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अरबों के साम्राज्य के योगी

कई अस्पताल, शिक्षा और धार्मिक संस्थाओं के अध्यक्ष हैं आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आद‌ित्यनाथ की सक्र‌ियता अलग-अलग रूपों में द‌िखती है

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस पीठ के महंत हैं उसका अरबों रुपयों का साम्राज्य है। अब योगी महंत रहेंगे या नहीं यह तो बाद का विषय है। लेकिन वर्तमान में जिस साम्राज्य के संचालन का जिम्मा उनके पास है उसमें अरबों रुपये की संपत्ति है। गोरक्षपीठ के तहत गोरखपुर और उसके आसपास के इलाकों में 40 से अधिक संस्थाओं का संचालन हो रहा है। जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और धार्मिक स्थल शामिल हैं। योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में अस्पताल, शिक्षण संस्थाओं और धार्मिक संगठन की जो सूची है वह बहुत बड़ी है। इसके अलावा मंत्री और सचिव के रूप में आप करीब दो दर्जन से अधिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। हालांकि इन संस्थाओं की आर्थिक समृद्घता बहुत है। लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने जो हलफनामा दिया था उसमें कुल संपत्ति 72 लाख रुपये बताई गई। इनमें 30 हजार रुपये नकद के अलावा दिल्ली में चार और गोरखपुर में दो बैंक खाते हैं। इन बैंक खातों में 22 लाख रुपये जमा हैं। इसके अलावा 1 लाख रुपये की रिवॉल्वर और 80 हजार रुपये की एक राइफल भी है। मुख्‍यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ एक सरकारी मर्सिडीज कार में सफर कर रहे हैं लेकिन इससे पहले फॉच्र्यूनर कार से चला करते थे। साल 2014 मॉडल की फॉच्र्यूनर का नंबर 0001 है। शपथ पत्र के मुताबिक आदित्यनाथ के नाम पर अभी तीन कारें हैं। पहली टाटा सफारी, दूसरी इनोवा जिसकी कीमत 12 लाख रुपये है और तीसरी 2014 में ली गई फॉच्र्यूनर कार जिसकी कीमत 21 लाख रुपये है। 60 एकड़ में फैले गोरक्षपीठ के महंत आदित्यनाथ के नाम पर कोई जमीन नहीं है, न ही कोई घर और न ही विरासत में मिली संपत्ति है। इसके अलावा उन पर किसी भी तरह का कोई कर्ज भी नहीं है।

पांच जून 1972 को उत्तराखंड में जन्मे आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी है। लेकिन चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे में पिता का नाम महंत अवैद्यनाथ बताया गया है। विज्ञान में स्नातक योगी आदित्यनाथ ने दीक्षा लेने के बाद पारिवारिक मोह-माया त्याग दिया। अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई। 1998 में वे गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो उस समय उनकी उम्र 26 साल थी। उसके बाद योगी ने पीछे मुडक़र नहीं देखा। वे 2014 में पांचवी बार सांसद बने। अपने प्रभाव के बल पर योगी उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े चेहरे माने जाते हैं।  राजनीति के मैदान में आते ही योगी ने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए। विवादों के बावजूद उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्‍य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए।

धर्म और अध्यात्म में रुचि रखने वाले योगी सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढक़र हिस्सा लेते हैं। गोरक्षा एवं हिंदुत्व पर आधारित राजनीति की वकालत करने वाले योगी ने कई पुस्तकें भी लिखी हैं। जिनमें यौगिक षटकर्म, हठयोग- स्वरूप एवं साधना, राजयोग-स्वरूप एवं साधना, हिंदू राष्ट्र नेपाल-अतीत एवं वर्तमान आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा योगवाणी पत्रिका के आप प्रधान संपादक भी हैं। अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, कंबोडिया, नेपाल आदि की यात्रा करने वाले योगी के मुख्‍यमंत्रित्व काल में अब उत्तर प्रदेश का कितना विकास होगा यह आने वाला समय ही बताएगा।   

 

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