नेताओं के लिए चुनाव की हांडी तो हमेशा चढ़ी ही रहती है और वे जीत-हार का स्वाद चखते ही रहते हैं। लेकिन यहां उनकी पसंद या नापसंद मायने नहीं रखती। चुनाव की हांडी में जनता उनके लिए जो पकाती है नेताओं को खाना पड़ता है। लेकिन रोजमर्रा के वास्तविक भोजन में उनकी अपनी-अपनी खास पसंद है। अभी हो रहे चुनाव के दौरान उनके भोजन को देखकर उनकी फुर्ती औरखुराक के राज की झांकी मिल रही है। देश की राजधानी दिल्ली के लुटियन जोन से अब देशी और सडक़ छाप भोजन की अलहदा गंध आने लगी है। यहां के सबसे महत्वपूर्ण पते यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रेस कोर्स स्थित आवास में गुजराती व्यंजनों का खासा दबदबा हो गया है। देश के नेताओं के यमी (लजीज) खाने के फंडे में सेंध लगाएं तो वहां सेहत और स्वाद दोनों का मेल मिलेगा। अभिजात्य (इलीट) और सडक़ छाप भोजन का ऐसा फ्यूजन मिलेगा कि आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खिचड़ी और कढ़ी के मुरीद हैं तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी बार-बार छोले कुलचे खाने को मचल उठते हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आलू टिक्की खाने से अपने को रोक नहीं पाते तो स्मृति ईरानी सडक़ किनारे गोल गप्पे और चाट खाने का लोभ संवरण नहीं कर पाती हैं। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी फिश वाइन (वाइन से भीगी मछली) पसंद के लिए मशहूर हैं। समोसा तो कुछ नेताओं की दुखती नस है। नितिन गडकरी को घर में बने पोहे से बेहतर दुनिया का दूसरा कोई खाना नहीं लगता।
कुछ ऐसे लजीज भोजन हैं जो नेताओं की स्वाद ग्रंथियों से चिपक से गए दिखते हैं। चाह कर भी वे उनसे नजरें नहीं चुरा सकते, भले ही वे स्वास्थ्य के लिहाज से उतने अच्छे न समझे जाते हों। कुछ बड़े नेता तो इतने भोजन भट्ट निकले कि अंतत: सेहत के मद्देनजर उन्हें अपनी भूख कम करानी पड़ी। सर्जरी के जरिये पेट के साइज कम कराने पड़े। लेकिन अब भी उनकी निगाहें अपने पसंदीदा खान-पान को ढूंढ़ती रहती हैं। कुछ निवाले ही सही, अपने रुचिकर व्यंजन को चखे बिना उन्हें चैन ही नहीं आता। पेट से होते हुए उनके दिलों तक राह बनानी है तो उनके ये पसंदीदा भोजन बड़े काम के साबित हो सकते हैं। चुनावों में कुछ नेताओं की चुस्ती-फुर्ती देख कर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर किस चक्की का आटा खाते हैं नेता जी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'न खाता हूं, न खाने देता हूं’ के जुमले पर मत जाइए। इसमें खाना एक प्रतीक भर है जिसका निहितार्थ जनता के पैसे को हजम करने से है। लेकिन जहां तक पेट की भूख शांत करने एवं स्वाद का सवाल है तो उनके खाने में गुजराती स्वाद रचा-बसा है। खाने की बहुत सी चीजें मोदी जी को मां की याद दिलाती रहती हैं। इन खानों से उनके प्रेम का पता इसी बात से चलता है कि उनका पुराना रसोइया अब भी उनके साथ है।
पीएम मोदी खिचड़ी-कढ़ी के ऐसे मुरीद हैं कि मत पूछिए। बघारेली खिचड़ी खास कर उन्हें बहुत प्रिय है। अपने चुनाव क्षेत्र बनारस जब-जब गए उन्होंने खिचड़ी की फरमाइश जरूर की। वे शाम को ज्यादातर खिचड़ी ही खाते हैं। उनके अन्य पसंदीदा आहार में उपमा, बाइकरी (भाखरी) खाकरा, भिंडी कढ़ी, खिली हुई खिचड़ी, खट्टा ढोकला, खांडवी, श्रीखंड, गर्म ठेपला, आम की चटनी, आम का अचार, दूध-दही शुमार हैं। खांडवी चाय पीने के समय उनका पसंदीदा स्नैक है। खांडवी से सरसों के बीज व करी पत्तों की खुशबू आए तो क्या कहने। कभी-कभी दक्षिण भारतीय आइटम इडली-डोसा भी चाव से खाते हैं। चुनाव की भाग-दौड़ में नींबू पानी का सेवन उनके स्टैमिना को बनाए रखता है। इस फ्म में ज्यादातर सुपाच्य खिचड़ी ही लेते हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही कढ़ी-खिचड़ी खाना सबसे अधिक पसंद है। अन्य गुजराती डिश भी उन्हें अच्छे लगते हैं। पीएम मोदी से बहुत कुछ मिलता जुलता। उनकी एक खास पसंद रही है और वह है केला, लेकिन मधुमेह की वजह से अब वे उसे मन भर नहीं खा पाते। चुनाव की व्यस्तता में अभी तो जो मिल जाए खा लेते हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली जाने-माने फूडी रहे हैं। छोले-भटूरे उन्हें बहुत पसंद हैं। पहले वे कनॉट प्लेस के क्वालिटी रेस्तरां में अक्सर इसका स्वाद लेने जाया करते थे। भूख कम करने की सर्जरी के बाद अब भी कभी-कभार उसका स्वाद चख ही लेते हैं। मोती महल का चिकन बटर मसाला स्वास्थ्य कारणों से अभी छोडऩा पड़ा है। लगभग शाकाहारी हो गए हैं। उन्हें अपने पसंदीदा भोजन दाल मीट से भी अभी परहेज करना पड़ा है।
जेटली को अमृतसर के पिछले लोकसभा चुनाव में भले ही जीत का स्वाद चखने को नहीं मिला लेकिन अमृतसर प्रवास ने उन्हें वहां कुछ डिशों का मुरीद बना दिया। खालिस पुरानी दिल्ली के स्वादों में रचे-बसे जेटली अमृतसर को भारत के भोजनों की राजधानी मानने लगे हैं। वहां रहते जिस अमृतसरी खाने का उन्हें चस्का लगा उसे दिल्ली में ढूंढ कर खाते हैं। इनमें तंदूरी चिकन, चना और आलू तरी, मखान फिश खास है। मसालेदार अमृतसरी खाना उन्हें बहुत भा गया। कुलचा चना और उसके साथ प्याज की चटनी और पूरी-छोले भी उनके मुंह में पानी भरने का सबब बनता है। लोदी गार्डन की चाय भी उन्हें बहुत भाती है।
भूख कम करने की बैरियेट्रिक सर्जरी के बाद भी मनपसंद खाने की चीजें चखने की ललक खत्म नहीं हुई। उनकी सर्जरी करने वाले मैक्स हेल्थ केयर के डॉ. प्रदीप चौबे कहते हैं- ऐसा नहीं है कि सर्जरी के बाद उन्होंने सब कुछ खाना बंद कर दिया है। पसंदीदा खाने की मात्रा जरूर कम हो गई है और खाने में अनुशासित हो गए हैं बस। उनके खाने को लेकर वे आगे कहते हैं- वही पुरानी दिल्ली वाला चस्का है-चाट, समोसा, कचौड़ी आदि खाने की ललक लेकिन अब उस पर बहुत हद तक रोक लगाने में सफल हुए हैं।
केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का सबसे पसंदीदा डिश है पोहा। भूख कम करने की उनकी सर्जरी करने वाले मुंबर्ई के जाने-माने बैरियेट्रिक सर्जन डॉ. मुफ्फजल लकड़ावाला ने फोन पर आउटलुक से कहा कि उनकी खाने की आदतें बदस्तूर जारी हैं लेकिन अब उन्होंने खाने के अपने शौक को थोड़ा साध लिया है। उन्होंने कहा कि घर का बना पोहा हो तो उसके सामने उन्हें दुनिया की कोई दूसरी चीज अच्छी नहीं लगती है। लेकिन पनीर से पूरी तरह परहेज रखते हैं। हरी सब्जी खाने के खासे शौकीन हैं। शिमला मिर्च और प्याज की भुजिया बहुत चाव से खाते हैं। समोसा तो मानो उनका जुनून है। यह बरबस ही अटल जी की याद दिलाता है। एम्स में सर्जरी के बाद होश में आने पर अटल बिहारी वाजपेयी डॉ. हेमल से पूछ बैठे थे-खाने को समोसा मिलेगा क्या।
बहुत बड़े फूडी रहे गडकरी को अब एक-आध समोसा खाकर ही संतोष करना पड़ता है। डायबिटीज के अनियंत्रित होने और उसे नियंत्रित करने के लिए सर्जरी कराने के पहले तो वे समोसे पर मानो टूट पड़ते थे। एक बार में तीन-चार से कम में काम नहीं चलता था। मिठाइयों में सोनपापरी, संतरा बर्फी उनकी खास पसंद है। छोले, चटनी, अचार भी उनकी पसंदीदा स्वादों में शामिल है। पाव भाजी और बड़ा पाव भी पसंद करते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को रोटी और अरहर की दाल, बैंगन का झाडिय़ा (झोंगा), भिंडी की भुजिया, आलू का भुर्ता (चोखा) खास पसंद है। खाने के पहले सलाद लेना कतई नहीं भूलते। दोपहर के भोजन में तीन रोटी और दो-तीन चम्मच चावल लेते हैं। चुनाव होता है तो दही चूड़ा सुबह-सुबह खा कर निकलते हैं। आम भी खूब पसंद करते हैं। लेकिन खास बात यह है कि उन्हें खाने से अधिक खिलाने में मजा आता है। मेहमाननवाजी करना कोई उनसे सीखे। नीतीश पूछ-पूछ कर मेहमानों को खिलाते हैं, हर एक मेहमान का खयाल रखते हैं।
लालू यादव के लिए लिट्टी-चोखा, सत्तू तो है ही लेकिन मछली उनका सबसे प्रिय कौर रहा है। अलग-अलग तरह की मछली के व्यंजन उन्हें पसंद हैं। मछली खाने के इतने शौकीन हैं कि खुद भी बनाते हैं। अगर खुद नहीं बनाते तो रसोइये को बताते रहते हैं कि मछली को कितना तलना है, क्या-क्या मसाले देने हैं। छोटी और बड़ी मछली दोनों पसंद करते हैं। मछली में अचार का मसाला मिला कर भी खाते हैं। वे दही को कपड़े में टांग देते हैं और जब सारा पानी गिर जाता है और वह मक्खन जैसा हो जाता है तो उसे चाव से खाते हैं।
उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश सुबह नास्ते में पोहा, दलिया , पराठा, सब्जी लेते हैं। साथ में एक कप काफी भी। खाने के खासे शौकीन हैं। इसका पता इसी बात से चलता है कि उन्होंने अपने रसोइये सुंदरलाल मौर्या के कहने पर उसके गांव के पास की नदी पर पुल बनवा दिया, यह कहते हुए कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें अच्छा भोजन मिलना मुहाल हो जाता। उनका कितना लजीज भोजन बनाता होगा इस प्रसंग से यह भी पता चलता है। आस्ट्रेलिया में पढ़े जरूर हैं लेकिन खाने में लखनऊ ब्वाय ही हैं। बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान वह आस्ट्रेलिया में अपने पसंदीदा भारतीय खाने का रेस्तरां भी खोलने की बात करने लगे थे। वह सपना वहीं रह गया।
केंद्रीय शहरी विकासमंत्री वेंकैया नायडू पहले नानवेज बहुत खाते थे लेकिन भूख कम करने की सर्जरी कराने के बाद से वेजीटेरियन हो गए हैं। केले के पत्ते पर मोलूगोलूकुलू चावल उन्हें बहुत प्रिय है। साथ में चटनी हो तो क्या कहने। दाल, चटनी, फ्राई करी, सांभर, दही, रसम, चिप्स, नमक के संग तली मिर्च उनके भोजन में खास हैं। हैदराबादी चिकन-मटन बिरयानी बहुत चाव से खाते थे लेकिन अब वेज बिरयानी से काम चलाते हैं। चावल, सांभर, सब्जी भी उन्हें काफी पसंद है।
उनके एक करीबी ने कहा कि वेंकैया गजब के फूडी थे। खाते समय स्वाद में इतने तल्लीन हो जाते हैं कि अंग वस्त्रम पर रसम छलक जाता है। पारंपरिक मसालों से बनी चीजें बहुत पसंद है। इन मसालों के तो वे जैसे शब्दकोष हैं। इनके बारे में बातें करते हुए लगता है उनके मुंह से पानी टपक जाएगा। अपने मेहमानों को मसालों का ज्ञान भी देते, मानो मसालों पर प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हों। पहले नॉन वेज के दीवाने थे। कहते हैं कि जब उन्होंने आरएसएस ज्वाइन किया तो लोगों ने उन्हें यह कह कर भडक़ाने की कोशिश की, कहां चले गए, नॉन वेज छोडऩा पड़ेगा। उन्होंने वहां के आरएसएस प्रमुख से पूछ लिया। जब कहा गया कि वे नॉन वेज खा सकेंगे तो वेंकैया की जान में जान आई।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर फ्रूट चाट चाव से खाते हैं। तरबूजा भी उन्हें काफी पसंद है। गोवा के उनके गांव में तरबूजा खाने की कभी प्रतियोगिता होती थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वैसे तो सामान्य रोटी सब्जी खाते हैं लेकिन आलू टिक्की खाने के खासे शौकीन रहे हैं। चुनाव की भागदौड़ में केजरीवाल मूंग की दाल और भुने चने खा कर ही काम चलाते हैं। केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को दिल्ली की चाट और गोल गप्पे बेहद पसंद हैं। कहीं भी दिख जाए तो खाने को ललक उठती है। जब मुंबई चली गई थीं तो दिल्ली के गोलगप्पे की याद बहुत सताती थी। दिल्ली से भाजपा के सांसद भोजपुरी गायक मनोज तिवारी दाल साग से बने पहीता (जिसे दलसग्गा भी कहते हैं) के खासे शौकीन हैं। वैसे सामान्यत: रोटी, चावल, दाल-सब्जी खाते हैं।
इतनी उम्र में भी अच्छी सेहत के मालिक भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भोजन के मामले में सबसे अलग हैं। तेल में तली चीजों से तो दूर-दूर का कभी नाता नहीं रहा। कहें तो वे एकदम तेल शून्य भोजन करते हैं। बहुत कम खाते हैं। उनका संक्षिप्त भोजन यूं है- एक कटोरी दाल, दोपहर और रात के खाने में बमुश्किल एक-दो चपाती। नाश्ते में ब्रेड के दो स्लाइस बटर या जैम के साथ, चाय व कॉफी। एक ग्लास छाछ नियमित पीते हैं। सोने के पहले एक ग्लास दूध भी। कम खाना ही उनके स्वास्थ्य की कुंजी मानी जाती है।
नवजोत सिंह सिद्धू आडवाणी को ही अपना आहार गुरु मानते हैं। उन्हीं से उन्होंने कम खाना सीखा है। बकौल सिद्धू पहले उनका स्वास्थ्य बहुत खराब हुआ करता था। लेकिन आडवाणी से प्रेरित होने के बाद स्वस्थ्य हुए। उनके अनुसार वे पहले नानवेज के सिवा और कुछ खाते ही नहीं थे लेकिन एक बार मांस के लिए पटियाला में एक जानवर का शिकार किया जिसके पेट से बच्चा निकला तो सिद्धू ने तभी से मीट से तौबा कर ली। परांठा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का पसंदीदा भोजन रहा है। मेथी, गाजर, पनीर और प्याज के परांठे भी उन्हें प्रिय हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सीताराम बाजार के लोटन जी छोलेवाले के छोले कुलचे पर लट्टू हैं। वे उनके नियमित ग्राहक हैं। शीला दीक्षित को भी यह बेहद पसंद है। राहुल अल्पहारी हैं। चॉकलेट उनका प्रिय आहार है। वे ब्रेकफास्ट में अक्सर मैगी ले लेते हैं। चुनाव की व्यस्तता में नींबू का रस या डाइट कोला चूसते रहते हैं। उन्हें समुद्रतटीय नान वेज भी आकर्षित करता है। वहीं उनकी मां कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी बहुत अच्छी शेफ रही हैं। पास्ता बहुत अच्छा बनाती है क्योंकि उन्हें यह बहुत पसंद है। यही खिलाकर वह अपनी सास दिवंगत इंदिरा गांधी के दिल तक पहुंची थीं। सलाद ड्रेसिंग के लिए रेड चिली तेल बनाने में पटु हैं। आइसक्रीम भी उनका पसंदीदा स्वाद है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद लुटियन जोन में अपनी मेहमाननवाजी के लिए जाने जाते हैं। मछली और कबाब उनकी खास पसंद रही है।
अब मिलिए जनाब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से। इन पर अच्छी सेहत के स्वाद का वह नशा चढ़ा है कि उन्होंने करीब पिछले 3 सालों से अन्न ही नहीं खाया। दिन के तीन या चार बजे तक 4-5 बार पालक टमाटर और दाल आदि के सूप पीकर ही रहते हैं। फिर शाम को वे ब्रेड के एक स्लाइस के साथ एक चाय पीते हैं। रात को वे सिर्फ हरी सब्जी खाते हैं और कुछ नहीं।
राजनाथ सिंह का खीर कनेक्शन
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अब पूरी तरह शाकाहारी हैं। भोजन के मामले में उनका खीर कनेक्शन खास है। इमरजेंसी में जेल में बंद थे तो पत्नी रोज खीर लेकर जाती थी। खीर आज भी उन्हें उतनी ही प्रिय है। बकौल उनके छोटे बेटे नीरज सिंह जौनपुर के बलीराम हलवाई की इमरती के मुरीद हैं। रोटी, दाल, सब्जी आम तौर पर खाते हैं। चटनी, अचार का शौक कतई नहीं। लेकिन गुड़ हर दिन जरूर चाहिए। सुबह पूजा के बाद सामान्य नाश्ता करते हैं लेकिन शाम को जलपान में भूंजा उनकी खास पसंद है। फरी, चना, मकई या चूड़ा, इनमें से कोई भूंजा हो तो राजनाथ चाव से खाते हैं। बाजरे की रोटी भी अकसर घर में बनवा कर खाते हैं। सुबह अंकुरित चना, एक कोई सब्जी, दो रोटी, फल वगैरह नाश्ते के रूप में लेते हैं। दोपहर का भोजन सामान्य होता है, बहुत वेराइटी नहीं होती। राजनाथ के खाने में सलाद पर खासा जोर रहता है और रात को सोते वक्त एक ग्लास दूध पीना नहीं भूलते। जहां तक चाय का सवाल है तो सिर्फ एक कप चाय दाढ़ी बनाने के समय पीते हैं।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं अभी चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कड़ी मेहनत कर रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती को पहले मछली खाना पसंद था। लेकिन अब वे पूरी तरह से शाकाहारी हैं। खास बात यह है कि वे कभी बाजार और बाहर का बना कुछ नहीं खातीं। केवल घर का बना खाना खाती हैं। इसीलिए गौतम नामक रसोइया हमेशा उनके साथ रहता है। खाना सादा होता है- सूखी रोटी, दाल सब्जी बस। चुनाव प्रचार के लिए जाती हैं तो उडऩखटोले में पानी और ड्राई फ्रूट के अलावा कुछ नहीं खाती। मीठा, दही और म_े से परहेज है लेकिन चाय कई बार पीती हैं।
भाजपा सांसद व केंद्रीय मंत्री उमा भारती को बैंगन का भुर्ता बहुत पसंद है और फल में संतरा भी उनकी पसंद में शामिल है। चाइनीज भी उनका पसंदीदा भोजन है। चाय खूब पीती हैं। तीन बार थोड़ा-थोड़ा खाती हैं। भाजी और पत्तों वाली सब्जी पसंद करती है। बाजरा, मक्का, गेहूं, चना की रोटी खास पसंद है।
उत्तर प्रदेश के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फास्ट फूड बिलकुल पसंद नहीं है। पूरी दुनिया में घूम चुके हैं लेकिन खान-पान में लखनवी ही हैं। बचपन से शाकाहारी अखिलेश जहां भी जाते हैं वहां के खास खाने का स्वाद जरूर चखते हैं। संगीत भी उनकी पसंदीदा खुराक है। चुनावों के सिलसिले में अखिलेश मुंबई गए तो वहां के पेडर रोड का मशहूर बड़ा पाव और भजिया खाया और अपने साथ मौजूद अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को भी खिलाया। पत्नी डिंपल के लिए भी बड़ा-पाव पैक करवाना नहीं भूले।
बनारस गए तो रामनगर की लस्सी और इटावा प्रवास के दौरान अखिलेश के लिए स्थानीय व्यंजन मट्ठा, आलू और परांठे जरूर बनते हैं। अखिलेश का दिन सुबह 6 बजे शुरू हो जाता है। सुबह उठते ही नींबू पानी पीने के बाद एक घंटे की कसरत और आधे घंटे संगीत की खुराक जरूरी है। यहां अंग्रेजी नाटककार शेक्सपियर के नाटक ट्वेल्फथ नाइट की वह लाइन 'अगर संगीत प्यार का भोजन हो’ मौजूं है। हर हाल में उन्हें संगीत का भोजन चाहिए।
सुबह अखिलेश लगभग आठ से साढ़े आठ के बीच परिवार के साथ नाश्ता करते हैं, जिसमें-पोहा, दलिया, परांठा सब्जी मुख्य होता है। साथ में एक कप कॉफी पीते हैं। अभी चुनाव में अखिलेश पूरे दिन में तीन जिलों में सात से आठ रैलियां करते हैं, हजारों लोगों से मिलते हैं और हर समय फूर्ति से लबरेज रहते हैं। घर से सुबह निकलते समय उनकी पत्नी डिंपल यह सुनिश्चित करती हैं कि हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर दोनों में ही घर की बनी पूड़ी-सब्जी के पर्याप्त पैकट, पानी आदि उड़ान से पहले ही रख दिए जाएं।
शाम को लौटने के बाद अखिलेश अपनी चुनाव प्रचार टीम और अपने पार्टी के नेताओं से मिलते हैं और इस दौरान भुने हुए चने के साथ अदरक वाली कडक़ चाय जरूर पीते हैं और सबको पिलाते हैं। रात में बहुत हल्का भोजन लेते हैं। कुछ ही लोगों को पता होगा कि अखिलेश दोनों नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिन व्रत भी रखते हैं।