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भूमंडलीकरण की दिशा में भारत की अनूठी पहल

बच्चों के अधिकारों के लिए जुटेंगे पूरी दुनिया से महारथी
कैलाश सत्यार्थी

आज के बच्चे कल का भविष्य हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए नोबेल पुरस्कार विजेजा कैलाश सत्यार्थी ने अनूठी पहल करते हुए दुनिया के नोबेल पुरस्कार विजेताओं और विश्व के नेताओं को एक मंच पर बुलाने का आह्वïान किया हैं। पहली बार भारत में हो रहे इस तरह के आयोजन में  15 से अधिक नोबल पुरस्कार विजेता और दस से अधिक वैश्विक नेताओं ने इसमें आने की सहमति दे दी है। राष्ट्रपति भवन में आगामी 10 और 11 दिसंबर को इसका आयोजन किया जा रहा है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का विषय है लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट। इसके आयोजन के बारे में कैलाश सत्यार्थी ने आउटलुक से विशेष बातचीत में कहा, 'भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बच्चों को लेकर समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं और यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बाल विवाह, कुपोषण, अशिक्षा की समस्या तो बच्चों के साथ है ही इसके अलावा शारीरिक यातना ने भी बच्चों की पीड़ा को और बढ़ा दिया है।’ सत्यार्थी बताते हैं कि ऐसा पहली बार है कि वैश्विक राजनीति और समाज में बच्चों के मुद्दों को प्राथमिकता देने के आह्वान करने पर प्रतिष्ठित लोग इतनी बड़ी संख्‍या में एकजुट हो रहे हैं। सत्यार्थी कहते हैं कि प्रशासन और संप्रदायों के संगठन, कानून और सम्‍मेलनों के बावजूद करोड़ों बच्चे क्‍यों अपना बचपन अभावों में जीते हैं? इसकी वजह नैतिक मूल्यों की कमी है, जो बच्चों के प्रति सामाजिक उदासीनता और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से देखने को मिलते हैं।

इस आयोजन का प्रमुख उद्देश्य है कि वैश्विक स्तर पर बच्चों को संरक्षण देने के लिए नैतिक मंच बनाना है जिसमें इस बात पर चर्चा होगी कि कैसे हर बच्चा सुरक्षित, स्वस्थ्य और शिक्षित हो। इसके साथ ही 10 करोड़ के लिए 10 करोड़ अभियान का शुभारंभ भी किया जाएगा। इसका उद्देश्य आने वाले 5 सालों में बच्चों के खिलाफ हिंसा खत्म करने के लिए दुनिया भर से 10 करोड़ वंचित बच्चों के लिए 10 करोड़ युवाओं और बच्चों को एकजुट करना है। सत्यार्थी बताते हैं, 'इस अभियान की शुरुआत के बाद मैं भारत के प्रमुख शिक्षण संस्थानों के अलावा विदेशी संस्थानों का दौरा करूंगा जहां युवाओं को एकजुट कर इस अभियान को सफल बनाया जाएगा।’ कार्यक्रम में जिन प्रमुख हस्तियों के शामिल होने की स्वीकृति मिल गई हैं उनमें दलाई लामा, जूलिया गिलार्ड, जोस रामोस-होर्टा, प्रो. युआन ली, तावाकोल करमन, लेमाह रॉबर्टा गिबोवी, कुदेद बाउशामाउई, हसीन अब्‍बासी, मोहम्‍मद फधेल महाफुद, अब्‍देसत्तार बेन मूसा, ग्रेसा माशेल, नीदरलैंड की राजकुमारी लॉरेंटाइन, संयुक्‍त अरब अमीरात की राजकुमारी हया बिंत अल हुसैन, मोनाको की राजकुमारी चार्लीन, रिगोबेर्ता मेंचू तुम, सीनेटर टॉम हार्किन, केरी केनेडी, जेफरी सैक्‍श, रतन कुमार नाग प्रमुख हैं।

गौरतलब है कि दुनिया में 16.8 करोड़ बच्चे मजदूरी और काम में लगे हुए हैं, जो दुनिया की 5 से 17 वर्ष तक की उम्र की 10 प्रतिशत आबादी के बराबर हैं और लगभग 55 लाख बच्चे बंधुआ हैं। इन बाल मजदूरों में आधे से ज्यादा लगभग 8.5 करोड़ खतरनाक कार्यों में लगे हुए हैं। मजदूरी के मुश्किल भरे हालातों से जूझने के साथ ही करोड़ों बच्चे लगातार अपना बचपन गंवा रहे हैं। सीरिया में एक पूरी पीढ़ी ही अपने अधिकारों से वंचित है। लगभग 56 लाख बच्चे भयावह हालात में जी रहे हैं और गरीबी, विस्थापन एवं हिंसा का सामना कर रहे हैं। ऐसे बच्चों की संख्‍या भी काफी ज्यादा है, जो शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। लगभग 6.2 करोड़ बच्चों ने जिंदगी में कभी प्राइमरी स्कूल का मुंह नहीं देखा है और लगभग 26 करोड़ बच्चे 18 साल की उम्र तक स्कूल जाना छोड़ देते हैं। सत्यार्थी कहते हैं, 'यह सम्‍मेलन विभिन्न क्षेत्रों के नोबेल पुरस्कार विजेताओं और वैश्विक नेताओं का हमारे दौर की सबसे बड़ी नैतिक चुनौती को सामने लाने का सामूहिक प्रयास होगा, जो हर बच्चे को संरक्षण और शिक्षा देने के लिए जरूरी है।’

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