छत्तीसगढ़ में अभी तो कर्जमाफी आधी-अधूरी ही है। किसानों के 11 हजार करोड़ रुपये में से सहकारी और ग्रामीण बैंकों के 6,100 करोड़ रुपये के अल्पकालीन ऋण माफ करने का फैसला मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही भूपेश बघेल ने किया। इसमें से 1,280 करोड़ रुपये किसानों के खाते में जमा हो चुके हैं। फरवरी तक 4,820 करोड़ रुपये माफ कर किसानों को ऋण खात्मे का प्रमाण-पत्र दे दिया जाएगा। लेकिन सरकारी बैंकों के ऋण माफ करने के बारे में बघेल सरकार अब तक कोई फैसला नहीं कर पाई है।
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने किसानों के सभी कर्जे माफ करने का वादा किया था। लेकिन, राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे का कहना है, “कांग्रेस ने दीर्घकालीन ऋण माफ करने की बात नहीं की थी। फिर भी एक निश्चित सीमा तक सरकारी बैंकों से लिए गए कर्ज माफ करने पर भी विचार चल रहा है।” उन्होंने आउटलुक को बताया, “सरकार ऋणमाफी के साथ किसानों का धान प्रति क्विंटल 2,500 रुपये में खरीदने के अलावा पिछले दो साल का बकाया बोनस भी देगी। सरकार इसके लिए 16,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में कर रही है।”
राज्य में 37 लाख 65 हजार किसान हैं। 15,480 किसानों ने खेती के लिए सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों से ऋण ले रखा है। इनमें करीब पांच लाख किसान डिफॉल्टर की श्रेणी में हैं। 31 नवंबर 2018 तक लिए गए अल्पकालीन ऋण माफ किए जाएंगे। एवज में सरकार बैंकों को राशि देगी। सबसे ज्यादा 3,093 करोड़ रुपये के ऋण लघु और सीमांत (पांच एकड़ जोत से कम) किसानों के माफ होंगे। सहकारी बैंकों में किसानों को नकद लोन 60 फीसदी ही मिलता है, 40 फीसदी लोन के बदले खाद और बीज लेना पड़ता है। लोन की अधिकतम सीमा तीन लाख रुपये तय है। इससे अधिक का लोन सरकारी बैंकों से ही मिलता है। वैसे, छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले ही धान खरीदी शुरू हो गई थी। धान खरीदी के साथ ही सहकारी बैंकों ने किसानों से कर्ज की राशि काट ली थी। धान खरीदी के साथ वसूली गई 1,280 करोड़ रुपये के अल्पकालिक ऋण की राशि वापस कर दी गई है।