चौदह फरवरी की शाम पांच कालिदास मार्ग पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दिन भर की चुनावी सभाओं के बाद मीडिया से रूबरूहोने में किसी प्रकार की असहजता नहीं महसूस करते हैं। बल्कि यह पूछते हैं कि आज की सभाओं के बारे मेें आप लोगों के पास क्या रिपोर्टिंग है। पत्रकार भी बखूबी जवाब देते हैं कि हर जगह
से अच्छी रिपोर्टिंग रही है। अखिलेश चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए उन लोगों की सूची देखने लगते हैं जिन्हेें मिलने के लिए बुलाया गया होता है। फिर अगले दिन के कार्यफ्म की चर्चा भी करते हैं। क्योंकि अखिलेश हर दिन छह से सात चुनावी सभाएं कर रहे हैं और अगले दिन यानी 15 फरवरी की जो सूची उन्हें मिलती है उसमें उन्नाव, फतेहपुर, रायबरेली एवं लखनऊ की विधानसभा सीटों पर प्रचार करना शामिल होता है। सात विधानसभा सीटों पर मुख्यमंत्री का कार्यफ्म तय होता है और उसके लिए पूरी तैयारी में उनके सहयोगी जुट जाते हैं। इस बीच अखिलेश आउटलुक प्रतिनिधि से ही सवाल कर बैठते हैं कि आपको क्या माहौल लग रहा है? सब अच्छा का जवाब सुनकर कहते हैं कि निश्चित तौर पर सब अच्छा है और प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। अखिलेश बड़ी बेबाकी के साथ कहते हैं कि इसीलिए भाजपा नेताओं का ब्लड प्रेशर भी बढ़ा हुआ है। फिर यह कहते हुए आगे बढ़ जाते हैं कि लखनऊ में कल चुनावी सभा है, आइए और माहौल देखिए कि जनता क्या बोल रही है। अगले दिन के कार्यफ्म के मुताबिक अखिलेश यादव को उन्नाव में 2, फतेहपुर में 2, रायबरेली में 1 और लखनऊ में 2 चुनावी सभाएं करनी है। यानी कुल सात सभाएं। पहली सभा सुबह 10.50 बजे उन्नाव के बांगरमऊ में तो दूसरी सभा 11.45 बजे उन्नाव के ही सफीपुर विधानसभा में होती है। उसके बाद फतेहपुर के बिंदकी में 12.40 की एक सभा और इसी जनपद के शांतिनगर में 1.30 बजे सभा का कार्यफ्म तय होता है। अगला कार्यफ्म अपरान्ह 2.15 पर रायबरेली के बिल्हनी कस्बा मैदान पर होता है और उसके बाद लखनऊ के सरोजनी नगर और मलिहाबाद में दो सभाओं का आयोजन होता है। एक दिन में सात सभाएं करके अखिलेश यादव चुनाव को अपने पक्ष में करने में जुट गए हैं। अगले दिन सुबह मुख्यमंत्री की पहली चुनावी सभा देखने जब आउटलुक प्रतिनिधि उन्नाव जनपद के इंदिरा गांधी राजकीय महाविद्यालय बांगरमऊ के मैदान में पहुंचते हैं तो उस समय 'काम बोलता है’ का गीत गूंज रहा है और बड़ी संख्या में युवाओं की टोली जय अखिलेश-जय अखिलेश के नारे लगाती पूरे मैदान में अलग-अलग जगहों पर नजर आती है। हेलीकॉप्टर की आवाज से जब आसमान गंूज रहा होता है तो मैदान में उपस्थित जनसमूह का उत्साह और बढ़ जाता है और लोग तेजी से नारे लगने लगते हैं। अखिलेश मंच पर आते हैं और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव जिताने की अपील करके अगली सभा के लिए निकल पड़ते हैं। शाम चार बजे अखिलेश को सरोजनी नगर विधानसभा सीट पर अपने चचेरे भाई अनुराग यादव के लिए प्रचार करना था। मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर तय समय से देरी से पहुंचता है लेकिन युवाओं का उत्साह और काम बोलता है के नारे से मैदान गूंज रहा था। मुख्यमंत्री आउटलुक के प्रतिनिधि को देखकर फिर सवाल पूछते हैं कि कैसा लग रहा है? सब ठीक है का जवाब सुनकर अखिलेश कहते हैं कि प्रधानमंत्री जी रेडियो पर केवल 'मन की बात’ करते हैं लेकिन लोगों के मन की बात नहीं सुन पाते हैं। नोटबंदी से कितना नुकसान हुआ इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लाइन में लगी जनता की जान चली जाती है। अखिलेश बड़े ही भावुक अंदाज में कहते हैं उत्तर प्रदेश में जिन लोगों की नोटबंदी के दौरान लाइन में लगकर मौत हुई उन्हें प्रदेश सरकार ने दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराई। इतना ही नहीं लाइन में लगी एक महिला की डिलीवरी भी हो गई उसको भी दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराई गई। अखिलेश पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि उन्होंने प्रदेश का विकास किया। आगरा से लखनऊ और लखनऊ से बलिया तक एक्सप्रेस वे का जो निर्माण कार्य सोचा है उससे पूरे प्रदेश को फायदा होगा। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे की शुरुआत भी हो चुकी है। कांग्रेस के साथ आने के सवाल पर अखिलेश कहते हैं कि कांग्रेस का साथ मिलने से साइकिल की रफ्तार बढ़ गई है।
बसपा प्रमुख मायावती को लेकर अखिलेश बड़ी ही सहजता के साथ जवाब देते हैं कि पहले चरण में ही बसपा ने हार मान ली है और अब तो विपक्ष में भी बैठने के लिए तैयार हो गई है। अखिलेश के पास हर सवाल का जवाब तैयार है इसलिए वे बार-बार यही कहते हैं कि आप लखनऊ की जनता से पूछिए, उधर प्रदेश की जनता से पूछिए कि विकास हुआ है कि नहीं? अखिलेश प्रदेश सरकार द्वारा कराए गए विकास के कामों की लंबी सूची बताते हैं, साथ ही यह भी कहते हैं कि अगर विकास नहीं हुआ है तो जनता को तय करना है कि वह कैसा शासन चाहती है। अखिलेश पूरे दिन की सात सभाओं को संबोधित करने के बाद फिर अगले दिन की रणनीति बनाते हैं और पत्रकारों से भी रूबरूहोकर हर सवाल का जवाब देते हैं। आठ मार्च को उत्तर प्रदेश में अंतिम चरण का मतदान है और छह मार्च की शाम पांच बजे तक प्रचार कार्यफ्म निर्धारित है। अखिलेश यादव हर कार्यफ्म को गंभीरता से लेते हैं और वे कहते हैं उनका लक्ष्य है कि वे प्रचार के लिए एक-एक सीट पर पहुंचें।
जीवनसाथी की साइकिल दौड़ाने में आगे
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नौज से सांसद डिंपल यादव की प्रचार के लिए मांग लगातार बढ़ती जा रही है। पहले डिंपल यादव ने तय किया था कि वे केवल उन्हीं इलाकों में प्रचार करेंगी जहां से पार्टी ने महिला उम्मीदवार उतारे हैं। सार्वजनिक मंच पर भाषण देने से बचने वाली डिंपल यादव की सभाओं में उमड़ रही भीड़ और उनके भाषणों ने आम आदमी को लुभाना शुरू कर दिया है। किसी मजे हुए नेता की तरह डिंपल एक-एक बात को बड़े ही सहज ढंग से कहती हैं और लोगों को प्रभावित कर रही हैं। समाजवादी पार्टी की स्टार प्रचारक के तौर पर डिंपल अखिलेश के बाद सबसे ज्यादा डिमांड पर हैं। युवा समर्थक डिंपल को भाभी कहते हैं तो वे भी उसी जोश के साथ कहती हैं कि अपने भैया को जी-जान से जिताने में जुट जाइए। पार्टी के सोशल मीडिया का काम संभालने वाली डिंपल यादव आउटलुक से कहती हैं कि जब जरूरत पड़ी तो वे जनता के बीच खड़े रहे हैं। इससे पहले चुनावी सभाओं से बचने वाली डिंपल कहती हैं कि मुख्यमंत्री पर जिस तरह से प्रहार किया जा रहा है उससे उन्हें लगा कि साथ देना चाहिए इसलिए वे पूरे जोश के साथ प्रचार कर रही हैं। डिंपल कहती हैं कि अखिलेश यादव ने प्रदेश का विकास किया है जबकि भाजपा नेता सिर्फ बातें करते हैं। लखनऊ कैंट सीट से देवरानी अपर्णा यादव के प्रचार के दौरान आउटलुक के प्रतिनिधि ने पूछा कि आपके प्रचार का मुख्य मुद्दा क्या है? इस पर उनका जवाब था कि दूसरे दलों के लोग कहते हैं कि समाजवादी पार्टी में चार-पांच मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनके पास तो मुख्यमंत्री का चेहरा ही नहीं है। अखिलेश के समर्थन के साथ-साथ डिंपल यह भी कहती हैं कि पूरा परिवार एकजुट है किसी प्रकार का मतभेद नहीं है। डिंपल बड़े ही गर्व के साथ कहती हैं कि उत्तर प्रदेश के विकास के आगे गुजरात के विकास का मॉडल फेल है। मुख्यमंत्री के बाद पार्टी में सबसे अधिक सभाएं डिंपल यादव ही कर रही हैं। अभी कई चरणों का चुनाव बाकी है और उन जगहों से भी प्रचार के लिए लगातार मांग उठ रही है। प्रदेश सरकार की योजनाएं डिंपल यादव के भाषण का हिस्सा हैं तो सोशल मीडिया पर प्रचार की पूरी रणनीति वे तैयार करती हैं। सुबह से लेकर देर रात तक काम करना अब उनकी आदत में शुमार हो गया है। सुबह प्रचार की रणनीति तो दिन में क्षेत्र में प्रचार और शाम को अगले दिन की तैयारी में जुट जाना। यही डिंपल की दिनचर्या है। उसमें बच्चों को समय देने के साथ-साथ अखिलेश यादव के साथ मिलकर रणनीति भी तैयार करती हैं कि चुनाव के अगले चरण की कैसे तैयारी करनी है। इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद अखिलेश यादव डिंपल यादव को बड़ी जिम्मेवारी दे सकते हैं।