पटना हाईकोर्ट द्वारा बिहार में शराब पर रोक लगाने से संबंधित अधिसूचना को रद्द किए जाने के बावजूद राज्य सरकार ने नया शराबबंदी कानून लागू कर दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैबिनेट की बैठक में इस संकल्प के साथ नोटिफिकेशन जारी किया कि शराबबंदी के लिए बिहार सरकार कृतसंकल्प है। नए कानून में भी वही बातें हैं जो कि पुरानी अधिसूचना में थीं यानी मुख्यमंत्री ने कोई बड़ा बदलाव नए कानून में नहीं किया है। नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कहा कि शराबबंदी का असर बिहार में दिखने लगा है और लोगों के रहन-सहन में भी बदलाव आ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि शराबबंदी के लिए वे अडिग रहेंगे और इसके लिए लोगों में भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने वादा किया था कि राज्य में शराबबंदी कानून लाया जाएगा और शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके लिए पहले कई चरणों में शराबबंदी की बात कही गई थी लेकिन अचानक पांच अप्रैल, 2016 को सरकार ने अधिसूचना जारी कर पूर्णत: शराब पर प्रतिबंध लगा दिया। शराब पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई जिसको लेकर कई बार सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस बीच राज्य सरकार ने बिहार विधानसभा में बिहार मद्य निषेध उत्पाद विधेयक 2016 को पारित करवा लिया। बाद में यह विधेयक विधान परिषद में पारित करवाने के बाद राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया। राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने इसे दो अक्टूबर को लागू करने के लिए संकल्प लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि दो अक्टूबर की तिथि इसलिए तय की गई कि इस दिन शराबबंदी के नए कानून को लागू करना बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस बीच 30 सितंबर को पटना हाईकोर्ट ने पुरानी अधिसूचना को लेकर चल रही सुनवाई पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह अधिसूचना संविधान का उल्लंघन करने वाली है इसलिए इसे लागू नहीं किया जा सकता। पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से कुछ लोगों को खुशी तो कुछ को निराशा भी हाथ लगी, क्योंकि सरकार ने नई अधिसूचना जारी करने का मन बना लिया था। आनन-फानन में कैबिनेट की बैठक बुलाकर नई अधिसूचना जारी कर दी गई। इस बीच पटना हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का विकल्प भी खुला रखा है।
नए कानून के तहत जो प्रावधान किए गए हैं उसमें पुराने कानून की ही झलक है। नए कानून के तहत अगर किसी घर में शराब बरामद की जाती है, तो उस परिवार के सभी वयस्क (18 वर्ष से अधिक) सदस्यों को जेल भेज दिया जाएगा। इसमें बुजुर्ग और महिला सभी शामिल हैं। इसके अलावा अगर किसी गांव में दारू बार-बार पकड़ी जाती है तो पूरे गांव पर सामूहिक जुर्माना लगाया जाएगा। सभी जिलों में शराबबंदी कानून के तहत मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायालय स्थापित किया जाएगा और इसके जज को सेशन कोर्ट के जज के बराबर अधिकार दिए जाएंगे। जानकारों का मानना है कि नए कानून में भी वही खामियां हैं जिसके आधार पर पुराने कानून को हाईकोर्ट ने रद्द किया। अब नए कानून को लेकर भी विपक्ष कई सवाल उठा रहा है। अगर कोई व्यक्ति घर में नहीं है और आपसी विवाद में किसी व्यक्ति ने उसके घर में शराब की बोतल रख दी तो पूरे परिवार को सजा मिलेगी। इसी तरह से गांव में अगर शराब पकड़ी जाती है तो पूरे गांव पर सामूहिक जुर्माना होगा, जैसे मामलों को लेकर लोगों में आक्रोश हो सकता है। बहरहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे मामले में अडिग हैं और वे साफ तौर पर कहते हैं कि शराब का व्यापार कभी नैतिक नहीं रहा है। इस अनैतिक व्यापार से पांच हजार करोड़ रुपये के घाटे का तर्क दिया जा रहा है। लेकिन इस तर्क की बजाय यह कहा जाना चाहिए कि इसके बंद होने से दस हजार करोड़ रुपये की बचत हो रही है। नीतीश कहते हैं कि इस बचत से दूसरे व्यवसाय बढ़ेंगे और सरकार को उससे टैक्स मिलेगा और सरकार दूसरे कारोबारों को बढ़ाना चाहती है।