Advertisement

'ओम’ शांति का शून्य

सूरत से बड़ी सीरत का जीता-जागता उदाहरण थे ओम पुरी, अपनी प्रतिभा के बल पर बनाया प्रशंसकों का मेला
ओम पुरी

ओम पुरी भले ही अपने साक्षात्कार में बोलते रहे हों कि अंगे्रजी में उनका हाथ जरा तंग है लेकिन जब सिटी ऑफ जॉय में हजारी लाल, वूल्फ में डॉ. विजय, ईस्ट इज ईस्ट में जॉर्ज खान, चार्ली विलसंस वॉर में जिया उल हक, द हंड्रेड फुट जर्नी में पापा कदम किरदार में परदे पर उतरे तो यह मानना मुश्किल लगता था कि उनकी तंग अंग्रेजी कहीं उनके आड़े आ रही है।भारत से बाहर भी ओम पुरी की प्रतिभा की एक दुनिया थी, जिसमें वह एक चमकदार सितारे के रूप में हमेशा मौजूद रहे। जिस तरह वह अपने किरदार को निभा कर लोगों को अचंभे में डाल देते थे उसी तरह उन्होंने 6 जनवरी 2017 को अपने मुरीदों को चौंका दिया कि अब ओम पुरी नाम का यह शख्‍स अनंत यात्रा की ओर कूच कर गया है।

यह सन 70 का दशक था जब घासीराम कोतवाल से ओम पुरी दर्शकों के सामने आए। उन्हें देखने वालों को लगा कि उनमें कुछ खास बात है। जब सन 1980 में फिल्म आक्रोश आई तो लाहन्या भीखू दर्शकों, आलोचकों के दिलो-दिमाग पर छा गए। पूरी फिल्म में वह सिर्फ दो बार बोले लेकिन उनकी आंखों का गुस्सा हर किसी के दिल में उतर गया। पथराई आंखों की पैनी नजरें लंबे समय तक दर्शकों को याद रहीं और इस भूमिका का असर यह हुआ कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। यह अवार्ड उनके अभिनय से ज्यादा उस चेहरे को था, जिसने कई धारणाएं तोड़ी थीं। उनके चेहरे को साधारण भी नहीं कहा जा सकता था। चौड़ी सी नाक और चंद्रमा की सतह जैसे गालों को लिए हुए जब वह बॉलीवुड में आए तो किसी को यकीन नहीं था कि वह कभी काम पा भी सकेंगे। लेकिन उनमें प्रतिभा थी और उससे ज्यादा विश्वास, जिसके बलबूते वह राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फलक पर इतने सालों टिके रहे। थोड़ी खरखराती आवाज उनकी इस प्रतिभा को और बढ़ा देती थी। भारीपन लिए यह आवाज उनकी श‌िख्‍सयत का हिस्सा हो गई।

फिल्म अर्द्धसत्य ने ओम पुरी को अलग मुकाम दिया। पुलिस व्यवस्था और गुंडे से उलझते एक पुलिस वाले की भूमिका में उन्होंने जान फूंक दी थी। यह उनकी अभिनय प्रतिभा का ही कमाल था कि पुलिस अकादमी में सालों तक इस फिल्म को ट्रेनिंग के दौरान दिखाया जाता था। एक गुंडे के खिलाफ लड़ते हुए जब उसी पुलिस वाले को अपनी नौकरी बचाने वहीं जाना पड़े, ऐसे अंतरद्वंद्व को उन्होंने बहुत ही विश्वसनीयता के साथ परदे पर निभाया। देखा जाए तो वह पहली एंग्री यंग मैन की छवि थी जो ओम पुरी ने परदे पर उतारी थी। ओम पुरी की खासियत थी कि वह कभी किसी किरदार या छवि में कैद होकर नहीं रहे। बंधी बंधाई लीक पर चलना उनके लिए अभिनय करना नहीं था। तभी तो जब वह जाने भी दो यारो में बेईमान ठेकेदार और शराबी की भूमिका में आए तो दर्शकों को लोटपोट कर गए। जाने भी दो यारो का आखिरी सीन जहां मृत सतीश शाह को द्रोपदी बना दिया गया है और आंखों पर चश्मा चढ़ाए ओम पुरी रस्सी के सहारे स्टेज पर उतर कर पूरे नाटक को बिगाड़ देते हैं और कहते हैं, 'हम सब द्रौपदी के शेयर होल्डर हैं।’ उनका यह संवाद बहुत लोकप्रिय हुआ और उन्होंने जता दिया कि वह आंखों से अंगारे बरसा सकते हैं तो अपनी हरकतों से दर्शकों को हंसा भी सकते हैं। बॉलीवुड में जिसे 'कॉमिक टाइमिंग’ कहा जाता है ओम पुरी हंसाने के उस समय पर पूरी तरह खरे उतरते थे। एक लंबी फेहरिस्त है जिसने उन्हें दर्शकों के जेहन में जिंदा रखा। मंडी, तमस से लेकर मालामाल वीकली और हाल के दिनों में बजरंगी भाईजान तक वह अलग-अलग रूपों में दर्शकों को कभी हंसाते तो कभी आंदोलित करते रहे।

गांधी पर फिल्म बनाने के लिए रिचर्ड एटनबरो कई बार भारत आए। यहां वह कई लोगों से मिले और ओम पुरी से खासा प्रभावित हुए। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, 'मैं लगभग सभी कलाकारों को तय कर चुका था। पर जब ओम पुरी से मिला तो लगा कि कुछ बात है। मैंने एक छोटी सी भूमिका के लिए उनसे कहा और वह मान गए। यह कुल 90 सेकंड का सीन था और फिल्म आने के बाद यह अहम दृश्य में तब्‍दील हो गया।’ इस फिल्म में ओम पुरी ने ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभाई थी जिसके बेटे को दंगाइयों ने मार दिया है और बदले में वह भी किसी के बेटे को मार देता है। लेकिन गांधी जी के सामने बेबाकी से अपना जुर्म कबूलता है और फिर पश्चाताप से भरकर गांधी जी से माफी मांगता है। परदे पर उनके द्वारा निभाए गए तरह-तरह के चरित्रों के बीच जब उनकी दूसरी पत्नी नंदिता पुरी ने अनलाइकली हीरो : द स्टोरी ऑफ ओम पुरी नाम से किताब लिखी तो वह अचानक से दूसरे कारणों से चर्चा में आ गए। उन्होंने नंदिता पर आरोप लगाया कि उनकी छवि खराब करने के इरादे से यह किताब लिखी गई है। अभिनय और असली जिंदगी के बीच तालमेल बैठाते वह सलमान की नई फिल्म ट्यूबलाइट में आने वाले थे। ओम पुरी चाहे असल जिंदगी में जैसे भी रहे हों लेकिन दर्शकों के मन में वह प्रतिभावान अभिनेता के तौर पर ही जिंदा रहेंगे।

Advertisement
Advertisement
Advertisement