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जींद से माहौल बदलने की जिद

चौकोणीय मुकाबले में हर पार्टी के दिग्गज जुटे, पूरी सरकार लगी
बड़ा दांवः चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला

हरियाणा का जींद आम चुनाव से पहले ही राजनीतिक सरगर्मियों की वजह से सुर्खियों में है। एक लाख 70 हजार मतदाताओं वाले इस छोटे से हलके का उपचुनाव राज्य के तमाम सियासी दिग्गजों पर इन दिनों भारी है। 28 जनवरी को होने वाले इस उपचुनाव के लिए सभी पार्टियों ने जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। चौकोणीय मुकाबले में सत्तारूढ़ भाजपा को कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से कड़ी चुनौती है। जेजेपी महीना भर पहले ही इनेलो से टूट कर बनी है। पहली बार भाजपा के लिए जींद में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने की कोशिश में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपने तमाम मंत्रियों और विधायकों के साथ जींद में प्रत्याशी कृष्ण मिढ्ढा के लिए डेरा डाले हैं। मुख्यमंत्री के 30 से अधिक चाय पर चर्चा कार्यक्रम तय हैं। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी जींद में ही मंडरा रहे हैं।

गुटों में बंटी कांग्रेस जींद का रण रणदीप सुरजेवाला के बूते जीतने में जुटी है। पहले कांग्रेस की ओर से दावेदारी मांगेराम गुप्ता की थी, लेकिन आखिरी वक्त में राहुल गांधी ने कैथल से विधायक और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को मैदान में उतार कर इस चुनाव को 2019 के चुनाव से पहले के सेमीफाइनल का रंग दे दिया। सुरजेवाला का कहना है कि जींद का उपचुनाव सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि साढ़े चार साल पुरानी भाजपा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ उलटी गिनती शुरू करने की पहल है। इसलिए राहुल गांधी ने मुझे कैथल का विधायक होते हुए भी जींद का उपचुनाव लड़ने के लिए भेजा है। सुरजेवाला के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर, सांसद दीपेंद्र हुड्डा, कुमारी शैलजा, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई मोर्चा संभाले हुए हैं। हालांकि, टिकट न मिलने से नाराज गुप्ता कांग्रेस से पूरी तरह किनारा किए हुए हैं। उन्होंने आउटलुक से कहा कि कांग्रेस ने गलत उम्मीदवार मैदान में उतारा है, जिसे जींद की जनता स्वीकार नहीं करेगी। इनेलो उमेद सिंह रेढू को मैदान में उतारकर कंडेला खाप और रेढुओं के 20 गांवों में अच्छी पैठ को अपने पक्ष में देख रहा है। जेजेपी के दिग्विजय चौटाला की जीत के लिए सांसद दुष्यंत चौटाला युवाओं के हुजूम के साथ जींद के कोने-कोने तक जा रहे हैं। 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में जींद सीट इनेलो के खाते में गई थी। लेकिन अगस्त 2018 में विधायक हरी चंद मिढ्ढा की मृत्यु के बाद यह खाली हो गई। परिवार के झगड़े की भेंट चढ़े इनेलो में बिखराव के बाद मिढ्ढा के बेटे कृष्ण मिढ्ढा ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने उन्हें उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया है। कृष्ण मिढ्ढा का कहना है कि वह दो बार जींद से विधायक रहे अपने पिता के विकास कार्यों को आगे बढ़ाएंगे। जींद के विकास के लिए राज्य और केंद्र डबल इंजन का काम करेगा।

"एक लाख 70 हजार मतदाताओं वाले जींद के उपचुनाव से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने की तैयारी"

जाट बाहुल्य जींद में 56,000 जाट, 32,000 दलित, 23,000 पंजाबी, 20,000 ब्राह्मण, 14,000 बनिया और करीब 24,000 अन्य जातियों के मतदाता हैं। सियासी जानकारों की मानें तो जाट आरक्षण आंदोलन का दंश झेल रही भाजपा ने इस चुनाव को भी जाट और गैर-जाट का सियासी रंग देने की कोशिश की है। तीन जाट उम्मीदवारों के बीच मतदाताओं के बंटने का लाभ भाजपा उम्मीदवार को हो सकता है, क्योंकि गैर-जाट मतदाता एकजुट होकर भाजपा के पक्ष में जा सकते हैं। हालांकि, भाजपा की राह उनकी पार्टी के बागी सांसद राजकुमार सैनी ने कठिन कर दी है। लोकतंत्र रक्षा पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर सैनी ने विनोद आशरी को मैदान में उतारा है। आशरी ब्राह्मणों और सैनियों के अलावा पिछड़ों के वोट पर हक जता रहे हैं।

जेजेपी के दुष्यंत चौटाला ने आउटलुक को बताया, “बाहरी और स्थानीय उम्मीदवार चुनावी मुद्दा बिलकुल नहीं हैं। हमेशा जाति की राजनीति करने वाली भाजपा और कांग्रेस ने विकास को कभी प्राथमिकता नहीं दी।”

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