आपने 2017 में एनडीए छोड़ी। क्या आम चुनावों से पहले फिर भाजपा से गठजोड़ करेंगे?
इस बार मेरी पार्टी एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ेगी। न तो भाजपा और न ही मोदी किसानों के मुद्दे को लेकर गंभीर हैं। फड़नवीस सरकार की किसान कर्जमाफी एक ढकोसला है। यही हाल मोदी के किसान हितैषी दावों और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के मामले में है।
कर्जमाफी योजना में क्या गलत है?
उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों राज्यों ने मामूली राशि ही माफ की है। शर्तों को इस तरह से लागू किया गया था कि अधिकांश उसके दायरे से बाहर हो गए। सरकार ने घोषणा के एक साल बाद राशि का भुगतान किया। इससे कई किसानों की बकाया राशि ब्याज के कारण बढ़ गई। इन सभी खातों को अब एनपीए घोषित कर दिया गया है। अब ऐसे सभी लोग फिर साहूकारों के पास जाने लगे हैं और कर्ज तथा आत्महत्या के उसी दुष्चक्र में फिर फंस जाएंगे।
संकट का समाधान क्या है?
साहूकारों और सूदखोरों को रेगुलेट करने का कोई नियम नहीं है। माइक्रो-फाइनेंस कंपनियां भी 40 प्रतिशत ब्याज ले रही हैं। दोनों को जल्द से जल्द रेगुलेट किया जाना चाहिए। सरकार को इन प्रमुख हितधारकों द्वारा कर्जमाफी के तरीकों पर भी सोचना चाहिए। बीजों, उर्वरकों और अन्य कृषि वस्तुओं पर जीएसटी लगाने से इनपुट लागत में वृद्धि हुई है जबकि ये पहले टैक्स के दायरे से बाहर थे।