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रंगून वाली कंगना की रंगीनियां

कभी नकारी गई अभिनेत्री एक और फिल्म में धमाल मचाने को तैयार
रंगून में सलमान खान के साथ कंगना

विशाल भारद्वाज अपनी फिल्मों में किरदारों को एक खास टच देने के लिए जाने जाते हैं। ओंकारा का लंगड़ा त्यागी आज तक लोगों को याद है। उनकी नई फिल्म रंगून के किरदारों ने भी दर्शकों में फिल्म को लेकर एक सहज उत्सुकता जगा दी। अलग-अलग फिल्मों में कुछ हटके किरदार निभाने वाली कंगना इसमें भी अलहदा ही दिख रही हैं। माना जा रहा है कि तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के बाद ये कंगना की ब्‍लॉक बस्टर फिल्म हो सकती है।

फिल्म की रिलीज से पहले ही इसे लेकर अनुमानों का दौर चलाया जा रहा था कि क्‍या फिल्म द्वितीय विश्व युद्ध पर आधारित है और क्‍या इसमें बर्मा पर जापानी सेना के हमले से प्रेरणा ली गई है। खैर, 24 फरवरी को फिल्म के रिलीज के साथ वो सस्पेंस तो खत्म हो चुका है मगर रिलीज से पहले फिल्म कई वजहों से चर्चा में बनी रही। फिल्म को कॉपीराइट चोरी के आरोप में अदालत में घसीटा गया तो दूसरी ओर कंगना रनौत के हॉट सीन्स के ट्रेलर ने इसे रिलीज से पहले ही खासी सुर्खियां दिला दीं। खुद कंगना ने फिल्म के प्रचार के दौरान शाहिद कपूर के साथ अपने किसिंग सीन को लेकर मीडिया से खूब चर्चा की। फिल्म में शाहिद कपूर सेना अधिकारी की भूमिका में हैं जिससे कंगना प्यार कर बैठती है। हालांकि फिल्म का एक कोण सैफ अली खान भी हैं और उनके साथ भी कंगना के हॉट सीन हैं। इन दृश्यों की वजह से ही फिल्म को सेंसर से यू/ए सर्टिफिकेट मिला।

शुरू में करीब तीन घंटे की इस फिल्म को निर्देशक विशाल भारद्वाज ने रिलीज से कुछ दिन पहले और छोटा करने का फैसला किया और इसके कारण फिल्म के 40 मिनट के दृश्यों पर कैंची चला दी। अब यह करीब दो घंटे की फिल्म है जिसे आज की युवा पीढ़ी के लिहाज से सही माना जा रहा है क्‍योंकि इस पीढ़ी को लंबी फिल्में ज्यादा नहीं लुभातीं।

फिल्म सिनेमाघरों में पहुंचने से पहले प्रचार अभियान के दौरान भी चर्चा के केंद्र में रही। कंगना को यूं ही काफी मुंहफट अभिनेत्री माना जाता है और इसका एक अहसास बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक करण जौहर को भी इस प्रचार अभियान के दौरान हुआ। दरअसल करण ने टीवी के अपने कार्यफ्म कॉफी विद करण में कंगना और सैफ को आमंत्रित किया था। इसी दौरान यह जिफ् छिड़ा कि कॅरिअर की शुरुआत में किन लोगों ने कंगना को खारिज कर दिया था। ऐसा करने वालों में खुद करण जौहर भी एक थे जिन्होंने कहा था कि बॉलीवुड में इस लडक़ी का कुछ नहीं हो सकता। कंगना ने कार्यफ्म में करण को न सिर्फ यह वाकया याद दिलाया बल्कि करण को यह भी कहना पड़ा कि तब वे गलत थे।

ऐसे ही व्यापक प्रचार अभियान ने फिल्म को इतनी शोहरत दिला दी कि अब रंगून नाम भी लोगों की दिलचस्पी का केंद्र बन गया है। आजादी से पहले बर्मा की राजधानी रंगून दरअसल भारतीय नागरिकों की बहुतायत वाला शहर हुआ करता था। जापानी सेना ने वर्ष 1941-42 में बर्मा पर अधिकार जमा लिया था और पूर्वोत्तर इलाके से भारत में प्रवेश की तैयारी में थी मगर तब भारत पर जापानियों के कब्‍जे को रोकने के लिए ब्रिटेन की सेना ने खूनी संघर्ष कर बर्मा को जापान के कब्‍जे से मुक्‍त कराया था। रंगून में भारतीयों की आबादी कितनी थी इसे 1931 की जनगणना से समझा जा सकता  है जिसके अनुसार तब वहां 10 लाख के करीब भारतीय थे। जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर आफ्मण के 16 दिन बाद 23 दिसंबर 1941 को बर्मा पर हमला किया और बर्मा में इस हमले से घबराए भारतीयों ने वहां से पलायन शुरू कर दिया था। इतिहास अपनी जगह, रंगून अब सिनेमाघरों में है और उम्‍मीद है कि विशाल भारद्वाज की अन्य फिल्मों की तरह दर्शक इसे भी सिर-माथे पर रखेंगे।

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