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नीरवता का संगीत

धर्मकोट की निपट शांत संकरी गलियां शाम ढलते ही सुनसान हो जाती हैं, काले अंधेरे में समा जाती है
हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में भीड़ और शोर-शराबे से दूर एकांत, आसमान से बातें करते पेड़ों के घने जंगल, शाम ढलते ही हिमालय के कदमों में बसे काले अंधेरे में आकर्षित करने वाले ऐसे कई अनछुए इलाके हैं जहां चंद दिन सुकून के बिताए जा सकते हैं। हिमाचल की वादियों और ऊंचे पहाड़ों में प्रकृति की गोद में बसे यह इलाके पर्यटकों की नजर से दूर हैं या इन्हें बेचने के लिए टुअर ऑपरेटरों की नजर अभी तक इन पर पड़ी नहीं है। हिमाचल प्रदेश में अगर आप विदेशी रंग में रंगना चाहते हैं, शकशुका जैसे विदेशी व्यंजन के चटखारे लेना चाहते हैं और साथ-साथ धौलाधार रेंज के कदमों में कुछ दिन बिताना चाहते हैं तो एकमात्र जगह है धर्मकोट। यहां आपको हर देश का भोजन, चाय की चुस्की और हर भाषा बोलता विदेशी मिल जाएगा। धर्मकोट धर्मशाला से 10 किलोमीटर दूर घने जंगल से घिरा अत्यंत शांत,  बिल्कुल अकेला, बेहद छोटा सा कस्बा है। मुश्किल से यहां दस घर होंगे। कहते हैं, ब्रिटिश समय में यहां अंग्रेज न्याय करते थे,  इसलिए इसे धर्मकोट कहा जाता है। इन दिनों इसे मिनी इस्राइल भी कहा जाता है। यहां बड़ी तादाद में इस्राइली और रशियन टूरिस्ट आते हैं। दिन की गुलाबी और रात की कड़ाके की ठंड में धुंआ उठ रहे गरम-गरम लजीज विदेशी व्यंजन खासे मशहूर हैं यहां के। धर्मकोट की निपट शांत संकरी गलियां शाम ढलते ही सुनसान हो जाती हैं और घुप काले अंधेरे में समा जाती हैं। जगह-जगह टिमटिमाती रोशनी में कुछ रेस्तरां दिखाई देते हैं, जहां मधुर धुनें माहौल को मदहोश करती हैं। एडवेंचर के शौकीन लोग यहां से दस किलो मीटर दूर ट्रैकिंग पर त्रिउंड जा सकते हैं। फासला सुनने में बेशक कम है लेकिन दम फुलाने वाली चढ़ाई है यह। तिब्बत संस्कृति से रूबरू होने और शॉपिंग के लिए मैकलोडगंज और धर्मशाला भी जा सकते हैं।

पहाड़ों की रानी शिमला का नाम तो सभी ने सुना है लेकिन शिमला से आगे पब्बर घाटी घूमने बहुत कम लोग जाते हैं। यहां एक नहीं अनेक ऐसी जगहें हैं जो पर्यटकों की चिल्ल-पों से दूर अकेली और सुनसान हैं लेकिन बेहद खूबसूरत हैं। टैक्सी के जरिए शिमला से लगभग सात घंटे की दूरी तय करने के बाद पब्बर घाटी शुरू हो जाती है। यहां रास्ते में सबसे पहले गिरीगंगा नाम की जगह है। गिरीगंगा के मंदिरों की बहुत मान्यता है। यहां रुकने के लिए हिमाचल सरकार का एक होटल है या फिर अपने टेंट लगाए जा सकते हैं। घने जंगल के बीचो-बीच और छोटी-सी नदी के किनारे गिरीगंगा के मंदिरों की खासियत यह है कि माना जाता है कि यह महाभारत काल के हैं। ट्रैकिंग के शौकीन यहां से अलसुबह कुप्पड़ नामक जगह जा सकते हैं। दिनभर चलकर बेहद तीखी चढ़ाई चढ़ने पर आप कुप्पड़ की चोटी फतह कर लेंगे लेकिन दिन ढलने से पहले आप को गिरीगंगा के मंदिरों के पास अपने टेंट या होटल पहुंचना ही होगा क्योंकि यहां जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। 

इसके अलावा पब्बर  घाटी में चंद्रनाहन और चांशल भी दुनिया की खूबसूरत जगहों में शुमार है। चंद्रनाहन पूरी दुनिया में अपनी सात प्राकृतिक झीलों के लिए मशहूर है। यहां विदेशी पर्यटक ज्यादा आते हैं। यहां पहुंचने के लिए गिरीगंगा से लगभग दो घंटे की दूरी पर रोहड़ू जाना होगा। रोहड़ू में रहने के लिए बहुत सारे होटल और सरकारी व्यवस्था है। एक रात वहां गुजार कर, टैक्सी से लगभग आधा दिन तय करने के बाद एक गांव आता है जांगलिक। जांगलिक में एक रात गुजारी जाएगी। जांगलिक अपने आप में छोटा-सा सड़क मार्ग से बहुत दूर बेहद सुंदर पहाड़ी गांव है। अगले दिन जांगलिक से अलसुबह चंद्रनाहन के लिए पैदल यात्रा शुरू होगी। कई घने जंगल और छोटे नदी-नाले पार करने के बाद आप देर शाम को चंद्रनाहन के कदमों में पहुंच जाएंगे। रात गुजारने के लिए वहां टेंट लगाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। अगले दिन सुबह चंद्रनाहन की सीधी खड़ी चढ़ाई करके आप वहां से शाम को नीचे अपने टेंट में आ सकते हैं और अगले दिन फिर से जंगल पार करते हुए वापस जांगलिक और फिर रोहड़ू। ऐसे ही रोहड़ू से चांशल जाया जा सकता है। चांशल सुबह जाकर शाम तक रोहड़ू लौटना ही होगा। वहां रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। चांशल बर्फ से ढकी खूबसूरत पहाड़ की चोटी है जहां से उत्तराखंड के पहाड़ों की चोटियां दिखाई देती हैं। रोहड़ू से लगभग 30 किलोमीटर दूर है चिड़गांव। चिड़गांव पब्बर नदी के किनारे बसा खूबसूरत कस्बा है। यहां ज्यादातर मछली पकड़ने के शौकीन लोग जाते हैं। यहां रहने के लिए पर्याप्त होटल हैं और होम स्टे की सुविधा भी है।

कहां कैसे पहुंचा जाए

धर्मकोट:- दिल्ली से धर्मकोट जाने के लिए दिल्ली आईएसबीटी से धर्मशाला जाने वाली वोल्वो बसें हैं। एक रात का रास्ता है। धर्मशाला से धर्मकोट जाने के लिए टैक्सी ली जा सकती है। धर्मकोट रहने के लिए कुछ छोटे होटल हैं और होम स्टे की सुविधा भी है। दिल्ली से बाय एयर जाने के लिए हवाई जहाज से धर्मशाला के पास गग्गल एयरपोर्ट पहुंचा जा सकता है। यहां से भी धर्मकोट के लिए टैक्सी ली जा सकती है।

पब्बर घाटी:- पब्बर घाटी जाने के लिए दिल्ली से शिमला के घनाटी एयरपोर्ट जाया जा सकता है। शिमला एयरपोर्ट पर लाइट न के बराबर है। दिल्ली से शिमला के लिए वोल्वो सर्विस और ट्रेनें हैं। ये ट्रेनें कालका तक जाती हैं और वहां से शिमला के लिए कई ट्रेनें हैं। शिमला रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से गिरीगंगा के लिए टैक्सी ली जा सकती है। बस सर्विस भी है लेकिन उसके अलग-अलग समय हैं। गिरीगंगा से रोहड़ू जाने के लिए, रोहड़ू से जांगलिक जाने के लिए और रोहड़ू से चांशल जाने के लिए टैक्सी ही जरिया है। रोहड़ू से चिड़गांव जाने के लिए स्थानीय बसें हैं और टैक्सी भी ले सकते हैं।

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