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जीवेत शरद: शतम

सार-समाचार
कार्यक्रम में व‌िचार व्यक्त करते वक्ता

शतायु होने की कामना के साथ प्रखर पत्रकार, माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र का 81वां जन्मदिन पत्रकारों, बुद्धिजीवियों ने मनाया। सहस्त्र चंद्र दर्शन जन्मोत्सव में आत्मीयता की झलक के साथ पत्रकारिता के तेवर भी थे। विभिन्न क्षेत्रों से आए दिग्गजों ने अच्युतानंद जी के शतायु होने की कामना के साथ अखबारों और खबरों के अवमूल्यन पर भी अपने विचार रखे। हिंदी पत्रकारिता के विकास के लिए संघर्ष करने वाले अच्युतानंद मिश्र के लिए उस शाम का इससे बेहतर उपहार नहीं हो सकता था।

हिंदुस्थान समाचार (बहुभाषी संवाद समिति) ने इस गरिमामय समारोह का आयोजन किया था। मिश्र जी को शॉल ओढ़ाकर और श्रीफल देकर उनका अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर उन्हें प्रशस्ति पत्र भी दिया गया। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने समारोह में हिंदी पत्रकारिता पर आयोजित गोष्ठी की शुरुआत की और कहा मीडिया पूंजी, सत्ता और मुनाफे का रसायन बनाती है। मीडिया के नियमन की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने पेड न्यूज पर चिंता व्यक्‍त की और कहा कि मीडिया में भ्रष्टाचार पत्रकारों की बजाय मालिकानों की देन है। हिंदुस्थान समाचार (बहुभाषी संवाद समिति) के अध्यक्ष एवं सांसद आरके सिन्हा ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता में धीरे-धीरे विकृतियां आई हैं जो विकराल रूप ले रही हैं। कार्यफ्म में समाजवादी चिंतक एवं स्तंभकार रघु ठाकुर, आउटलुक के संपादक अलोक मेहता, माधव सप्रे संग्रहालय के विजय दत्त श्रीधर, वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव, पूर्व सांसद डॉ. महेश चंद्र शर्मा और प्रसिद्ध साहित्यकार चित्रा मुद्गल ने भी संबोधित किया। अच्युतानंद मिश्र ने आयोजकों और उपस्थितजनों के प्रति आभार और कृतज्ञता ज्ञापित की। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ा संकट पत्रकारिता के समक्ष उसकी विश्वसनीयता को लेकर है। संचालन हिंदुस्थान समाचार के प्रधान संपादक राकेश मंजुल ने किया। हिंदुस्थान समाचार निदेशक मंडल के उपाध्यक्ष जगदीश उपासने ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

परिवर्तन की बयार

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान और प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक परिवर्तन की ओर का विमोचन केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र  प्रधान और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने किया। यह पुस्तक केंद्र सरकार की नीतियों, घोषणाओं और योजनाओं पर केंद्रित है। इसमें देश के 28 लेखकों ने लगभग 35 योजनाओं पर लेख लिखे हैं। पुस्तक का संपादन वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय और फाउंडेशन में रिसर्च फेलो एवं नेशनलिस्ट ऑनलाइन के संपादक शिवानंद द्विवेदी ने किया है। धर्मेंद्र प्रधान ने सरकार की नीतियों से आम लोगों के जीवन में हो रहे परिवर्तन और उसके असर को सटीक तरीके से अपने वक्‍तव्य में रखा। विशिष्ट अतिथि श्याम जाजू ने अपने गांव के उदाहरण से समझाया कि कैसे नई सरकार ने तकनीक, आधारभूत संरचना पर ध्यान दिया जिससे आम लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया। दरअसल यह पुस्तक ऐसी ही योजनाओं के बारे में लिखी गई है। इस मौके पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध अधिष्ठान के निदेशक डॉ. अनिर्बान गांगुली भी थे। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक केंद्र सरकार की योजनाओं, नीतियों का स्वतंत्र चिंतन करने वाले बुद्धिजीवियों द्वारा किया गया मूल्यांकन है। संपादक द्वय अनंत विजय और शिवानंद द्विवेदी ने भी पुस्तक के बारे में अपनी बात रखी। अनंत विजय ने विचारधारा को लेकर पक्षपात और किसी खास विचारधारा को अलग-थलगकिए जाने पर बहुत मुखरता के साथ अपने विचार रखे। कार्यफ्म का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रबंध निदेशक प्रभात कुमार ने किया।

नेहा दीक्षित को चमेली देवी पुरस्कार

'राष्ट्रीयता का सच से हमेशा दुरूह रिश्ता होता है।’ यह बात सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के प्रताप भानु मेहता ने बीजी वर्गीज स्मृति व्याख्‍यानमाला में कही। इस बार व्याख्‍यानमाला का विषय था, हमारे समय में सच और राजनीति। इस मौके पर मीडिया फाउंडेशन की ओर से चमेली देवी जैन अवॉर्ड भी दिया गया। हर साल साहसिक और अलग हट कर पत्रकारिता करने वाली किसी महिला पत्रकार को यह पुरस्कार दिया जाता है। इस बार यह पुरस्कार स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित को उनके लेख 'ऑपरेशन बेबी लिफ्ट’ के लिए दिया गया। अपनी बात खत्म करते हुए मेहता ने जापानी लेखक हारुकी मुराकामी को उद्घृत करते हुए कहा, 'राष्ट्रीयता सस्ती शराब है, जो थोड़ी सी पीने के बाद ही आपको बौखला देती है और आप ऊंची आवाज में बोलते हैं। लेकिन जब इसका खुमार उतरता है तो आपके पास इसके सुरूर के सिवा कुछ नहीं रहता।’ व्याख्‍यानमाला के साथ एक वार्ता भी थी जिसमें स्वराज अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव और ऑब्र्जवर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो अशोक मलिक भी मौजूद थे।

 

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