उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों की कर्जमाफी पर मुहर लगा दी थी। पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए जारी अपने संकल्प-पत्र में कर्जमाफी का वादा किया था। कर्जमाफी का ऐलान करते वक्त सरकार ने दावा किया था कि 86 लाख किसानों के करीब 36 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए जाएंगे। लेकिन इस साल दो जनवरी तक मात्र 44 लाख तीन हजार किसानों के ही कर्ज माफ किए गए थे। यानी सरकार ने जो दावा किया था, उसके आधे किसानों को भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया। असल में सरकार ने कर्जमाफी के लिए जो गाइडलाइन बनाई, उसके कारण ज्यादातर किसान इसके दायरे से बाहर हो गए।
सरकार ने जिन किसानों के कर्ज माफ किए हैं, उनमें एक से 100 रुपये तक का लाभ पाने वाले किसानों की संख्या 4,814 है। 100 से 500 रुपये तक की कर्जमाफी का लाभ पाने वाले किसान 6,895 हैं। 500-1,000 रुपये के बीच जिन किसानों का कर्जा माफ हुआ, उनकी संख्या 5,553 और 10 हजार रुपये तक की कर्जमाफी वाले किसानों की संख्या 41,690 है। हालांकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का दावा है कि ऋण मोचन योजना के तहत औसतन एक किसान के 60 हजार रुपये माफ हुए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं, “कर्जमाफी की घोषणा के वक्त ही हमने सभी किसानों के कर्ज माफ करने की मांग की थी। समय निर्धारित होने के कारण बहुत सारे किसान योजना से वंचित रह गए और जो योजना के दायरे में आए भी उन्हें अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है। इसके कारण किसानों को नया कर्ज भी नहीं मिल पा रहा।” हालांकि इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मंत्रियों तक की ड्यूटी लगाई थी। लेकिन, जिन जिलों में किसानों और अफसरों ने आधार से खाते लिंक कराने में रुचि नहीं ली, वहां ज्यादातर किसान इसका फायदा नहीं ले पाए। योजना में पहले कोऑपरेटिव सोसायटी के किसानों की कर्जमाफी के लिए मानक ही निर्धारित नहीं थे। इसकी शिकायत जब शासन स्तर तक पहुंची तो सोसायटी के किसानों को भी कर्जमाफी का लाभ देने के निर्देश दिए गए। लेकिन, सोसायटी के ज्यादातर किसानों के आधार कार्ड ही नहीं बने थे और जिला सहकारी बैंकों में खाते भी नहीं थे। नतीजतन, जिला सहकारी बैंकों के 34 हजार 52 किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिल पाया और 31 करोड़ 25 लाख रुपये की धनराशि फेल्ड ट्रांजेक्शन तथा अन्य कारणों से वापस हो गई।
बड़ी संख्या में किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिलने की शिकायत पर करीब छह माह पहले ऑनलाइन शिकायत पोर्टल की शुरुआत की गई और कर्जमाफी की आखिरी तिथि को बढ़ाया गया। बाद में पोर्टल पर शिकायत करने वाले कोऑपरेटिव सोसायटी के 43 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ मिला।
कृषि विभाग के निदेशक (सांख्यिकी) डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि 20 लाख किसान ऐसे हैं, जिनके पास आधार कार्ड नहीं हैं या उन्होंने रीपेमेंट कर दिया था, उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला है। विभाग की ओर से अभी भी किसानों को ऑफलाइन शिकायत की सुविधा दी जा रही है। राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आउटलुक को बताया, “बैंकों ने किसान क्रेडिट कार्ड और कर्जमाफी के लिए बनाए गए नियमों के हिसाब से जल्दबाजी में 86 लाख किसानों की संख्या बताई थी। करीब 45 लाख किसानों को लाभ मिला है। यदि 86 लाख किसान भी अर्हता का पालन करेंगे, तो हम उनका भी कर्ज माफ करेंगे। शर्तें पूरी करने वाले किसानों को 31 मार्च तक लाभ दिया जाएगा।”