देर रात तक मेरे लिंकडिन एकाउंट में बिना काम के संदेश अपनी जगह बना लेते हैं। सेक्स को परोसते ये संदेश अपने ग्राहक को लुभाने की कोशिश करते नजर आते हैं। मैं कैसे अचानक अमित (नाम परिवर्तित) से जुड़ जाती हूं यह पता ही नहीं चलता लेकिन 30 वर्ष का यह नौजवान खुद को एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताता है और कहता है कि मुझे महिलाओं की सेवा करना अच्छालगता है क्योंकि इनको खुश देखकर मुझे आनंद और संतुष्टि का अहसास होता है। जैसा कि आपको पता है, महिलाओं को प्यार करना चाहिए, आपके लिए यह एक आकर्षण हो सकता है लेकिन मेरे लिए यह गंभीरतापूर्वक सेवा है।
क्या उसकी कोई गर्लफ्रेंड थी, कभी-कभी ऐसा होता है। क्या उसके ग्राहक रेगुलर थे? कभी-कभी।
जिगोलो के मामले में उसके ग्राहक हमेशा धनी और अधेड़ उम्र की महिलाएं होती हैं जो पुरुषों को साथ रखना चाहती हैं। लेकिन अमित मुझे यह कहकर चकित किया कि उसके अधिकांश ग्राहक मुंबई के पश्चिमी इलाके में रहते हैं और उनकी उम्र 28 से 35 वर्ष के आस-पास है और वे मीडिया व कार्पोरेट में नौकरी करते हैं। मेरे विचार से वे शहर से नहीं हैं। वे अकेले रहते हैं और उनके पास समय नहीं है और हो सकता है कि वे किसी ऐसे अच्छे इंसान से न मिले हों, जिन्होंने इस तरह से अपनी बात रखी हो। लेकिन वे इस बात में जरूर स्पष्ट हैं कि वे क्या चाहते हैं। वे कभी-कभी इसका जिफ् अवश्य करते हैं कि मैं काम करने की भी इच्छा रखता हूं। यह सबकुछ अप्रत्याशित था और अपने कॉलेज के दिनों की याद दिला जाता है।
हाल ही में पिछले सप्ताह मैं प्लेन से बैंकाक जाते समय एक लडक़ी के ठीक आगे वाली सीट पर बैठी हुई थी जो कि अपने विवाह संबंध से काफी नाराज थी और खुद के संबंधों से जुड़े अनेक विवादित मुद्दों पर चर्चा कर रही थी। उसका कहना था कि हमारे सेक्सुअल संबंध भी ठीक नहीं हैं। मैंने महीनों से कोई सेक्स संबंध नहीं बनाए हैं। यह बात खुले तौर पर कहना अजीब तो लगता है लेकिन वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक तौर पर सेक्स संबंध एक सुखी जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है।
दो दिन बाद मैं एक भारतीय पुरुष से रंगून में मिलती हूं और वह मुझे बताता है कि वह एक उद्योगपति है जो कि हर कोई नहीं होता है। वह कुछ और बोलता उससे पहले मैंने खुद से बोला कि उसका नया स्टार्ट अप जरूर सेक्सी खिलौनों का स्टोर होगा। सरकार सेक्स एजुकेशन से सेक्स शद्ब्रद को भले ही निकालना चाहती हो लेकिन भारतीय सेक्स के बारे में ज्यादा से ज्यादा बात करना, अपना बिजनेस शुरू करना, सेक्स से जुड़े उत्पादों का सेवन करना और सेवाएं देना जरूर चाहते हैं, ऐसा भी जैसा पहले कभी न हुआ हो। नद्ब्रबे के दशक के आखिर में सेक्स से संबंधित अनेक सर्वे कराए गए और उनमें पता लगाने की कोशिश की गई कि विवाह से पूर्व वर्जिनिटी की संभावना कितनी घटी और उसका क्या प्रभाव पड़ता है। लेकिन इन सर्वेक्षणों में वास्तविक स्थियों को उजागर करना मुश्किल दिखाई दिया क्योंकि इनके बीच के आंकड़ों में काफी अधिक अंतर दिखाई पड़ता है।
कैजुअल सेक्स पर 2011 के सर्वेक्षण में इस मैगजीन में बताया गया कि 32 फीसदी सेक्स संबंध बिलकुल अजनबियों के साथ हुए। जिनमें से 38 फीसदी संबंध एक घंटे से ज्यादा तक नहीं चले। जबकि कुछ संबंध कुछ दिनों तक भी चले। इनमें से एक तिहाई में महिलाओं के द्वारा पहल की गई। लेकिन इनमें सबसे मजेदार बात यह है कि एक तिहाई मामलों में पांच में से एक मामले में ये संबंध तीन वर्षों तक भी कायम रहते हैं। अधिकांश मामलों में ऐसा होता है कि इस प्रकार के संबंध अपने सही तरीके से पाए गए पार्टनर के बाद भुला दिए जाते हैं। इसमें कोई ऐसी बात नहीं है क्योंकि सेक्स मानव की जरूरत का एक आवश्यक पहलू है।
कामलिप्सा निश्चित रूप से बहुत ही सुखदायी और आग में पैर रखने के समान है। इसमें एक और बात जो है वह है हर समय बिना रुके ऊर्जा का प्रवाह, जो कि मार्केट बना रही है। सेक्स और बाजार का संबंध आज का नहीं यह लंबे अरसे से होता आ रहा है। यहां तक कि कॉमर्शियल सेक्स वर्कर को प्रोस्टिट्यूट कहा जाता है। जो कि अपने काम की मान्यता को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। आज इस धंधे से पैसा कमाने की तरफ ज्यादा संख्या में लोग जुड़ रहे हैं।
अब इसके लिए नए तरीके और तकनीकों का भी भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। डेटिंग के लिए एप बाजार में मौजूद हैं ये सभी मेट्रिमोनियल साइट से अलग हैं। वर्तमान में इस बाजार का आकार 13 करोड़ डॉलर से भी ऊपर चला गया है जो बढ़ोतरी की ओर अग्रसर है। डेटिंग साइटों का दावा है कि भारत में लगभग 60 लाख लोग इस तरह की डेटिंग साइटों पर अपने अकाउंट खोल चुके हैं। टिंडर इंडिया ने दावा किया है कि आज एक दिन में 14 मिलियन स्वाइप्स होते हैं जो कि सितंबर 2015 में 75 लाख तक ही थे। सेक्स संबंधी गतिविधियों को डाउनलोड करने में एक लाख एञ्चिटव यूजर हैं जो कि लगभग दो मिलियन डाउनलोड करते हैं। ऐसे यूजर की संख्या में 40 फीसदी 18 से 26 वर्ष की आयु के हैं जो कि मुख्यत: छोटे शहरों और कस्बों के हैं। वर्तमान में इस तरह का बिजनेस 3000 करोड़ रुपये के आसपास है और 2020 तक यह 9000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।
1998 के बाद से आए डिजिटल बदलाव ने भारतीय जीवन शैली को काफी अधिक प्रभावित कर दिया है। वी आर सोशाल के अनुसार भारत में 35 करोड़ लोग इंटरनेट के एञ्चिटव यूजर हैं, जिनमें से 28.9 करोड़ यूजर शहरी क्षेत्रों के हैं और वे अधिकांशत: मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इनमें से 25 फीसदी उपयोगकर्ता महिलाएं हैं। इंटरनेट से यह सुविधा मिली है कि यह आपकी निजता को बनाए रखता है और परिवार में कोई संकट आए बिना ही आपकी इच्छाओं का समाधान करता है।
अगर आप एक मिनट के लिए भारत की विविधतापूर्ण सेक्सुअल कल्चर के बारे में विचार करेंगे तो पाएंगे कि कामसूत्र का उद्देश्य भी आपके आनंद को सही प्रकार से अनुभव करने को लेकर था, सत्सई, कविताएं और गीत ये सभी महिलाओं व पुरुषों के बीच के प्रेम को व्यक्त करने के माध्यम हैं। 18वीं शताद्ब्रदी के दक्कनी साहित्य, गीत गोविंद, उर्दू में रेख्ती कविताएं, खजुराहो के मंदिरों की मूर्तियां, चोल कालीन कृतियां इत्यादि सेक्स को अभिव्यक्त करते आए हैं और आज भी कर रहे हैं। जरा सोचिए 1980 में नाजिया हसन के गीत 'हर किसी को चाहिए तन-मन का मिलन’ ने देश भर में एक अजीब सी तरंग फैला दी थी। ऐसे ही कई उदाहरण बीच-बीच में देखने को मिलते रहते हैं। जो कि इस यौन संस्कृति को और तीव्र करते प्रतीत होते हंै। कहने का मतलब है कि इसी को यौन संस्कृति या आज की आम बोलचाल में सेक्सुअल कल्चर कहा जाता है।
(लेखिका फिल्म निर्माता हैं। ये एजेंट्स ऑफ इश्क की संस्थापक भी हैं।)