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बीवी के खूंटे से बंधा गधा हूं

गधे की अच्छी बात यह है कि वह अपने गधेपन से अनजान रहता है, फिर चाहे वह बीवी का गधा ही क्यों न हो
धनंजय कुमार

जैसे ही गधे के महिमा मंडन की खबर फैली, उलाहने के अंदाज में बीवी दौड़ती हुई नमूदार हुई। कहने लगी, 'वाउ देखो, कितना महान गधा है। बिना आराम किए, भूखे पेट भी काम करता है। दिन भर काम करता है। उफ तक नहीं कहता। उस गधे का काम बोलता है। तुम्‍हारा भी काम बोलना चाहिए। मैंने हमेशा पति के रूप में ऐसे ही लद्दू गधे की कल्पना की थी। मैंने तुम्‍हें कभी किसी गधे से कम नहीं समझा। डार्लिंग तुम पर आज प्यार उमड़ रहा है। कितने क्‍यूट गधे लग रहे हो आज मुझे। कोई काम कहती थी तो मुझे लगता था कि तुम मजबूरी में कर रहे हो। लेकिन मुझे यकीन है अब तुम मेरी सेवा को एक विशेष अवसर समझ कर पूरे उत्साह से निभाओगे। अब पूरे गधे बन जाओ और सीनियर गधे से प्रेरणा लो। गधा होने पर अब तुम्‍हें फख्र होना चाहिए।’

बीबी ने आइना दिखाया तो मैं यूरेका अहसास से भर उठा। अच्छा मैं भी गधा हूं? मन किया ढेंचू-ढेंचू करते हुए पागल की तरह यह कहते हुए दौडऩे लगूं, 'यूरेका, यूरेका (मैंने पा लिया, मैंने पा लिया)।’ मन ने कहा, किसी के आए हों या नहीं, मेरे तो अच्छे दिन आ गए। अब मैं उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान हुई 56 इंच की अपनी छाती चौड़ी कर, सीना ठोंक कर यह बात शान से कह सकता हूं कि मैं एक पति हूं,  बीवी के खूंटे से बंधा गधा। सोचता हूं टीवी और अखबारों में विज्ञापन देकर यह मुनादी करूं कि मुझे अब पति होने पर फख्र है। मुझ अकिंचन गधे को मानो ऑस्कर मिल गया। मैं सेलिब्रिटी हो गया। साला मैं तो साहब बन गया।

बड़े मौके पर गधा महिमामंडित हुआ है। होली की खुशी दोगुनी हो गई है। सुरूर सा छा गया है। होठों से बार-बार बरबस गुनगुना उठता हूं, 'रंग बरसे भीगे गधे वाली।’ मन मयूर यह सोच कर नाच उठा, पत्नी की ठोकरों में रहने का अब मजा ही कुछ और होगा। लोग अब हमें हिकारत भरी नजर से नहीं देखेंगे। मेरी किस्मत से जल भुन उठेंगे। ऐसे सम्‍मान से देखेंगे मानो किसी ने मुझे नेरोलेक सुरक्षा पेंट से रंग दिया हो। सोचता हूं साइकिल पर लखनऊ एक्‍सप्रेस-वे पर एक चक्‍कर लगा आऊं। भला हो उस साइकिल वाले का जिसने चुनाव में नाचीज गधे को मुद्दा बना दिया। पीके था क्‍या?   

पति के रूप में मैं अब कोई आमफहम जीव नहीं रह गया, एक प्रेरक प्रसंग हो गया हूं। तमन्नाएं ढेंचू-ढेंचू कर जाग उठी हैं। अरमान मचल उठे हैं। इस चुनाव ने तो गधों के दिन ही फिरा दिए। गधे को इतना बड़ा प्रचार शायद ही पहले मिला होगा। कहिए तो गधा भारी मतों से जीता है। उसकी अभूतपूर्व जीत हुई है। यह चुनाव और किसी बात के लिए याद किया जाए या नहीं, गधे को इज्जत बख्‍शने के लिए जरूर याद किया जाएगा। कहना पड़ेगा, 'हर गधे का दिन आता है या चाहें तो हर पति का दिन आता है कह लें।’ लेकिन जिस शख्‍स ने मुझ गधे को इज्जत बख्‍शी है वह अलग तरह का गधा है। वह बीवी के खूंटे की रस्सी तुड़ा कर भाग निकला गधा है। अब वह देश की चाकरी करने का दावा करता है। उसका आसान काम देख कर उससे जलन जरूर होती है। उसे जुमले फेंकने के अलावा और कोई काम नहीं करना पड़ता है। काश! मैं भी उनके जैसा ही घुमक्‍कड़ गधा बन सकता। बड़ी-बड़ी बातें कर सकता। देश-विदेश घूमता। लेकिन इस खुशगवार मौके पर मैं आंसू नहीं बहाना

चाहता। किसी भी तरह का सही, गधा हूं यही क्‍या कम है।

बिग बी ने गधे का प्रचार कर उसे बिग जी बना दिया है। मन करता है चिडिय़ाघर सीरियल के नौकर के किरदार के नाम पर अपना नाम गधा प्रसाद रख लूं। मैं बिग बी से यह शिकायत कतई नहीं करूंगा कि वह गधे का प्रचार क्‍यों कर रहे हैं। वह गधे का कई सालों से प्रचार कर रहे हैं लेकिन खुल कर नहीं कर रहे थे। लेकिन अब समय आ गया है कि वह खुल कर गधे का प्रचार करें। अगर गधे से ईष्र्या हो रही है तो पते की बात बताऊं, आप सभी खुद को गधा समझ सकते हो। आयडिया आ रहा है एक बेस्टसेलर लिख डालूं, 'एक पति की आत्मकथा।’

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