उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती सरकार बनाने की दौड़ में भले ही तीसरे नंबर पर आई हों मगर कम से कम दो मामलों में तो उनके विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी को बहुत पीछे छोड़ दिया है। विधायकों की वित्तीय स्थिति और आपराधिक मामलों में भाजपा-सपा दोनों ही बसपा के सामने नहीं टिकते। यही नहीं पिछली विधानसभा केमुकाबले इस बार यूपी की विधानसभा में जिधर देखें उधर करोड़पति ही नजर आएंगे। पिछली बार के मुकाबले इस बार स्थिति इतनी बदल गई है कि 2012 की विधानसभा में जहां 402 विधायकों की औसत संपत्ति 3.36 करोड़ रुपये थी वो इस बार बढक़र 5.92 करोड़ रुपये हो गई है। यही नहीं इस बार विधानसभा के 80 फीसदी यानी कुल 322 विधायक करोड़पति हैं जो कि अपने आप में रिकार्ड है। वैसे पिछली विधानसभा के मुकाबले इस बार अपराधियों के मामले में भी सकारात्मक बदलाव देखने को आया है। वर्ष 2012 में चुनी गई विधानसभा में जहां 189 (47 फीसदी) विधायकों पर आपराधिक मामले थे वहीं इस बार सिर्फ 143 (36 फीसदी) विधायकों पर ऐसे मामले हैं।
अगर हम पैसे वाले विधायकों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के कुल जीते 312 विधायकों में से 246 विधायक करोड़पति हैं यानी पार्टी के कुल 79 फीसदी विधायक करोड़पति क्लब में शामिल हैं। सपा के 46 में से 39 (85 फीसदी) और बसपा के 19 में से 18 यानी 95 फीसदी विधायक करोड़पति हैं। वैसे खास बात यह है कि बसपा के सिर्फ 19 विधायक जीते हैं मगर राज्य के शीर्ष दस करोड़पति विधायकों में उसके तीन विधायक शामिल हैं। शीर्ष दस की लिस्ट में भाजपा के 5, सपा का एक और राष्ट्रीय लोकदल का एक विधायक शामिल है।
राज्य के सबसे धनी विधायक हैं मुबारकपुर से जीते बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डïू जमाली जिन्होंने चुनाव नामांकन पत्र के साथ दिए शपथपत्र में अपने पास 118 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की घोषणा की है। शाह आलम के साथ खास बात यह है कि उन्होंने इन चुनावों में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव (पूर्व मुख्यमंत्री नहीं) को हराया है। शाह आलम पेशे से कारोबारी हैं और इससे पिछली विधानसभा में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी। धनवान विधायकों की सूची में दूसरे नंबर पर हैं चिल्लूपार से जीते बसपा के ही विनय शंकर जिन्होंने अपने पास 67 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। भाजपा की रानी पक्षालिका सिंह आगरा के बाह सीट से जीती हैं और भाजपा की सबसे धनवान विधायक हैं। हालांकि उनकी संपत्ति शाह आलम से करीब-करीब आधी है। रानी पक्षालिका सिंह ने 58 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। शीर्ष दस धनवानों की सूची में समाजवादी पार्टी का एक नाम भी शामिल है। सूची में आठवें नंबर के धनवान सुभाष पासी सैदपुर सुरक्षित सीट से जीते हैं और उनके पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति है। खास बात यह है कि इसमें से 37.64 करोड़ रुपये अचल संपत्ति के रूप में है। टॉप 10 की इस सूची में राष्ट्रीय लोकदल के सहेंद्र सिंह भी शामिल हैं जो छपरौली से जीते हैं और उनके पास 38 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
जब हम धनवानों की बात करते हैं तो सबसे कम पैसे वालों की बात किए बिना चर्चा अधूरी ही मानी जाएगी। शीर्ष 10 सबसे कम पैसे वाले विधायकों की सूची में पहला नाम कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू का है जो तमकुहीराज से जीते हैं। उनके पास सिर्फ 3 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति है। भाजपा के धनंजय और मनीषा फ्मश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं जिनके पास फ्मश: 3 और 6 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति है। इस शीर्ष दस की सूची में 8 भाजपा, एक उसकी सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भासपा और एक कांग्रेस से है। यानी सबसे कम पैसे वाले टॉप 10 में सपा या बसपा का एक भी विधायक नहीं है।
सबसे कम संपत्ति वालों की सूची का एक आकलन दिलचस्प है। इस शीर्ष 10 में से छह विधायक सुरक्षित सीटों से जीते हैं और जातिगत हिसाब से समाज के सबसे निचले तबके से आते हैं। नई विधानसभा में 10 लाख या उससे कम संपत्ति रखने वाले सिर्फ 7 विधायक हैं और इसमें भी छह सत्तापक्ष से हैं।
विधानसभा में पैसे के साथ-साथ अपराध के आंकड़े भी महत्वपूर्ण हैं। हम पहले लिख चुके हैं कि आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या में खासी कमी आई है। पिछली बार के 189 के मुकाबले इस बार सिर्फ 143 विधायकों पर ऐसे मामले हैं। इसमें भाजपा के 114 यानी 37 फीसदी, बसपा के 5 यानी सिर्फ 26 फीसदी, सपा के 14 (30 फीसदी) और 3 निर्दलीय यानी 100 फीसदी पर आपराधिक मामले हैं। राज्य के 403 में से 8 विधायकों पर हत्या का मामला जबकि 34 पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। आपराधिक मामलों वाले में भी शीर्ष पर बहुजन समाज पार्टी ही है जिसके कुख्यात विधायक मुख्तार अंसारी पर कुल 16 केस दर्ज हैं। इन 16 केस में उसके ऊपर 54 धाराएं लगी हुई हैं जिनमें से 24 गंभीर और 30 सामान्य किस्म की हैं। गौरतलब है कि अल्पसंख्यकों को अपने पाले में करने के लिए मायावती ने चुनाव से ठीक पहले मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का विलय बसपा में करवाया था और मुख्तार समेत उसके परिवार के कई लोगों को मऊ और उसके आसपास के इलाके से टिकट दिया था। हालांकि चुनाव में मुख्तार के अलावा उसके परिवार के बाकी सभी उम्मीदवार हार गए।
आपराधिक मामलों की शीर्ष 10 की लिस्ट में दूसरे नंबर पर विजय कुमार हैं जो ज्ञानपुर से जीते हैं। उनके ऊपर भी 16 मामले दर्ज हैं मगर इन मामलों में 50 धाराएं लगी हुई हैं। इनमें से 22 गंभीर और 28 सामान्य किस्म की हैं। तीसरे स्थान पर एक बार फिर बसपा का नंबर है और धौलाना से जीते उसके विधायक असलम अली पर 10 मामले दर्ज हैं। उन पर 41 धाराएं लगाई गई हैं जिनमें 20 गंभीर और 21 सामान्य किस्म की हैं। धनवानों और आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की अगर चर्चा करें, एक बात साफ है कि शीर्ष तीन में से दो स्थानों पर बसपा के विधायक काबिज हैं।
हालांकि इस कड़ी में राज्य के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बात करें तो उनके ऊपर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनके खिलाफ दर्ज तीन मामलों में 18 धाराएं लगाई गई हैं। वैसे योगी अभी विधायक नहीं बल्कि गोरखपुर के सांसद हैं। उनके डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी अछूते नहीं हैं। मौर्य भले ही विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े हों मगर उनके ऊपर भी कम से कम 4 मामले दर्ज हैं और इनमें से कई गंभीर किस्म के हैं। मौर्य भी अभी सांसद हैं।