अत्याचार पर किसी को भी गुस्सा आना स्वाभाविक है। लेकिन यह तो तय है कि अत्याचार, अन्याय के विरुद्ध लड़ाई जीतने के लिए जरूरी है शांत दिमाग। 'ना हौसला हारेंगे हम’ इसी शांति और धैर्य को स्त्री के सबसे कारगर उपाय के सीरियल के रूप में निरूपित कर रहा है। 'ना हौसला हारेंगे हम’ दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला ऐसा कार्यक्रम है जिसमें यह नहीं बताया जाता कि औरतें, लड़कियां कैसे समस्याओं से लड़ती हैं बल्कि यह बताया जाता है कि जब तक उन्हें सफलता नहीं मिलती वे उससे लड़ती रहेंगी चाहे जितनी मुश्किलें रास्ते में आएं। लड़कियों को हर कीमत पर अपना अधिकार, अपना सम्मान हासिल करना ही है। ना हौसला हारेंगे सिर्फ धारावाहिक नहीं है, यह महिलाओं की अस्मिता की लड़ाई भी है।
जिंदगी में ऐसे कई मोड़ आते हैं जहां अपने साथ छोड़ जाते हैं, फिर भी कुछ होते हैं जो किसी भी परिस्थिति में साथ नहीं छोड़ते। ऐसी ही कहानियां दर्शकों के लिए हैं जिनमें कभी आंखें नम होती हैं तो कभी फैसले की मजबूती मुस्कुराहट ले आती है। ऐसी ही एक मार्मिक कहानी है एक किन्नर की। तमाम सामाजिक विरोधों के बावजूद एक किन्नर गोद लिए बेटे को किन-किन समस्याओं से जूझकर बड़ा करती है। कैसे समाज के भेडिय़ों से उसे बचाती है और खुद का और अपने बेटे का पेट पालती है। दर्शकों की आंखें कई बार इस दास्तां से नम होती हैं। खुद उपेक्षित समुदाय की किन्नर बच्चे को जन्म दिए बिना मां है। वह खुद भूखी रहती है लेकिन बच्चे को खाना खिलाती है। कार्यक्रम के निर्माता और निर्देशक शक्ति कुमार कहते हैं, 'ऐसे कार्यक्रम दर्शकों को न सिर्फ सांत्वना देते हैं बल्कि लडऩे का जज्बा भी जगाते हैं।’ अलग-अलग रंगों में डूबी इन कहानियों में समाज की कई परतें खुलेंगी। 'ना हौसला हारेंगे हम’ में गुर्दा घोटाले जैसी समस्या पर भी रोशनी डाली गई है। अंग प्रत्यारोपण देश की बड़ी समस्याओं में से एक है। शक्ति कहते हैं, 'यह कार्यक्रम ऐसी औरतों को जागरूक करेगा जो कम पढ़ी-लिखी हैं, जिनकी जानकारी का स्तर कम है, जो समाज के दबाव में आकर ऐसा करने के प्रति दबाव महसूस न करें जिसमें उनकी सहमति न हो।’ शक्ति के मुताबिक 'इस कार्यक्रम का उद्देश्य ही है कि कैसे वे अपने अधिकार ले सकती हैं। हमने यह कार्यक्रम कई ऐसी वास्तविक कहानियों पर बनाया है जिससे दर्शक खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। हर व्यक्ति के आसपास ऐसी कहानी होती है जो उसे परेशान करती है। हमारा उद्देश्य समाज की हर उस कमजोर महिला तक पहुंचना है जो नहीं जानती कि उसके भी अधिकार हैं।’
अब तक टेलीविजन पर सिर्फ सजी-संवरी महिलाओं को कुटिल हरकत करते देखने वालों के लिए भी यह एक सकारात्मक बदलाव है। कैसे एक सब्जी बेचने वाले की लडक़ी अधिकारी बन जाती है, कैसे एक लडक़ी आंखों की कमजोर रोशनी होने के बावजूद संगीतकार बनने का सपना पूरा करती है। स्त्री को समझाइश तो बरसों से दी जाती रही है, लेकिन हौसलों के पंख अब दिए जाने लगे हैं। बाल विवाह, दहेज उत्पीडऩ, एसिड अटैक, मानव तस्करी जैसे अपराधों के खिलाफ लडक़र जो सामने आई हैं वही सच्ची विजेता हैं। मिसाल कायम करने वाली औरतें, सिर्फ समास्याएं ही नहीं बतातीं बल्कि उसके समाधान पर भी बात करती हैं। समस्या पर विजय पाने के संघर्ष से कानूनी मदद तक ये प्रेरणादायी कहानियां किसी के भी मन को छूने में सक्षम हैं। नालंदा क्रिएशंस के बैनर तले बन रहे इस कार्यक्रम के बारे में शक्ति कहते हैं, 'महिला सशक्तिकरण के लिए इससे अच्छा प्रयास क्या हो सकता था। हमारा संविधान सभी व्यक्तियों को समान तरीके से जीने का हक देता है लेकिन महिलाओं के बारे में ऐसा नहीं हो पाता। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम बताना चाहते हैं कि संविधान हर वक्त सभी के साथ खड़ा है।’ इस शो की एंकर श्रद्धा सिंह का कहना है, 'इन सफल कहानियों को देखने के बाद महिलाओं में समाज की कुरीतियों से लडऩे के लिए निश्चित रूप से हिम्मत आएगी।’