राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की नाक तले गाजियाबाद और नोएडा में सोशल ट्रेड के नाम पर पांच हजार करोड़ के घोटाले के कुछ खलनायक बेशक अब पुलिस की गिरफ्त में हों मगर मामले की जांच कर रही एसटीएफ उन विभागों की घेराबंदी से बच रही है, जिनके सहयोग से यह धंधा फलफूल रहा था। अब तक आधा दर्जन सोशल ट्रेड कंपनियों का ख़ुलासा हो चुका है जो कंप्यूटर पर प्रति ञ्चिलक करने के नाम पर लोगों से लाखों रुपये लगवाती थीं। आधा दर्जन से अधिक कंपनियां ऐसी भी हैं जो यहां से पलायन कर अब दूसरे शहरों में पहुंच गई हैं। एसटीएफ को अब तक एक लाख से अधिक शिकायतें ई-मेल के जरिये प्राप्त हो चुकी है और अनुमान के अनुसार जिन लोगों से ठगी की गई उनकी तादाद दस लाख तक हो सकती है। घोटाले की कुल रकम पांच हजार करोड़ से अधिक आंकी जा रही है।
पॉन्जी स्कीम के तहत संचालित होने वाली यह ऑनलाइन ठगी पिछले दो वर्षों से हो रही थी और उसका मास्टर माइंड था पिलखुआ का सत्ताइस वर्षीय अनुभव मित्तल। बीटेक की पढ़ाई कर चुके अनुभव ने गाजियाबाद में आरडीसी और नोएडा में सेक्टर 63 में अपना कार्यालय खोला हुआ था। अनुभव की कंपनी एब लेब इंफो सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड 5700 रुपये जमा करा कर प्रतिदिन दस वेबसाइटों पर ञ्चिलक करने के नाम पर पचास रुपये रोज देती थी। शिकायतकर्ता सरधना की अर्चना गुप्ता बताती हैं कि 57500 रुपये निवेश करने पर प्रतिदिन 770 ञ्चिलक करने को दिए जाते थे और टीडीएस काट कर पांच रुपये प्रति ञ्चिलक के हिसाब से उनके खाते में आ जाते थे। कंपनी दावा करती थी कि उसे कुछ बड़ी कंपनियों ने अपनी वेबसाइट पर लाइक बढ़ाने का काम दिया हुआ है और प्रति ञ्चिलक छह रुपये उन्हें मिलते हैं। जिसमें से एक रुपया अपना मुनाफा काट कर पांच रुपये वह अपने सहयोगी को दे देते हैं। इस तरह प्रति आईडी के हिसाब से देश-विदेश के लाखों लोगों से अरबों रुपये जमा करा लिए गए। एसटीएफ के अनुसार अनुभव की कंपनी का घोटाला 3700 करोड़ का है और इसमें अनुभव मित्तल समेत तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। मामले का खुलासा फेडरेशन ऑफ डायरेक्ट सेलिंग असोसिएशन ने किया था और उसके बाद शिकायतकर्ताओं की झड़ी लग गई। अनुभव मित्तल की गिरफ्तारी के बाद नोएडा में वेबवर्क नाम से ठीक इसी प्रकार की ठगी करने वाले दो लोगों अनुराग गर्ग और संदेश वर्मा की भी गिरफ्तारी हुई। इन दोनों ने भी लाइक कराने के नाम पर पांच सौ करोड़ रुपये की ठगी कर ढाई लाख लोगों को चूना लगाया था। डीआईजी मेरठ एस इमेनुअल के अनुसार अब तक सात फर्जी कंपनियों की जानकारी मिल चुकी है जिनमें से अनेक ने अपने दफ्तर यहां से समेट लिए हैं। उधर, पॉन्जी कंपनियों के अपराधियों से संबंध होने से भी जांच एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। वेबवर्क में पश्चिमी उत्तरप्रदेश के एक खतरनाक अपराधी की पत्नी भी निदेशक है। इस कंपनी में कुछ फिल्म अभिनेताओं का पैसा लगा होने की जानकारी एसटीएफ को मिल रही है। एक कंपनी का प्रचार फिल्म स्टार शाहरुख खान और नवाजुद्दीन सिद्दकी भी करते थे ।
लगभग दस लाख लोगों से पांच हजार करोड़ की ठगी के इस मामले में उंगलियां उन विभागों पर भी उठ रही हैं, जिनकी नाक तले इतना बड़ा घोटाला पनप रहा था। देश में साइबर अपराधों को लेकर कड़े कानून हैं और यह जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की भी थी कि वह आईटी एक्ट 2011 के तहत अपराधियों के खिलाफ स्वत:स्फूर्त कार्रवाई करती मगर उसने तब तक कदम नहीं उठाया जब तक कि शिकायतकर्ता शोर-शराबा और कंपनियों के दफ्तरों पर पथराव और तोडफ़ोड़ नहीं करने लगे। हालांकि पकड़े गए अपराधियों के विभिन्न बैंक खातों से अब तक पांच सौ करोड़ रुपये बरामद हो चुके हैं मगर यह पैसा निवेशकों तक कब पहुंचेगा और क्या मात्र पांच सौ करोड़ से लाखों लोगों के नुकसान की भरपाई हो पाएगी यह बड़ा सवाल है। सवाल यह भी है कि घोटाले में क्या संबंधित सरकारी विभागों की भी मिलीभगत साबित होगी अथवा इस बार भी वे साफ बच निकलेंगे।