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‘बिजली को राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है’

केंद्रीय विद्युत, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल गैर भाजपाशासित राज्यों के निशाने पर रहते हैं। राज्यों में जब भी बिजली की कमी होती है केंद्र को जिम्मेदार ठहराया जाता है। गुजरात के बडोदरा में स्वीच 2016 सम्मेलन के दौरान राज्यों और संघशासित प्रदेशों के बिजली, खनन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों की भी बैठक हुई। इस दौरान पीयूष गोयल से आउटलुक के विशेष संवाददाता ने विस्तार से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:-
पीयूष गोयल

 

राज्यों में जब भी बिजली की कमी होती है केंद्र को जिम्मेदार ठहराया जाता है। इस बारे में आपकी राय?

बिजली आज राजनीतिक मुद्दा बन गया है। राज्य सरकारें जब जनता को सही तरीके से बिजली नहीं उपलब्ध करा पातीं तो केंद्र को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। केंद्र राज्यों के साथ तालमेल बिठाकर हर संभव प्रयास करता है कि बिजली का संकट दूर किया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार की योजनाएं भी हैं जिसका लाभ राज्यों को लेना चाहिए।

लेकिन कई राज्य यह कहते हैं कि केंद्र उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है?

यह दुर्भाग्य की स्थिति है। हम राज्यों की मांग के अनुसार बिजली मुहैया करा रहे हैं। कई बार राज्यों की ओर से गलत आंकड़ा पेश कर दिया जाता है। अगर डाटा सही हो तो हम सही तरीके से काम करें लेकिन जब डाटा ही गलत होगा तो कहां से सही काम होगा। राज्य सरकारें जनता को गुमराह करती हैं।

हर घर बिजली पहुंचे इसके लिए केंद्र सरकार कई योजनाओं का संचालन कर रही है। क्या इसका क्रियान्वयन सही तरीके से हो रहा है?

केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर ही योजनाओं का क्रियान्वयन करती हैं। अब चूंकि योजनाएं केंद्र की होती हैं इसलिए राज्य बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते हैं। जो राज्य योजनाओं को लेकर गंभीर हैं वहां सफल हो रही हैं। केंद्र की उदय योजना से अभी सभी राज्य नहीं जुड़ पाए हैं। सरकार का प्रयास है कि हर राज्य इससे जुड़े और योजनाओं का क्रियान्वयन करे।

लेकिन राज्य अपनी जो समस्याएं बताते हैं उनके निराकरण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

राज्य जो समस्याएं बताते हैं उनका हर संभव निराकरण के लिए काम किया जाता है।

निकट भविष्य में ऊर्जा क्षेत्र के लिए सरकार की क्या प्राथमिकताएं हैं?

केंद्र सरकार की प्राथमिकता तय है। साल 2022 तक हर घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही हम राज्यों को कह रहे हैं चाहे एपीएल हो या बीपीएल सभी को बिजली उपलब्ध कराया जाए। जो खर्च होगा केंद्र सरकार वहन करने के लिए तैयार है। गुजरात और आंध्र प्रदेश ने इस दिशा में बेहतर काम किया है जहां हर घर बिजली उपलब्ध है। जब हर घर में बिजली सुलभ हो जाएगी तो चोरी की समस्या भी खत्म हो जाएगी और भ्रष्टाचार भी कम होगा।  इसलिए सरकार ने जल्द से जल्द ‘एक देश, एक ग्रिड, एक मूल्य’ के लक्ष्य  को हासिल करने का मन बनाया है। ताकि मजबूत ट्रांसमिशन ग्रिड नेटवर्क तैयार किया जा सके, जिससे पूरे देश में समान मूल्य पर आम आदमी को बिना रुकावट किफायती बिजली उपलब्ध हो।

कोयला हमारे देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, फिर भी कोयला आयात करना पड़ रहा है। क्या वजह है?

यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन इस दिशा में काम किया जा रहा है कि आयात को कम किया जा सके। क्योंकि जो हमारे बिजली संयंत्र हैं वे इस तरह से बनाए गए हैं कि स्वदेशी कोयले से कार्य न कर पाएं। इसके लिए कोल इंडिया ने अगले छह महीनों में करीब 15 लाख टन आयातित कोयले को स्वदेशी कोयले से बदलने का लक्ष्य रखा है।

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