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भाजपा शासित नगर निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला

फर्जी प्रमाण पत्र, जूतों की खरीद, दुकान और भूखंड के आवंटन में खामियां हुईं उजागर, अगले साल होने वाले चुनाव में बनेगा मुद्दा
सिविक सेंटर जहां दक्षिणी व उत्तरी निगम के कार्यालय हैं

दिल्ली नगर निगम में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। लेकिन जिस तरह से भ्रष्टाचार के मामले अब सामने आए हैं उससे निगम की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली में तीन नगर निगम (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) हैं और तीनों ही निगमों पर भाजपा का कब्जा है। भ्रष्टाचार से मुक्ति की बात करने वाली भाजपा के कब्जे वाले इन निगमों में भ्रष्टाचार का ऐसा खुला खेल हो रहा है कि सीबीआई भी कई मामलों की जांच कर चुकी है। केंद्रीय सूचना आयोग ने भी भ्रष्टाचार के कई मामलों को गंभीरता से लिया है। आउटलुक के पास उपलब्ध दस्तावेज बताते हैं कि ऐसे-ऐसे मामलों में भ्रष्टाचार हुए हैं जो हमारी सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा हैं। जन्म प्रमाण-पत्र को लेकर उत्तरी नगर निगम की ऐसी लापरवाही सामने आई है जिसमें सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया गया। निगम ने 49 जन्म प्रमाण-पत्र बिना किसी जांच पड़ताल के जारी कर दिया।

फर्जी तरीके से जारी किए गए इस जन्म प्रमाण-पत्र के बारे में जब सूचना आयोग को जानकारी हुई तो आयोग ने इन जन्म प्रमाण-पत्रों को रद्द करने की सिफारिश कर दी है। दस्तावेज के मुताबिक उत्तरी नगर निगम में फर्जी तरीके से जन्म प्रमाण-पत्र बनाया जा रहा है। जब इस बात की शिकायत हुई तो इसमें पाया गया कुछ प्रमाण-पत्र बिना एसडीएम की जानकारी के बनाए गए हैं। जब इसकी पड़ताल की गई तो पाया गया कि 49 जन्म प्रमाण-पत्र पूरी तरह से फर्जी हैं। इस बात की शिकायत सीबीआई में हुई थी और सीबीआई अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान पाया कि उत्तर दिल्ली नगर निगम के उप पंजीयक कार्यालय में बड़े पैमाने पर फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र जारी किए जा रहे हैं।

सूचना के अधिकार के तहत जब इस बारे में जानकारी मांगी गई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि जब किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाएगा तो भ्रष्टाचार और गलत तरीके से काम करने की जमीन तैयार होगी ही। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी को जब उत्तरी नगर निगम ने देने में कोताही बरती तब सूचना आयुक्त ने पूरे मामले को संज्ञान में लिया। आजाद ने पूरे मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में गड़बड़ियां सामने आई हैं और यह मामला बहुत ही चौंकाने वाला है। आयुक्त के मुताबिक कथित तौर पर एसडीएम कार्यालय से जारी कागजों पर ही जन्म प्रमाण-पत्र जारी कर दिए गए। इनके लिए कोई सॉफ्ट कॉपी नहीं दी गई। जबकि दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर एसडीएम के सभी आर्डर उपलब्ध हैं। आजाद ने कहा कि जन्म प्रमाण-पत्र जारी करने में किसी भी प्रकार के नियम का पालन नहीं किया गया। फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए नियम भी तोड़े गए। आजाद ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि सूचना के अधिकार को और पारदर्शी बनाने की जरूरत है तभी भ्रष्टाचार कम होगा। जिस तरीके से फर्जी दस्तावेज के जरिए जन्म प्रमाण-पत्र बांटे गए हैं वह गंभीर अपराध है।

इसी तरह के एक अन्य मामले में भी केंद्रीय सूचना आयोग ने उत्तरी नगर निगम को लताड़ लगाई है। आयोग ने निगम को कहा है कि वैकल्पिक भूखंड लेने के बावजूद कारोबारियों ने रिहायशी इलाकों में कारोबार जारी रखा है और निगम कार्रवाई करने की बजाय उदासीन रवैया अपनाए हुए है। सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद ने आठ सितंबर 2016 को सुनवाई करते हुए कहा कि वैसे व्यवसायी जिन्हें आवेदन के बावजूद प्लाट आवंटित नहीं किया जा सका, उनकी समस्या तो समझ में आती है लेकिन वैसे व्यवसायी जो संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में प्लॉट आवंटन के बावजूद रिहायशी इलाके में कारोबार कर रहे हैं उनके खिलाफ निगम ने कार्रवाई क्यों नहीं की?

आयोग ने कहा कि इस वैकल्पिक भूखंड को प्राप्त करने के बावजूद अपने कारोबार को पूर्ववत रिहायशी इलाकों में चलाने वाले ऐसे व्यवसायियों की पहचान करना तथा उन पर नियमानुकूल कार्रवाई करना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि यह मामला जनहित से जुड़ा है और विशेषकर उस परिस्थिति में जबकि दिल्ली को विश्व स्तर की राजधानी बनाने की कवायद की जा रही है। गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी दो स्थानों से कारोबार चलाने वाले ऐसे व्यवसायियों के विरुद्ध अपना निर्णय दिया था। आयोग ने सिविल लाइन जोन तथा सिटी जोन के उपायुक्त को तीन माह के भीतर सही तथ्य उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए हैं। गौरतलब है कि सूचना के अधिकार के तहत उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा शहर के अंदर संचालित कागज रसायन और परिवहन गोदामों के संजय गांधी परिवहन नगर में किये गए भूखंड आवंटन तथा उसकी वस्तुस्थिति के बारे में जानकारी मांगी गई थी। लेकिन आवेदनकर्ता को किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए संबंधित अथॉरिटी को तलब किया और इस मामले पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय लिया। उल्लेखनीय है कि 1976 में संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में प्लॉट प्राप्त करने के लिए 1464 आवेदन प्राप्त हुए इसमें से 1407 प्लाटों का आवंटन भी हो गया। दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा अतिरिक्त जमीन उपलब्ध कराने के पश्चात साल 1984 में पुन: आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इस बार 1230 आवेदन प्राप्त हुए और 749 प्लॉट आवंटित किए गए। लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि आज भी रिहायशी इलाकों में गतिविधयां चल रही हैं। वैसे व्यवसायी जिन्हें आवेदन के बावजूद प्लॉट का आवंटन नहीं किया जा सका, उनकी समस्या तो समझ में आती है, लेकिन वैसे व्यवसायी जो संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में प्लॉट प्राप्त होने के बावजूद वे अपने पुराने स्थान तथा नये आवंटित स्थान, दोनों जगहों पर कारोबार कर रहे यह समझ से परे की बात है। ऐसे कारोबारियों की पहचान से संबंधित सर्वेक्षण भी निगम ने करवाने की कोशिश नहीं की। उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर की बात है। रिहायशी इलाके की समस्या लगभग पूर्ववत बनी हुई है और निगम का उदासीन रवैया भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है।

इसी तरह से कई अन्य मामलों का लगातार उजागर होना इस बात का प्रमाण है कि निगम में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ता जा रहा है। कई मामलों में तो अदालत ने भी टिप्पणी की है कि निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। कुछ समय पूर्व ही एक टीवी चैनल ने पेंशन घोटाले का खुलासा किया था। निगम के साथ-साथ नई दिल्ली नगर पालिका परिषद को भी केंद्रीय सूचना आयोग ने भ्रष्टाचार को लेकर आगाह किया है। आयोग ने परिषद को आगाह किया है कि सफदरजंग अस्पताल के पास फुटपाथ पर दुकानों का संचालन कैसे किया जा रहा है। क्योंकि परिषद की ओर से इस प्रकार की दुकानों का आवंटन नहीं किया गया है। फिर भी अस्पताल के आसपास बड़ी संख्या में फुटपाथ पर दुकानें चल रही हैं। दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने भी आगाह किया है। जंग ने कहा कि तीनों निगम और परिषद यह बताएं कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। जंग का कहना है कि भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वैसे भी अगले साल दिल्ली के सभी नगर निगमों में चुनाव होना है और भ्रष्टाचार को विपक्षी पार्टियां बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार है और निगम की कुछ सीटों पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की थी। उसके बाद से पार्टी ने भी नगर निगम चुनाव के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। दूसरी तरफ कांग्रेस भी भाजपा के खिलाफ पूरी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है।

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