उ.प्र. के वर्तमान राजनीतिक तूफान के साथ विधानसभा के आगामी चुनाव की चुनौती को आप किस रूप में देख रहे हैं?
इसे तूफान मत समझिये। हल्का झोंका है। जल्द ही सब शांत हो जाएगा। लेकिन उ.प्र. की विभिन्न चुनौतियों और आगामी चुनाव में मेरा काम और राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा है। मुझे पिछले साढ़े चार वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में किए गए विकास एवं जनहित के कार्यों पर बहुत भरोसा है। यही हमारी सबसे बड़ी शक्ति और चुनावी मुद्दा भी रहेगा।
परिवार और पार्टी में मतभेद और मुखिया मुलायम सिंह जी की नाराजगी से आप कितने विचलित हैं?
मैं कई बार स्पष्ट शब्दों में कह चुका हूं और आज या कल भी कहूंगा- नेताजी मेरे पिता हैं और पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने और पार्टी ने ही मुझे मुख्यमंत्री बनाया। सभी विधायकों का सहयोग एवं समर्थन मुझे मिल रहा है। इस जिम्मेदारी को मैंने पूरी ईमानदारी और निष्ठा से निभाया है और सदा निभाता रहूंगा। किस परिवार और दल के सदस्यों में कुछ मुद्दों पर मतभिन्नता नहीं होती। हमारे यहां भी रहती है। लेकिन हमारी एकता बनी रहेगी। कुछ गड़बड़ियों से मुझे दु:ख अवश्य होता है, लेकिन इसका सरकार के काम पर असर नहीं होने देता। कुछ कड़े निर्णय करने होते हैं और मुख्यमंत्री के नाते मुझे इसके लिए किसी से भी निर्देश लेने की जरूरत महसूस नहीं होती।
परिवार और पार्टी के विवादों एवं संकट के लिए आप किन ताकतों को जिम्मेदार मानते हैं?
यों तो हमारे विरोधी हमें विफल या तोड़ने की कोशिश करते ही हैं। लेकिन जब अमर सिंह जैसे हमारे ही सांसद और उनके कुछ लोग बदनाम कर सरकार गिराने या भाजपा को लाभ पहुंचाने के प्रयास करते हैं, तो हमें बर्दाश्त नहीं होता। हम पार्टी और परिवार में बाहरी समानांतर सत्ता को कभी स्वीकार नहीं कर सकते। मैं पूरी तरह नेताजी और पार्टी के प्रति समर्पित हूं। पार्टी तुड़वाने वालों से लड़ता हूं और नई पार्टी बनाने का तो सवाल ही नहीं है। यही बात हम नेताजी से कहते हैं। सारी कड़वाहट के बावजूद अमर सिंह जी को पार्टी ने राज्यसभा में भिजवाया। इसके बाद हमारी अपेक्षा थी कि वे पार्टी और परिवार को नुकसान पहुंचाने के पुराने इरादे छोड़ देंगे।
आगामी चुनाव में राजनीतिक ध्रुवीकरण से अधिक क्या सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एवं बेहद उत्तेजक माहौल का खतरा दिखाई देता है?
देखिये, भारतीय जनता पार्टी ही सांप्रदायिक उत्तेजना भड़काने का प्रयास करती रही है और कर सकती है। लेकिन हम उनके प्रयास सफल नहीं होने देंगे। हम तो हर वर्ग और समुदाय को अपने विकास कार्यो, किसानों-गरीबों-युवाओं-महिलाओं के लिए हुए कल्याणकारी कार्यों को लेकर तीन नवंबर से हर क्षेत्र में लोगों के पास जाएंगे।
आपकी सरकार की कई उपलब्धियों के दावों के बावजूद प्रदेश में कानून-व्यवस्था खराब रहने का दाग चुनाव में भी परेशानी नहीं बनेगा?
देखिये, यह सरकार से अधिक प्रदेश की छवि खराब करने का अभियान रहा है। कृपया राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों को सामने रख दें, तो पता चलेगा कि दिल्ली सहित कुछ अन्य राज्यों में अपराध अधिक हुए हैं। उ.प्र. आबादी व क्षेत्र की दृष्टि से भी बड़ा है। कुछ विरोधी और मीडिया छोटी-छोटी घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं। फिर भी हमने कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए सकारात्मक सुझावों को माना है। पुलिस प्रशासन में आवश्यकतानुसार बदलाव हुए हैं। अब तो नवंबर से उ.प्र. पहला राज्य होने जा रहा है, जहां पुलिस केवल दस मिनट में घटनास्थथल पर पहुंचेगी तथा एफ.आई.आर. दर्ज होगी। इसका विवरण एसओपी बताएगी। प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि कोई पुलिसकर्मी बदतमीजी से बात नहीं करेगा। इसके लिए 400 डेडीकेटेड गाड़ियां पुलिस को उपलब्ध कराई जा रही हैं। डायल 100 को अधिक उपयोगी, सक्रिय और बहुआयामी बनाने के लिए हमने अमेरिका के न्यूयार्क-ह्यूस्टन शहरों में टीम भेजी और उसकी रिपोर्ट पर काम हुआ।
विकास के दावों के बीच एक सवाल हम सबके दिमाग में आता है कि क्या कभी लखनऊ, आगरा, वाराणसी जैसे उ.प्र. के शहर मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरू की श्रेणी में शीर्ष स्थानों पर दिख सकते हैं?
पर्यटन और औद्योगिक शहरों में सचमुच बहुत प्रगति हुई है। संभवत: लोगों ने ध्यान नहीं दिया। उ.प्र. के नोएडा क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर कई मायने में गुड़गांव से बेहतर है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां आ रही हैं। हमारी सरकार के प्रयास से नोएडा-एनसीआर में फाइव स्टार तथा थ्री स्टार होटलों में 6 हजार कमरे बढ़ गए हैं। लखनऊ और कानपुर में व्यापार के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में बहुत बदलाव हुए हैं। आगरा देश का सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र है। हम उसे देश के प्रमुख शहरों से जोड़ रहे हैं। आगरा एक्सप्रेस-वे के माध्यम से पर्यटकों की यात्रा बहुत सुविधाजनक हो गई है।
आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा और भाजपा में किसे बड़ी चुनौती मानते हैं?
अगले चुनाव में असली मुकाबला समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच है। बसपा केवल नकारात्मक नारेबाजी करती रही है और बसपा राज के दौरान भारी भ्रष्टाचार करने वाले अब जेल भेजे गए और मुकदमे चल रहे हैं। हां, समाजवादी पार्टी को तोड़ने के प्रयास विरोधी कर रहे हैं, लेकिन हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे।
विकास का मुद्दा कितना कारगर होगा?
वर्तमान दौर में मतदाताओं के लिए सबसे अधिक महत्व विकास का ही है। विकास का मुद्दा न बनने देने की कोशिश भाजपा-बसपा कर रही हैं। उन्हें डर है कि अगर विकास मुद्दा बना तो छात्र-छात्राओं को लैपटॉप वितरण, 55 लाख महिलाओं को पेंशन, चार महानगरों में मेट्रो ट्रेन, यमुना का ड्रीम प्रोजेक्ट, एक्सप्रेस हाईवे, मिड डे मील के लिए बच्चों को बर्तन और अच्छा भोजन, शीघ्र स्मार्टफोन वितरण के लिए युवाओं का रजिस्ट्रेशन जैसे कार्य उन पर भारी पड़ेंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह शराबबंदी जैसा कोई फार्मूला उ.प्र. में लाने की कोशिश हो सकती है?
उ.प्र. में शराबबंदी विभिन्न चरणों में लागू करने के प्रस्तावों पर विचार हो सकता है। लेकिन हम हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं कर सकते। हमारी राय में तो शराबबंदी के लिए जागरूकता के कार्यक्रम बड़े पैमाने पर चलाना अधिक लाभदायक होगा।
आपके कार्यकाल में भी कुछ मंत्रियों और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे। इसका क्या उत्तर होगा?
हमारी सरकार और पार्टी में जिन लोगों पर आरोप लगे, उन सबके विरुद्ध हमने संविधान एवं कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की। आप स्वयं समीक्षा करवा लें, हमने किसी दबाव और सिफारिश को नहीं चलने दिया। राजनीतिज्ञों के अलावा अधिकारियों को भी नहीं बख्शा गया। सांप्रदायिक तत्वों को तो गिरफ्तार करवाकर जेल भी भेजा। विकास और स्वच्छ छवि हमारी सबसे बड़ी ताकत सिद्ध होगी।