Advertisement

सरकार और संगठन में पड़ी दरार

सांसद और विधायक मौका मिलते ही सरकार की करते हैं आलोचना
अधिकारियों के साथ बैठक करते मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर

मनोहरलाल खट्टर सरकार और भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई में सब कुछ ठीक नहीं है, क्योंकि विरोध में आम कार्यकर्ता ही नहीं सांसद और विधायकों के सुर भी सुनाई देने लगे हैं। मौका मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर मंत्रियों की खिंचाई करने से नहीं चूकते। कुरुक्षेत्र से सांसद राजकुमार सैनी ने तो पार्टी और सरकार के खिलाफ बजाप्ता मोर्चा ही खोल दिया है, जबकि करनाल से सांसद अश्विनी चोपड़ा की सरकार एवं पार्टी से बिलकुल नहीं बनती। सार्वजनिक मंचों से वे सरकार एवं पार्टी की कार्यशैली पर जब तब उंगली उठाते रहते हैं। अभी भाजपा हाईकमान पंजाब और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में विजय पताका फहराने को बेताब है, मगर अश्विनी चोपड़ा यह कह कर पार्टी के मंसूबे पर पानी फेर देते हैं कि ‘दोनों ही प्रदेशों में पार्टी को शायद ही जीत मिले।’ करनाल में 14 सितंबर को एक कार्यक्रम में मंच से ही उन्होंने सरकार एवं पार्टी के कई फैसलों पर सवाल खड़े कर दिए थे। इसी तरह भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद चौधरी धर्मवीर द्वारा सार्वजनिक मंच से बंसीलाल सरकार की प्रशंसा करने पर उन्हें भी पार्टी में संदेह की नजरों से देखा जाने लगा है।

पार्टी के एक खेमे का आरोप है कि सरकार में केवल कुछ खास लोगों की चल रही है। यहां तक कि अधिकांश अधिकारी भी उनकी मनमर्जी के ही लगे हुए हुए हैं। भाजपा की सरकार बनने के बावजूद कई ऐसे अधिकारी आज भी कई अहम ओहदों पर काबिज हैं जो कभी ओमप्रकाश चौटाला एवं भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के चहेते हुआ करते थे। स्टेट विजिलेंस के एक बड़े पदाधिकारी के बारे में कार्यकर्ताओं की राय अच्छी नहीं है। उनके बारे में कार्यकर्ताओं का आरोप है कि वह मुख्यमंत्री को गलत फीडबैक देते हैं। इसी तरह उन्हें फरीदाबाद एवं गुड़गांव में महत्वपूर्ण पदों पर रहे एक पंजाबी अधिकारी को मुख्यमंत्री द्वारा महत्व देना भी पसंद नहीं। शिकायत है कि ऐसे चहेते अधिकारी अनिल विज जैसे सीनियर मंत्री की अनदेखी करने से भी नहीं हिचकिचाते। ऐसे अधिकारियों एवं मंत्रियों के बीच कई बार टकराव की खबरें बाहर आ चुकी हैं। बताते हैं, हाल में सूबे के 20 जिलों के चेयरमैन अधिकारियों की मनमानी की शिकायत लेकर दिल्ली में हरियाणा प्रभारी महामंत्री अनिल जैन से मिले थे। उन्होंने जैन को बताया कि छोटा अधिकारी भी उनकी नहीं सुनता। इसकी वजह से जनता के काम नहीं हो रहे हैं। सरकार एवं पार्टी के रवैये के मुखर विरोधी सांसद राजकुमार सैनी ‘आउटलुक’ से बातचीत में कहते हैं कि सरकार एवं पार्टी पर कुछ दबंग लोग हावी हैं, इसलिए स्थिति बिगड़ी है। ऐसे लोग बिलकुल नहीं चाहते कि उनके सामने कोई दूसरा उभर कर सामने आए। विशेषकर पिछड़ों की पार्टी और सरकार में उपेक्षा हो रही है। उन्होंने कई भर्तियों पर भी सवाल उठाए। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। कृषि मंत्री ओपी धनखड़ चुटकी लेते हुए कहते हैं, ‘कार और सरकार चलाने में अंतर है।’

बहरहाल, सरकार एवं पार्टी में बढ़ती दरार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा हाईकमान को चिंता में डाल दिया है। इसलिए समय रहते तमाम विवादों पर पानी डालने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं। इस क्रम में संगठन मंत्री शिव प्रसाद ने हाल में चंडीगढ़ में पार्टी के विधायकों, सांसदों एवं भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की। सितंबर के अंतिम सप्ताह में बढ़ती दूरियों को पाटने के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी मुख्यमंत्री खट्टर से मिल चुके हैं। बताते हैं कि हाईकमान ने नंवबर तक मुख्यमंत्री को तमाम स्थितियों को नियंत्रित करने का समय दिया है।

 

इंटरव्यू

‘एक और पार्टी बन जाए तो क्या फर्क पड़ेगा’

भाजपा सांसद राजकुमार सैनी से आउटलुक की संक्षिप्त बातचीत

पार्टी और सरकार से बगावत की वजह?

बगावत कहां कर रहा हूं। अपनी बात रखना गुनाह तो नहीं। सरकार में पिछड़ों की नहीं सुनी जा रही है। नौकरी में स्थान नहीं मिल रहा है।

यह बात पार्टी फोरम पर भी कही जा सकती थी?

पार्टी से बाहर कहां गया हूं। पार्टी में रहकर ही तो अपनी बात कह रहा हूं। सरकार में उनकी ही चल रही है जिनकी पिछली सरकारों में चलती थी। अधिकारी भी पिछड़ों की नहीं सुनते।

सुनने में आया है आप अलग पार्टी बनाने जा रहे हैं ताकि अगला चुनाव उसके बैनर पर लड़ सकें। आप मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं?

सपना देखना कोई गुनाह तो नहीं? अभी मैं भाजपा में ही हूं। जहां इतनी पार्टियां हैं, वहां एक और बन जाएगी तो क्या फर्क पड़ जाएगा।

प्रस्तुति: मअहा

Advertisement
Advertisement
Advertisement