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इश्क का वजूद 10 किलो

बॉलीवुड के चर्चित डायरेक्टर जो हमारी एक फिल्मी महिला मित्र के करीबी हैं यानी मिस्टर एके को तीसरी बार इश्क क्या हुआ, वैसे भी उनके नाम में ही ऐसा राग है, तो उन्हें तो हरदम प्यार के सागर में ही सरोबार रहना पड़ता है। वैसे प्यार तो हमें भी कई बार होता है, प्यार के मामले में तो हम आजकल यूपी की कमान संभाल रहे बब्बर साहब को अपना गुरु मानते हैं। उनका वह गीत ‘न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन’ हमें हमेशा उत्साहित करता रहता है।
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वैसे आज का असल मुद्दा यही प्यार-इश्क मोहब्बत है। मित्रवर एके खुद तो सेहत के मामले में भरपूर हैं। पर उनके चक्कर में मुसीबत हम पर आ पड़ी है। हुआ यूं कि 40 पार पर युवा डायरेक्टर कहलाने वाले यह साहब आजकल एक छरहरी काया वाली हसीना से नैन-मटक्का कर रहे हैं। इश्क का खुमार इतना कि जनाब ने स्लिम बॉडी वाली सेक्सी हसीना से वादा कर लिया है कि वह उसके लिए अब अपना वजन भी 20 किलो कम कर लेंगे। बस उन्होंने उधर वादा किया और इधर हमारे माइकघुसेड़ू पत्रकारों ने इसे भी खबर बना दिया। अब जब खबर बन ही गई तो फैलते-फैलते हमारी भी नई वाली गर्लफ्रेंड के पास पहुंच गई।
बस फिर क्या था, हमारी क्रिएटिव मोहतरमा ने हमें भी दे दिया आदेश। जब एके अपना वजन कम कर सकते हैं, तो आप क्यों नहीं! सच्चा इश्क करते हैं तो कीजिए 25 किलो कम। हमने बहुत समझाया कि भई एके तो हैं भी 80 किलो के, कुछ किलो कम कर के भी भरपूर रहेंगे, पर हम तो हैं ही 35 किलो, हम तो सिर्फ 10 किलो के रह जाएंगे, पर नारी हठ के आगे तो भगवान राम भी झुके थे, तो हमारी क्या औकात? तो बस आजकल धरती पर बोझ कम हो गया है और हमारा अवशेष 10 किलो ही रह गया। ऊपर से एक दिन मोहतरमा को हमारे सीने पर टैटू गुदवाने का भी आइडिया आ गया। ले गई टैटूवाले के पास और बोली, इनके सीने पर बब्बर शेर बना दीजिए। टैटू वाले ने पहले हमें घूरा, फिर मैडम से बोला स्टूडियो अपार्टमेंट में थ्री बीएचके का सामान नहीं आता है मैडम, इनके सीने पर सिर्फ नाग ही बन सकता है और वो भी बिना फन वाला। उसकी बात सुनकर हमने नाक-मुंह सिकोड़ा। टैटूवाला भी बड़ा ही कमबख्त निकला, तुरंत बोला ज्यादा मुंह मत बनाइए। अभी बनवा लीजिए नहीं तो अगली बार कहीं केंचुआ ही न बनाना पड़े। वैसे ये एके जहां भी हो हमारे लिए भारी रहते हैं। एक एके तो चंद महीनों के बाद विपश्यना पर चले जाते हैं, हमें तो डर है कि कहीं ये खबर भी मोहतरमा के दिल-ओ-दिमाग पर न चढ़ जाए वरना पता चला हम भी एके की तरह दस दिन सिर्फ अपनी अंतरात्मा के साथ ही बिताएंगे, पर हमारी आत्मा के अंदर भी इश्क ऐसा समाया हुआ है कि हम तो अपनी ‘मुमताज’ के बगैर एक दिन भी नहीं रह पाएंगे, एके को भी अभी ही जाना था क्या। मुश्किल बड़ी है क्योंकि गुलाबी ठंड के इस मौसम में मोहतरमा से दूर रह नहीं पाते हैं हम...।

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