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फैसला बेटे-बेटियों की प्रतिष्ठा का

अमेठी-रायबरेली में कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए लगाया जोर
एक जनसभा में राहुल गांधी और प्र‌ियंका गांधी

राजनीति में युवा भागीदारी के बढ़ते सरोकारों और गहरे असर का एहसास सिर्फ  'यूपी को यह साथ पसंद है’ नारे से ही नहीं होता, बल्कि कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गंाधी की अतिशय सक्रियता ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को नई ऊर्जा और नई दिशा दी है।प्रियका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारने की कंाग्रेस संगठन के युवा कार्यकर्ताओं और 'पुराने’ कांग्रेसियों के आग्रह को इस चुनाव में नई रोशनी भी मिली है। विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में प्रियंका-राहुल की जोड़ी ने अपनी पार्टी कांग्रेस के पारंपरिक और पुश्तैनी क्षेत्र की किलेबंदी कर इसे 'सेफ’ बनाने के लिए जो मशक्‍कत की, वह कितनी कामयाब होगी, यह तो चुनाव परिणाम बताएंगे पर प्रियंका की बेहद मशक्‍कत भरी सक्रियता और उनकी सभाओं में उमड़ी भीड़ ने युवाओं के साथ ही पुराने कांग्रेसियों और युवतियों-महिलाओं के साथ कांग्रेस विरोधियों के कान खड़े कर दिए। रायबरेली और अमेठी की विधानसभा और लोकसभा कांग्रेस की सीटें पारंपरिक सीटें  मानी जाती रही हैं। गांधी परिवार के नई पीढ़ी के भाई-बहन राहुल और प्रियंका की इन सीटों पर बराबर निगरानी के संकेत और प्रमाण मिलते रहे हैं। इसके बावजूद 2012 के पिछले विधानसभा चुनावों में रायबरेली की सभी छह विधानसभा सीटें कांग्रेस के हाथ से निकल गईं। इसे चुनौती मानते हुए कांग्रेस के युवा कर्णधार प्रियंका और राहुल ने रायबरेली में अपने संयुक्‍तअभियान और उपस्थिति से अनेक कंाग्रेस-सपा गठबंधन विरोधी चर्चाओं और कयासों पर विराम लगा दिए।

प्रियंका और राहुल दोनों का ही रायबरेली दौरे में आक्रामक मुद्रा में दिखाई पडऩा कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पार्टीजनों में ठंडे पड़ते उत्साह को नई दिशा देने में प्राय: कामयाब रहा। सामान्य तौर पर शांत और शालीन प्रियंका पूरे तेवर में संभवत: पहली बार किसी राजनीतिक चुनाव सभा में उतरीं। रायबरेली के महाराजगंज की सभा में प्रियंका ने प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती दी- 'यूपी को किसी गोद लिए बेटे की कोई जरूरत नहीं।’ प्रियंका के यह कहने पर कि पीएम मोदी ने बैंकों और एटीएम पर घंटों-घंटों खड़े रहने को मजबूर कर महिलाओं पर अत्याचार किया। इसका खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा।

रायबरेली में उमड़ी भीड़ को देखकर गदगद राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 'दिल वाले दुल्हनियां ले जाएंगे’ के हीरो शाहरुख खान की तरह 'अच्छे दिन’ के खूब बड़े-बड़े सपने दिखाए, पर अंत में बुरा हुआ और अंत में वे 'शोले’  के गब्‍बर सिंह बन गए। उनके इस भाषण पर बार-बार तालियां बजाते, युवक सभा में ही नाचने लगे। राहुल ने कहा कि कांग्रेस किसानों की कर्ज माफी पहले ही दे चुकी है। मोदी सरकार यूपी के विकास में अड़ंगेबाजी कर रही है। खुद मोदी का चुनाव क्षेत्र बनारस बदहाल है। वहां कुछ नहीं हुआ। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बदला लेने की राजनीति करते हैं। रायबरेली और अमेठी की जनता का गांधी परिवार की बिटिया प्रियंका और बेटे राहुल के प्रति पुराना लगाव है। प्रियंका का भी खासकर रायबरेली से जो जुड़ाव है, उसे देखते हुए पार्टी के लोग 2014 में ही उन्हें यहां से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने की जिद पर अड़े थे। अब विधानसभा चुनाव में सपा के साथ कंाग्रेस के गठबंधन से कई सीटों पर उभरे असंतोष को समाप्त करने के लिए प्रियंका की पहल और गठबंधन के लाभों तथा सीटों के बंटवारे की गहन समीक्षा कर जीत का रास्ता तय करने उनके प्रयासों के सार्थक परिणामों के प्रति पार्टीजनों का आशान्वित होना स्वाभाविक है। सभी पार्टीजन इस बात पर एक राय थे कि 2019 में प्रियंका को लोकसभा सीट पर चुनाव लडऩा ही चाहिए, दौरे के दौरान 'रायबरेली प्रियंका के साथ है’ का नारा गूंजना स्वाभाविक था। प्रियंका की पसंद बछरावां सीट से कांग्रेस उम्‍मीदवार साहब शरण, सदर सीट पर भाग्य अजमा रहीं विधायक अखिलेश सिंह की पुत्री अदिति की सभाओं में उमड़ी महिलाओं की भीड़ को उम्‍मीदवारों का कम बल्कि प्रियंका का करिश्मा ज्यादा माना जा रहा है। कुल मिलाकर प्रियंका और राहुल का संयुक्‍त रायबरेली चुनावी दौरा यूपी की बेटी-बेटे बनाम यूपी के गोद लिए बेटे के बीच चुनाव का मुद्दा मतदाताओं के सामने सवालिया निशान छोड़ गया है।  

 

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