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इलाके की बनी शान

हरियाणा और पंजाब में भी महिला सरपंचों ने बनाई अलग पहचान
रणजीत कौर ने म‌ह‌िलाओं के ल‌िए बनाई कमेटी

बीते वर्ष पहला मौका था जब हरियाणा के पंचायत चुनाव में इतनी  बड़ी संख्‍या में युवा महिलाएं जीतकर आई हों। इन्हीं में से एक हैं मेवात के गांव सिंगार पंचायत से चुनी गई 22 वर्षीय आमना। आमना ने कंप्यूटर में बीटेक की पढ़ाई की है और वह इंजीनियर हैं। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह एक दिन अपने गांव की सरपंच बन जाएंगी। बात किए जाने पर वह बताती हैं कि हमारा गांव महिला उम्‍मीदवार के लिए सुरक्षित था और पहली दफा चुनाव में शर्त रखी गई कि उम्‍मीदवार को दसवीं पास होना जरूरी है। मैं पढ़ी-लिखी थी और मुझे लगा कि मैं चुनाव में खड़ी हो सकती हूं। आमना का कहना है कि जनता ने भी मुझमें विश्वास जता कर मुझे जिताया। पांच भाई बहनों में आमना चौथे नंबर पर हैं। पिता साहिब खान पटवारी से रिटायर हुए हैं। आमना के अनुसार बेशक वह देश के एक बेहद पिछड़े इलाके मेवात में रहती है लेकिन उसका पूरा परिवार खुले विचारों का है। आमना के सबसे बड़े भाई ने एमए किया है और वह नौकरी करते हैं, उससे छोटे भाई ने बी-कॉम किया है उनका अपना बिजनेस है। उससे छोटे भाई लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं। आमना के पिता साहिब खान का कहना है कि हमारा परिवार चाहता है कि हम हमारे गांव सिंगार को सिंगापुर जैसा बना दें। वह बताते हैं कि आमना के साथ पूरा परिवार उसी काम में लगा है।

आमना बताती है कि उनके पास गांव की महिलाएं अपनी अलग-अलग तरह की समस्याएं लेकर आती हैं। इसके अलावा गांव के लोग छोटे-मोटे काम के लिए आते हैं। ज्यादातर की समस्या रास्तों को लेकर या पानी की निकासी को लेकर होती है। आमना का कहना है कि 'यह सुनकर बहुत दुख होता है कि हरियाणा का मेवात इलाका राज्य में सबसे पिछड़ा क्षेत्र है। यहां अशिक्षा है। लोग यहां आने से डरते हैं। मैं इसपर काम करना चाहती हूं और मुझे गांव की हालत देखकर बहुत दुख होता है, मैं अपनी गांव के लिए कुछ करना चाहती हूं।’ 

इसी प्रकार पंजाब के जिला संगरूर के गांव खेड़ी की सरपंच की कहानी है। खेड़ी गांव की सरपंच रंजीत कौर भी आरक्षित सीट से सरपंच चुनी गई हैं। यह सीट दलित महिला के लिए आरक्षित थी। रंजीत कौर हालांकि पढ़ी-लिखी नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो किया है उसके जरिए पूरे गांव में क्रांति आ रही है। रंजीत कौर ने गांव में महिलाओं की फौज तैयार की। इन्हें टुकडिय़ों में बांटा। इन महिलाओं का काम गांव की दूसरी महिलाओं की समस्याएं सुनकर उन्हें सुलझाने का है। किसी भी महिला को गांव में कोई तकलीफ होती है तो वह इस कमेटी के पास जाती है। 50 वर्षीय रंजीत कौर का कहना है कि पंजाब में शराब और नशा ऐसी समस्या है जिसके चलते घर के घर बरबाद हो गए हैं। शाम होते ही गांव के शराब ठेकों पर लाइन लग जाती है। घर में झगड़े और मार-पीट की यह मुख्‍य वजह है। रंजीत कौर के अनुसार इस वजह से यह कमेटी बनाने की जरूरत महसूस हुई। रंजीत कौर की बनाई कमेटी घरों का दौरा भी करती है। दिन में, रात में कभी भी कोई भी महिला इस कमेटी के सदस्यों के घर जा सकती है या रंजीत कौर के घर जा सकती है।

इसी प्रकार पंजाब के मोहाली जिले के गांव रामपुर बोहाल की 55 वर्षीय सुदेश और इसी जिले की खेड़ी जटां गांव की 52 वर्षीय चरणजीत कौर का नाम इसलिए मशहूर है क्‍योंकि गांव में सफाई और हर प्रकार की सुविधा इन महिला सरपंचों की देन है। सुदेश पढ़ी-लिखी हैं। वह बाहरवीं पास हैं। उनका कहना है कि महिला होने के नाते हमें चीजें ज्यादा बारीकी से समझ आती हैं और जरूरतें भी ज्यादा बेहतर पता होती हैं। सुदेश ने गांव की गलियां पक्‍की करवाने से लेकर रोशनी का बेहतरीन काम किया है। गांव में सोलर लाइटस लगवाया जाना प्रक्रिया में है। सुदेश का कहना है कि जैसे घर में सफाई रखी जाती है वैसे ही हमने संकल्प लिया है कि गांव में सफाई का प्रबंध होगा। गांव में खूब हरियाली है। बच्चों से समय-समय पर पौधरोपण करवाया जाता है। इस गांव में सुदेश की मेहनत को देखने के लिए राज्य सरकार का पंचायती राज विभाग भी गांव का दौरा कर चुका है। सुदेश का कहना है कि बाहरवीं करने के बाद परंपरागत परिवारों की तरह उनके माता-पिता भी यही चाहते थे कि वह प्रतियोगिता एग्जाम देकर किसी छोटी-मोटी सरकारी नौकरी पर लग जाएं लेकिन उन्हें हमेशा से समुदाय के साथ काम करना पसंद था।         

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