरमंद कैदियों के छूटने पर उन्हें स्वरोजगार स्थापित करने के लिए लोन देने का भी भरोसा दिया है।
जेल को ‘छात्रवास’ के रूप में विकसित करने के लिए उसमें सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। बैरकों की संख्या बढ़ाई जा रही है। सोनीपत में महिला कैदियों के लिए अलग जेल के निर्माण का कार्य चल रहा है। जेल महानिदेशक सिंघल कहते हैं, ‘ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि कैदी, जेल में जो भी कमाई करें, उसका एक हिस्सा उनके परिजनों तक भी पहुंचे।’
ऐसी तमाम सुविधाओं में अव्वल गुड़गांव के भोंडसी जेल अधीक्षक हरेंद्र सिंह श्योराण को इसके लिए राष्ट्रपति सेवा पदक मिल चुका है। गुड़गांव और प्रदेश के बाकी जेलों में चल रहे सुधार एवं पुनर्वास कार्यक्रमों की जानकारी लेने और जेल में अनुशासन तथा व्यवस्था बनाए रखने के गुर सीखने के लिए ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेपलपमेंट और इंडिया विजन फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास से 30 सितंबर तक गुड़गांव के जेल में एक पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें कई प्रांतों के 21 जेल अधिकारी शामिल हुए। ये जेल अधिकारी एक रिपोर्ट तैयार करेंगे जिसके माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर देश के बाकी जेलों में सुधार, मानवाधिकार और कैदियों के पुनर्वास पर मंथन और अमल का कार्यक्रम चलेगा।
मलिक असगर हाशमी