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रामलीलाओं में फिल्मी जलवा

करोड़ों रुपये के बजट की हाईटेक रामलीलाओं में इस दफा हनुमान सचमुच उड़ते हुए लंका पहुंचेंगे और इंद्र देवता का दरबार भी हवा में लगेगा।
फिल्म कलाकार क्लाउडिया रामलीला में भूमिका निभाने के लिए तैयार होती हुईं

दिल्ली के लाल किला ग्राउंड में आयोजित लव-कुश रामलीला की स्टेज के पीछे ग्रीन रूम में कुछ कलाकारों का मेकअप चल रहा है। बीच-बीच में हंसी-ठट्ठा भी हो रहा है। विश्वामित्र और रावण ठेठ पंजाबी में एक-दूसरे का हाल पूछ रहे हैं लेकिन मेकअप के चलते ज्यादा बात नहीं कर पाते हैं। ग्रीन रूम में आने-जाने वाले इन दोनों कलाकारों को गौर से देखने के लिए एक दफा जरूर रुकते हैं। वजह है कि विश्वामित्र की भूमिका बिग बॉस में काम कर चुके बॉलीवुड कलाकार राजा चौधरी और रावण की भूमिका फिल्म संस्थान पुणे के अध्यक्ष और महाभारत में युधिष्ठर की भूमिका निभा चुके गजेन्द्र चौहान निभा रहे हैं। यही नहीं इस दफा लव-कुश रामलीला को विश्व की सबसे बड़ी रामलीला बताया जा रहा है। परंपरागत रामलीलाओं से हटकर यह बेहद हाईटेक और ग्लैमरस रामलीला है जिसमें इस दफा बॉलीवुड के 60 कलाकार मुख्य भूमिकाओं में हैं।

राजा जनक की भूमिका में फिल्म एक्टर रजा मुराद हैं। अपनी दमदार आवाज से उन्होंने दर्शकों को अपना मुरीद बना लिया है। रजा मुराद बताते हैं कि रामायण परिवार, देश और समाज के लिए बेहतरीन संदेश है। इसी प्रकार पार्वती की भूमिका में टीवी सीरियल कलाकार एंजेल हैं। उनका कहना है ‘मैं रामलीला में पहली दफा काम कर रही हूं। इस रामलीला का जितना बड़ा नाम है चुनौती उतनी ही बड़ी है।’ इस दफा रामलीलाओं में बड़े कलाकारों को लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया गया। बजट की परवाह किए बिना उसे चर्चित रामलीला का दर्जा दिलवाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई। बड़ी रामलीलाओं का बजट एक करोड़ रुपये से ऊपर है। राजा चौधरी बताते हैं कि उनके पास रामलीला में काम करने के लिए फोन गया था। उन्हें लगा कि बचपन से जिस रामलीला को देख रहे हैं उसमें काम करना चाहिए। चौधरी के अनुसार बड़े कलाकारों के काम करने से रामलीला में प्रोफेशनलिज्म आएगा। न केवल बॉलीवुड कलाकार बल्कि खिलाड़ियों को भी मौका दिया गया है। अहिरावण की भूमिका निभा रहे खिलाड़ी जगदीश कालीरमण बताते हैं कि नामी कलाकारों के काम करने से लोगों के अंदर रामलीला देखने की ललक और बढ़ेगी। वह देखना चाहेंगे कि उनके चहेते कलाकार स्टेज पर कैसे दिखाई देते हैं। 

कलाकार ही नहीं बल्कि रामलीला को हाईटेक बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई। हवा में इंद्र देवता का दरबार झूल रहा है। इंद्र देवता के चारों ओर अप्सराओं का घेरा है। जिनकी झक सफेद पोशाकों में लाइट्स जल रही हैं। स्टेज पर 7डी तकनीक के जरिये इंद्र का दरबार भी हवा में दिखाई दे रहा है। पूरी दिल्ली में आयोजित होने वाली रामलीलाओं के सचिव अर्जुन कुमार का कहना है कि ऐसा पहली दफा हुआ है कि किसी रामलीला में अप्सराओं के लिए लाइट्स वाली पोशाक का इस्तेमाल किया गया हो। दरअसल इस पोशाक में बैटरी के जरिए लाइट्स जलाई गई हैं। इंद्र का दरबार हवा में क्रेन के जरिए ऊपर खींच कर लगाया गया है। क्रेन के तार और क्रेन ओझल हैं, जिसकी वजह से सारा नजारा अद्भुत लग रहा है।

दिल्ली के लाल किला में ही आयोजित होने वाली 59 वर्ष पुरानी नवश्री धार्मिक लीला कमेटी की रामलीला में राम का किरदार सोनी टीवी के जय हनुमान सीरियल के कलाकार प्रियोन कटारिया निभा रहे हैं। कमेटी के मुख्य सदस्य राहुल शर्मा का कहना है कि इस दफा रामलीला में खास यह रहेगा कि जब हनुमान लंका जाते हैं तो सचमुच में उन्हें उड़ते हुए दिखाया जाएगा। इसी प्रकार जब हनुमान अपनी पूंछ का आसन बनाते हैं तो सचमुच में ही पूंछ का आसन बनता दिखाया जाएगा और वह रावण के सिंहासन के बराबर होगा। इस रामलीला को फेसबुक से लाइव दिखाया जा रहा है। इसी प्रकार दिल्ली में आईपी एक्सटेंशन में होने वाली इंद्रप्रस्थ रामलीला तीसरे नंबर पर आती है। इसके प्रचार मंत्री राजीव गुगलानी बताते हैं कि इंद्रप्रस्थ रामलीला की खासियत है कि इसमें काम करने वाले सभी कलाकार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के कलाकार हैं। सभी कहीं न कहीं या तो एक्टिंग कर रहे हैं या पढ़ा रहे हैं। गुगलानी बताते हैं कि आईटी युग का असर जब हर क्षेत्र में दिखाई दे रहा है तो रामलीलाएं कैसे पीछे रह सकती हैं। बेशक यह बदलाव रामलीला से मेल नहीं खाता है लेकिन प्रचार और आकर्षण के लिए प्रत्येक रामलीला कमेटी ऐसा कर रही है। कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। गुगलानी के अनुसार इंद्रप्रस्थ रामलीला को रोजाना यूट्यूब पर देखा जा सकता है। पीतमपुरा की संपूर्ण रामायण कमेटी के राजेन्द्र मित्तल का कहना है कि उनकी रामलीला में दिल्ली नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्र काम कर रहे हैं। इसके अलावा रामलीला में एलईडी का प्रयोग किया जा रहा है।    

इन रामलीलाओं को देख कर लगता है कि वह जमाना धीरे-धीरे जा रहा है जब रामलीला में आसपड़ोस के नौकरीपेशा लोग और दुकानदार किरदार निभाते थे। वे व्रत करते थे और फलाहार रहकर, चटाई पर सोते थे। पूरे विधि-विधान से धार्मिक कार्य निभाते थे। अब प्रत्येक रामलीला कमेटी की कोशिश है कि उनकी रामलीला में नामी और मंझे हुए कलाकार किरदार निभाएं। वह तकनीक के इस्तेमाल में कहीं पीछे नहीं हैं। चाहते हैं कि रामलीला में बतौर मुख्य अतिथि नेता आएं या नामी-गिरामी हस्तियां। रामलीलाओं में कंफेटीज का प्रयोग हो रहा है। बाकायदा इनके ड्रेस डिजाइनर मुंबई से आ रहे हैं।

लव-कुश रामलीला के आयोजकों में से एक अशोक अग्रवाल दिल्ली की रामलीलाओं से 38 वर्षों से जुड़े हैं। वह बताते हैं कि हमारे पास अमेरिका और कनाडा जाकर रामलीला करने के ऑफर हैं। हम चाहते हैं कि इस दफा रामलीला के जरिए हम रामायण का संदेश घर-घर पहुंचा सकें। हम बता सकें कि भरत और लक्ष्मण जैसा भाई बनें, हनुमान जैसा मित्र बनें। बीते वर्ष दिल्ली की रामलीलाओं में बाकायदा एलईडी का प्रयोग किया गया था। इसके लिए बाकायदा स्टेज की लंबाई के अनुसार सॉफ्टवेयर विकसित करवाया गया।

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो उसका रामलीलाओं में उत्साह भी साफ दिखाई दे रहा है। हालांकि राजनीतिक सवाल का जवाब कोई भी कलाकार या आयोजक देने को तैयार नहीं है। राजीव गुगलानी का कहना है कि रामलीलाओं को चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस हो दोनों बराबर भुनाते रहे हैं। राजा चौधरी भी यही कहते हैं कि वह राजनीतिक स्तर पर नहीं बल्कि बतौर कलाकार रामलीला में भाग ले रहे हैं। गौरतलब है कि दिल्ली की एक प्रमुख रामलीला में कांग्रेसी नेता राज बब्बर के बेटे आर्य बब्बर मुख्य किरदार निभा रहे थे लेकिन राजनीतिक विवाद होने पर आर्य को पीछे हटना पड़ा।

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