अभी कुछ दिन पहले झारखंड की राजधानी रांची में एक बैठक हो रही थी। ग्रामीण विकास विभाग की उस बैठक में शामिल अधिकारी केवल मोमेंटम झारखंड की चर्चा ही कर रहे थे। बैठक स्थल के बाहर भी सुरक्षाकर्मी के साथ दूसरे लोग भी 16-17 फरवरी को आयोजित होनेवाले ग्लोबल इनवेस्टर समिट की तैयारियों की चर्चा कर रहे थे। लोगों का कहना था कि आम दिनों में अफसर-कर्मचारी शहर को इतना सजाने-संवारने के लिए तत्पर क्यों नहीं रहते।दरअसल, यह वैश्विक निवेशक सम्मेलन मुख्यमंत्री रघुवर दास का ड्रीम आयोजन है। पिछले एक साल से अधिक समय से उन्होंने देश के प्रमुख राज्यों के अलावा कई दूसरे देशों की यात्रा की और निवेशकों को झारखंड आने के लिए आमंत्रित किया। आयोजन से जुड़े अधिकारियों की मानें, तो दुनिया भर से दो हजार से अधिक निवेशक और उद्यमी इस सम्मेलन में शामिल होंगे।
जाहिर है, अधिकारी इस सम्मेलन की तैयारी में जी-जान से लगे हुए हैं। रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे से लेकर होटवार स्थित खेलगांव के टाना भगत इंडोर स्टेडियम, जहां सम्मेलन होना है, दुल्हन की तरह सजाया गया है। सम्मेलन में आनेवाले अतिथियों की सुख-सुविधा का खास ध्यान रखा गया है। हवाई अड्डे से आयोजन स्थल की 15 किलोमीटर की दूरी भी उन्हें हेलीकॉप्टर से तय कराई जाएगी, ताकि रांची की बदनाम यातायात व्यवस्था की जानकारी उन्हें नहीं मिल सके। सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य और ठहरने से लेकर भोजनादि की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। झारखंड को, खास कर मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस सम्मेलन से ढेर सारी उम्मीदें हैं। अधिकारियों का दावा है कि सम्मेलन में तीन लाख करोड़ के निवेश समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। लेकिन इस सवाल पर कि पहले के समझौते की क्या स्थिति है, वे चुप्पी साध जाते हैं।
झारखंड खनिज संपदाओं से भरपूर राज्य है। देश की कुल खनिज संपदा का करीब 45 प्रतिशत हिस्सा झारखंड में है। लेकिन इसके बावजूद इस राज्य की अर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। यहां की करीब 50 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। राज्य में अति वामपंथी उग्रवाद की गंभीर समस्या है। रघुवर दास सरकार का दावा है कि इस बार ऐसा नहीं होगा। इस बार राज्य सरकार निवेश संबंधी समझौतों को जमीन पर उतारने के लिए कृतसंकल्पित है। आयोजन से जुड़े एक अधिकारी कहते हैं, राज्य सरकार ने उद्योग स्थापित करने की राह की सबसे बड़ी बाधा, यानी जमीन अधिग्रहण की समस्या को दूर कर दिया है। सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के साथ दूसरे कानूनी प्रावधानों को आसान बना दिया गया है। निवेशकों को हरसंभव सुविधा और सहायता उपलब्ध कराने के लिए नौकरशाही को चुस्त-दुरुस्त बनाया गया है। ये तमाम तैयारियां पूर्व के अनुभवों का परिणाम हैं। इसलिए निवेशक सम्मेलन की तैयारी इतने बड़े पैमाने पर की गई हैं।
दूसरी तरफ विपक्ष इस आयोजन को फिजूलखर्ची और झारखंड को विदेशियों के हाथों की कठपुतली बनाने की साजिश करार दे रहा है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन कहते हैं कि रघुवर सरकार राज्य को बेचने और आदिवासियों के अस्तित्व को खत्म करने की साजिश कर रहे हैं। रघुवर दास को पता है कि निवेशक सम्मेलन की सफलता पर उनका राजनीतिक भविष्य भी टिका हुआ है। उन्होंने सम्मेलन में अरुण जेटली, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद, निर्मला सीतारमण जैसे केंद्रीय मंत्रियों को आमंत्रित किया है। इनकी उपस्थिति में रघुवर अपना कद भी दिखाएंगे। इसलिए वह इसे हर कीमत पर सफल बनाने में जुटे हुए हैं।
दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि निवेशक सम्मेलन से झारखंड को बहुत अधिक लाभ होनेवाला नहीं है। निवेशक सबसे पहले अपना हित देखता है। झारखंड का इतिहास बताता है कि यहां निवेश करना जोखिम भरा होता है। कई उद्योगों को आरंभिक निवेश के बाद कदम पीछे खींचने पड़े हैं। इसलिए सम्मेलन में शामिल होकर वे झारखंड का आतिथ्य तो जरूर स्वीकार करेंगे, लेकिन राज्य में निवेश का ईमानदार प्रयास करेंगे, इसमें संदेह है। ग्लोबल इनवेस्टर समिट का परिणाम चाहे कुछ भी हो, इतना तय है कि इसके बहाने रांची की सडक़ों का कायाकल्प हो गया है। सडक़ों को अतिफ्मण से मुक्तकर दिया गया है और इलाके साफ-सुथरे दिखने लगे हैं। निवेश की उम्मीद लेकर संवरी रांची और झारखंड पर निवेशक कितने मेहरबान होते हैं, यह देखनेवाली बात होगी।