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डेरों पर लगने लगे नेताओं के फेरे

पंजाब ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक देहधारी गुरुहैं, जिनका राजनीति में भी पूरा दखल है और इसलिए उनकी पूछ भी है
चुनाव सभा में अमरिंदर सिह

पंजाब में फरवरी में होने वाले चुनावी महासंग्राम के योद्धा तय हो चुके हैं। इस बीच अवाम के अलावा तमाम पार्टियों के नेताओं की गाडिय़ां धार्मिकडेरों के आसपास ज्यादा दिखाई देने लगी हैं। पंजाब देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिकलगभग 10,000 देहधारी गुरु हैं और इनके शिष्यों की संख्‍या लाखों में है। कई विधानसभाओं में इन डेरों का खासा असर है। अहम बात यहहै कि इन डेरों का राजनीति में पूरा दखल रहता है। कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता डेरों को अपने पक्ष में करने जुट गए हैं। डेरा सच्चा सौदा यानी बाबा राम रहीम हमेशा राजनीतिकवजहों से सुर्खियों में रहते हैं। पिछले कई वर्षों से पंजाब और हरियाणा की राजनीति में डेरा सच्चा सौदा का गहरा असर रहा है। देश-विदेश में बाबा के करीब 5 करोड़ से ज्यादा शिष्य बताए जाते हैं। अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक इनका साम्राज्य फैला हुआ है। नेता से लेकर बॉलीवुड स्टार और खिलाड़ी तकयहां हाजिरी लगाते हैं। इसकी वजह से बाबा का राजनीतिक रसूख है। सभी दलों के  नेता डेरा सच्चा सौदा की चौखट पर आते हैं। यदि डेरा किसी पार्टी का समर्थन करने के लिए कह देता है तो उनके अनुयायी उसी को वोट देते हैं। डेरे का दावा है कि पंजाब और हरियाणा में उनके 60 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। वैसे डेरा सच्चा सौदा का ज्यादा राजनीतिकअसर मालवा में है। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से 65 सीटें मालवा इलाके से आती हैं। यहां प्रत्याशियों की हार-जीत में इस डेरे के शिष्यों की अहम भूमिका रहती है।

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. रौनकी राम का कहना है कि पंजाब में डेरों की कोई आधिकारिकगिनती नहीं है एक अनुमान अनुसार छोटे-बड़े मिलाकर लगभग 10,000 डेरे हैं। डेरा सच्चा सौदा इनमें से ही है। डेरा राधा स्वामी ब्‍यास भी पंजाब के प्रमुख डेरों में शामिल है लेकिन यह राजनीति में कभी सार्वजनिकरूप से शामिल नहीं हुआ। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी विधानसभा चुनाव से पहले हाल ही केवर्षों में दो दफा यहां जाकर हाजिरी लगा चुके हैं। बीते वर्ष मई महीने में जब संत ढडरियांवाले पर जानलेवा हमला हुआ तो घटना केबाद पंजाब के उप मुख्‍यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने डेरे पर उनसे मुलाकात की थी। चाहे राहुल गांधी हों या मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उप मुख्‍यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह सभी नेता डेरों पर अपने समर्थन में वोट मांगने जाते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह अमृतसर जाने से पूर्व बठिंडा के निकट रूमी डेरा में आशीर्वाद लेने गए थे। उनसे एक दिन पहले उप मुख्‍यमंत्री सुखबीर सिंह बादल भी रूमीवाला डेरा और दोआबा में अन्य डेरों में गए थे। ऐसा माना जाता है कि डेरों के अनुयायी सामूहिक रूप से मतदान करते हैं। दोआबा में डेरा सच्च खंड को मानने वालों में गुरु रविदास जी के अनुयायी शामिल हैं। यहीं दिव्य ज्योति संस्थान का भी अच्छा खासा प्रभाव है। नकोदर में ही बाबा मुरादशाह, कपूरथला में डेरा बेगोवाल, मस्तराम जी जटाणा आदि डेरों का अच्छा प्रभाव है। पंजाब में राजनीतिक विश्लेषक देसराज काली बताते हैं कि डेरा अनुयायियों में अधिकांश दलित हैं जिनकी सत्ता में एकाधिकार रखने वाला वर्ग उपेक्षा करता है। इस वर्ग के मतदान को भी प्रभावित किया जा सकता है। एक संकेत पर बड़े वर्ग का वोट एक पार्टी के हिस्से आ जाता है।

पंजाब में संत निरंकारी मिशन का भी खासा प्रभाव है। वर्ष 1978 में शिरोमणि अकाली दल के साथ अमृतसर में एक खूनी झड़प के बाद निरंकारी मिशन माना जाता है कि कांग्रेस को ही वोट करता है।

20 बड़े डेरों का राजनीतिकप्रभाव

 

प्रदेश में 20 बड़े डेरों का राजनीति पर अधिक प्रभाव माना जाता है। इनमें से डेरा सच्चा सौदा, डेरा भनियारांवाले बाबा, राधा स्वामी डेरा, निरंकारी मिशन, नूरमहल स्थित डेरा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान व रूमीवाला डेरा के अनुयायियों की संख्‍या लाखों में है।

डेरा सच्चा सौदा ने 2002 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया और जब अकाली दल 2007 में दोबारा सत्ता में आया तो इस पर विवाद भी हुआ। डेरा ढक्की साहिब का लुधियाना क्षेत्र में काफी असर है। डेरों ने अपने राजनीतिक विंग भी गठित किए हैं। आनंदपुर साहिब क्षेत्र में 69 डेरे हैं। डेरा बाबा बुड्ढा दल एवं 96 करोड़ी निहंग छावनी केडेरा प्रमुख बाबा बलबीर सिंह अंदरखाते अकाली दल को समर्थन करते हैं, लेकिन कभी खुलकर इस बारे में नहीं कहा। डेरा शहीदी बाग एवं अंगीठा शहीदां दा के डेरा प्रमुख बाबा गुरदेव सिंह का भी खास प्रभाव है। डेरा दशमेश बूंगा के डेरा प्रमुख बाबा अजीत सिंह शिअद से विधायक भी रहे हैं। डेरा कार सेवा आनंदगढ़ वाले के प्रमुख बाबा लाभ सिंह अंदरखाते अकाली दल से संबंध रखते हैं, लेकिन खुलकर समर्थन नहीं करते। डेरा सर्व-धर्म सत्कार तीर्थ भनियारांवाले, धमाना, नूरपुरबेदी के डेरा प्रमुख बाबा प्यारा सिंह पिछले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में किसी दल के साथ नहीं मिले।

कांटे की तिकोनी टक्‍कर

फरवरी में पंजाब विधानसभा की 117 सीटों के लिए होने वाले चुनावों के मद्देनजर सरगर्मियां तेज हैं। हालांकि समीकरण छह महीने पहले जैसे नहीं हैं। छह महीने पहले आम आदमी पार्टी जनता के बीच लोकप्रियता के जिस शिखर पर थी अब नहीं है। पार्टी के प्रमुख नेता भगवंत मान का शराब पीकर स्वर्ण मंदिर में माथा टेकना, मेनिफेस्टो में स्वर्ण मंदिर के साथ झाड़ू की तस्वीर छापना, पार्टी के पास मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार न होना सब पार्टी के खिलाफ जा रहा है। अकाली दल के भ्रष्टाचार से जनता आजिज है। इस बीच ग्राउंड रिपोर्ट देखें तो कांटे की टक्‍कर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है। कांग्रेस में शीर्ष नेताओं का झगड़ा सुलझने और भाजपा नेता नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने से भी कांग्रेस को बल मिला है बावजूद इसके शिरोमणि अकाली दल दौड़ से बाहर नहीं है। वजह है कि आखिरी दिनों में अंदरखाने कितना पैसा खर्च किया जाता है कोई नहीं जानता।

 

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