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गरीब मस्त, अमीर पस्त

जैसे सरकार ने काला धन निकालने के लिए विमुद्रीकरण किया, हमने भी घर में, कालाधन निकालने के लिए नोटबंदी कर दी है। अब नगद में घर खर्च बंद, बच्चों का हाथ खर्च बंद। गृहिणियां और बच्चे ही कालाधन एकत्रित करते हैं और देश तथा परिवार की अर्थव्यवस्था चौपट करते हैं। कर्ज माफ कर दिवालिया हुए बैंकों और सरकार को इससे थोड़ा सुकून तो मिलेगा ही।
ग्राफिक

मर्द इतने मूर्ख नहीं होते कि नगद को सात तालों में बंद रखें। यह तो गृहिणियों को ही मुबारक, जो एक-एक पैसा जोडक़र अपने गुप्त लॉकर में कैद कर रखती हैं। मेरी पत्नी के पास ही जॉर्ज पंचम युग के सिक्‍के निकले। हम तो कालेधन को तुरंत ठिकाने लगा देते हैं। कभी बेनामी संपîिा खरीदकर और कभी ज्यादा रिश्वत मिल जाए तो हवाला के जरिए या तुरंत मॉरीशस के बैंक में पहुंचा देते हैं। हमारी तलाशी ले लो, चवन्नी नहीं निकलेगी।

8 नवंबर को 8 बजे एलान हुआ कि बड़े नोट रात 12 बजे से बंद। तब तक पत्नी ठाकुरजी की राचन आरती में व्यस्त थी। मेरी ही क्‍या देश भर की गृहिणियां चूल्हे-चौके में लगी ही रहती हैं या सास-बहू का सीरियल देखती हैं। उन्हें कहां फुर्सत न्यूज चैनल देखने की। शहीदाना अंदाज में मैंने अपनी धर्मपत्नी को कहा, 'पैसा-पैसा करती रहती हो, आज से इस घर के सारे पैसे की मालिक तुम। बैंक के लेन-देन से लेकर बाजार की उधारी तुम्‍हारे सिर। मैं संन्यास लेना चाहता हूं। आज से तुम अमीर और मैं गरीब, सर्वहारा। तुम्‍हारा घर का सारा काम मैं किया करूंगा, अब तो खुश।’ 

अपने मित्रों के साथ उस रात मैंने थ्री-चीयर्स किया और आजादी का जश्न मनाते हुए भारत माता की जय बोली। पत्नी ने दूसरे दिन अमीर बनने की खुशी में सत्यनारायण की कथा कराई और 11 ब्राह्मïणों को भोज दिया। तीसरे दिन उनकी खुशी दोगुनी हो गई जब बैंक से एसएमएस आया कि उनके खाते में किसी अज्ञात ने ढाई लाख जमा करवा दिए हैं। वह भी बंद हुए नोटों में। वह मान बैठी कि गरीबों के अच्छे दिन आ गए हैं और अमीरों के बुरे दिन प्रारंभ हो गए। 

मेरे घर के सामने का बैंक और एटीएम जब खुले तो उनके सामने लंबी-लंबी लाइनें लगी हुईं थीं। कुछ तो तंबू गाडक़र बैठे थे और कुछ रजाई-गद्दों के साथ रातभर से वहां पहले ही से डटे थे। न बैंक का गेट खुल पा रहा था और न ही एटीएम मशीन नोट उगल रही थी। जाने क्‍या जादू हुआ कि पुराने नोट बिल्व-पत्र हो गए और नए नोट गायब हो गए। मेरी पत्नी जब अपने जीवन भर की काली कमाई, कुल 25 हजार लेकर बैंक गई तो बंदूक धारी गार्ड ने अंदर घुसने नहीं दिया। अमीरों के पास से कितनी ब्‍लैक मनी पकड़ी गई, अभी तक आंंकड़े नहीं आए हैं। हां, गरीबों का कालाधान दनादन सामने आ रहा है। एक गरीब भिखारी के पास से बड़े नोटों का जखीरा मिला। हुआ यह कि बड़े नोटों के बिल्व-पत्र होने के डर से उसका हार्टफेल हो गया था और इनकम टैक्‍स के अफसर उसके शव के साथ नोट गिनते हुए अखबारों के लिए फोटो खिंचवा रहे थे।

बैंकों में कतारों में लगे लोगों के गृहयुद्घ के बाद किसी तरह 2 हजार का नया नोट हाथ में आया भी तो बाजार में सब्‍जी वालों ने लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा, 'इसका क्‍या अचार डालेंगे, छुट्टा लेकर आओ तो सब्‍जी-भाजी मिलेगी।’ इधर बच्चों ने अपनी गुल्लक की चिल्लर छुपा दी और 20 प्रतिशत कमीशन पर उधार देने की शर्त रख दी। घर में अमीर पत्नी पस्त हो गई है और मैं गरीब चैन की बंसी बजा रहा हूं। रोज रात को थ्री-चीयर्स कर नोटों की नसबंदी का जश्न मना रहा हूं।

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