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बिजली परियोजना पर रण

बड़कागांव में पुलिस फायरिंग में चार लोगों की मौत के बाद विपक्षी दल सरकार को घेरने में जुट गए हैं
झारखंड कांग्रेस के नेता मीडिया से बात करते हुए

इस साल झारखंड में नवरात्र की शुरुआत अप्रिय वारदात से हुई। हजारीबाग जिले के बड़कागांव में एक अक्तूबर को स्थानीय कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के नेतृत्व में चल रहे कफन सत्याग्रह ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। पुलिस फायरिंग में चार लोगों की जान चली गई और दर्जन भर घायल हुए। विधायक के पति और पूर्व मंत्री योगेन्द्र साव को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से झारखंड की राजनीति का केंद्र बड़कागांव बन गया है।

बड़कागांव का पकरी-बरवाडीह कोयला क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। पड़ोसी जिले चतरा के टंडवा में बन रहे एनटीपीसी के बिजली संयंत्र के लिए कोयला यहीं से मिलना है। एनटीपीसी को यह कोल ब्लाक आवंटित हुआ है। पहले यह कोल ब्लाक कोडरमा में बन रहे बांझेडीह पावर प्लांट के लिए आवंटित किया गया था, लेकिन वह परियोजना धीमी पड़ गई। अब एनटीपीसी ने कोयला खनन के लिए गांव में जमीन अधिग्रहण की, तो हंगामा खड़ा हो गया है।

दरअसल यह सारा विवाद राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने को लेकर है। इलाके में योगेन्द्र साव का दबदबा है। योगेन्द्र साव राज्य के पूर्व मंत्री हैं। हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बनने के बाद से ही वह विवादों में रहे हैं। उन्हें जातीय संतुलन के लिए कांग्रेस के कोटे से मंत्री बनाया गया था, लेकिन शपथ लेने के फौरन बाद उन्होंने बयान दिया कि मंत्री बनने के लिए उन्हें जूता सिलाई से चंडी पाठ तक करना पड़ा। इस पर काफी हंगामा हुआ था। पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योगेन्द्र साव पर उग्रवादियों से सांठ-गांठ का आरोप लगा और वह जेल चले गए। तब उनकी पत्नी को कांग्रेस का टिकट मिला और वह निर्वाचित भी हो गईं। इस दंपती का बड़कागांव इलाके में काफी प्रभाव है। कोयला खनन के अलावा बालू ठेका और दूसरे कामों को जबरन हथियाने के लिए गलत तरीका अख्तियार करने का आरोप इन पर लगता रहा है। पकरी-बरवाडीह में रैयतों (जमीन के वास्तविक मालिक) को भड़का कर राजनीतिक-आर्थिक वर्चस्व स्थापित करना इनके एजेंडे में रहा है। खुफिया एजेंसियां बार-बार इस बात की तस्दीक करती रही हैं कि योगेन्द्र साव का उग्रवादियों से गहरा रिश्ता है और वह अपनी कंपनी को स्थापित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

बड़कागांव में हुए गोली कांड के बाद योगेन्द्र साव को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन उनकी विधायक पत्नी अब भी भूमिगत हैं। हालांकि वह मीडिया से मिल रही हैं। इधर इस घटना के बाद से बड़कागांव में विपक्षी नेताओं का तांता लगा हुआ है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, कांग्रेस के सुखदेव भगत, सुबोधकांत सहाय और वामपंथी दलों के नेता लगातार इलाके का दौरा कर रहे हैं। भाजपा की ओर से हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा और उनके पिता यशवंत सिन्हा ने मोर्चा संभाल रखा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मृतकों के आश्रितों और घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा के साथ प्रशासनिक अधिकारियों से जांच कराने की घोषणा कर दी है। लेकिन इससे आग बुझ नहीं रही है।

प्रशासनिक अधिकारियों ने फायरिंग का पूरा दोष विधायक और उनके पति पर मढ़ते हुए कहा है कि इन दोनों के भड़काने पर भीड़ ने दो अधिकारियों को घेर लिया और उन्हें बुरी तरह पीटा। तब पुलिस को गोली चलानी पड़ी। अधिकारियों की रिपोर्ट तो यह भी कहती है कि भीड़ में रैयत नहीं थे, बल्कि योगेन्द्र साव की टाइगर सेना के लोग शामिल थे और मौत भी उनकी ही हुई है।

विपक्ष के नेता इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर रहे हैं। हेमंत सोरेन ने तो साफ कहा है कि बड़कागांव इलाके में पूंजीपतियों के इशारे पर फायरिंग की गई। कांग्रेस और वामपंथी दलों का आरोप है कि रघुवर दास सरकार केवल पूंजीपतियों के इशारे पर चल रही है। हेमंत सोरेन, जो विपक्ष के नेता भी हैं, ने तो कहा है कि यदि योगेन्द्र साव और निर्मला देवी के साथ कुछ गलत हुआ, तो विधानसभा में क्या होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने तो बड़कागांव में ही डेरा डाल रखा है।

कुल मिला कर स्थिति विस्फोटक बनती जा रही है। इधर विधायक के पुत्र अंकित राज को पुलिस ने बालू ठेके में रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। रघुवर दास सरकार के लिए इस मुद्दे से निपटना फिलहाल मुश्किल चुनौती है।

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