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चुनाव पर कितना असर

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर में होने हैं विधानसभा चुनाव
जनता के बीच अखिलेश यादव

नो टबंदी ने राजनीतिक दलों को भी सकते में डाल दिया है। अगले साल की शुरुआत में ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने इन राज्यों में चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी है।फरवरी और मार्च में चुनाव होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। नोटबंदी के कारण समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों को अपने चुनाव प्रचार के कार्यक्रमों में बदलाव करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की विकास यात्रा भी नोटबंदी के कारण प्रभावित हुई है वहीं बसपा प्रमुख मायावती के भी कई कार्यक्रमों में बदलाव करना पड़ा है। भाजपा के नेता नोटबंदी को लेकर भले ही सकारात्मक बयान दे रहे हैं लेकिन पार्टी के कई नेताओं के बीच भी खलबली मची हुई है। उत्तर प्रदेश में चुनाव की तैयारियों में जुटे एक भाजपा नेता कहते हैं कि अचानक नोटबंदी के फैसले से उनके प्रचार अभियान को भी नुकसान हुआ है। क्‍योंकि आगे के प्रचार के लिए नकदी नहीं है। वहीं सपा, बसपा और कांग्रेस के नेताओं ने तो इस फैसले का बाकायादा विरोध किया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सरकार के कदम की तो तारीफ करते हैं लेकिन कहते हैं कि अचानक जो फैसला लिया गया उससे आम आदमी संकट में आ गया। उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने तो बाकायदा वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर मांग की कि सरकार ने स्वास्थ्य सहित कई अन्य सेवाओं के लिए जो छूट दी है उसकी समय सीमा और बढ़ा दी जाए। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने तो सरकार पर सीधे तौर पर ही निशाना साधा है। मायावती कहती हैं कि काला धन को वापस लाने वाली सरकार ने आम आदमी को परेशान कर दिया है। मायावती का आरोप है कि प्रधानमंत्री जिस प्रकार का बयान दे रहे हैं उससे उनके पद की गरिमा भी धूमिल हो रही है।

चुनाव की तैयारी में जुटे नेताओं की परेशानी साफ तौर पर देखी जा रही है। सपा और बसपा ने तो उम्‍मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। ऐसे में उन उम्‍मीदवारों के सामने संकट आ गया है कि प्रचार-प्रसार के लिए धन की व्यवस्था कहां से करें। क्‍योंकि सरकार ने बैंकों से भी पैसा निकालने की सीमा तय कर दी है। वहीं रैलियों के आयोजन में जुटे एक टेंट कंपनी के मालिक ने बताया कि इस फैसले के कारण कई रैलियों को स्थगित करना पड़ा। क्‍योंकि चुनाव अभी घोषित नहीं हुए हैं और कई राजनीतिक दलों ने संपर्क कर टेंट लगाने की तैयारी करने को कह दिया था। टेंट मालिक ने बताया कि इस फैसले से कई कार्यक्रमों को रद्द करना पड़ गया है। वहीं भाजपा ने अपनी रैलियों को जारी रखा जिसको लेकर दूसरे दलों के नेताओं ने आशंका जताई कि भाजपा नेताओं को पहले से ही जानकारी हो गई थी। लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि काले धन का इस्तेमाल पहले की तरह ही होगा। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म के उत्तर प्रदेश के संयोजक डॉक्‍टर लेनिन के अनुसार राजनीतिक दल अपनी राशि का इस्तेमाल कार्यकर्ताओं को दस-दस, बीस-बीस हजार रुपये या उनकी आर्थिक हैसियत के अनुपात में बांटने का प्रयास करेंगे।

वैसे भी उत्तर प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक उम्‍मीदवारों में ठेकेदार, बिल्डर, खनन, शिक्षा माफिया की तादात ज्यादा है। इनके पास काला धन होने की आशंका ज्यादा है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि काला धन को सफेद करने का कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेंगे। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया में भारतीय शाखा के प्रमुख रामनाथ झा कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए पैसे बंटवाती हैं। पुराने नोट बंद होने से वे ज्यादा से ज्यादा पैसा सफेद करने का हर संभव प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो प्रक्रिया अपनाई है उसमें ज्यादा से ज्यादा काला धन सफेद हो जाएगा।

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