शेयर बाजार का मंत्र कहता है कि कम में खरीदो, ज्यादा में बेचो। सरकार के लिए भी यही मंत्र होना चाहिए जो अभी शेयर बाजार की तेजी का फायदा उठाकर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) के विनिवेश की अपनी योजना पर आगे बढ़ सकती है। सरकार की विनिवेशयोजना महत्वाकांक्षी है और एक के बाद एक सभी सरकारों ने इसके लिए लक्ष्य तय किए हैं मगर राजनीति और सामाजिक दबावों में सरकारें सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के इस लक्ष्य से हमेशा बुरी तरह पिछड़ जाती हैं। अगर हम आंकड़े देखें तो भारत में अभी केंद्र सरकार की 298 कपंनियां हैं जिनमें से 235 चल रही हैं। इनमें से अधिकांश घाटे में हैं या मुश्किल से चल पा रही हैं। इसके बावजूद सरकार उनमें पैसा लगा रही है या फिर घाटे को कई गुना बढऩे दे रही है। वर्ष 2016-17 में सरकार ने 56 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को लॉन्च करने की रणनीति के जरिये सरकार 45 हजार 500 करोड़ रुपये हासिल कर चुकी है। यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के जरिये विनिवेश की सरकार की योजना ने बहुत अच्छा काम किया है। इसमें किसी तरह का सामाजिक, राजनीतिक या ट्रेड यूनियन का दबाव भी नहीं झेलना होता और इसके जरिये आपको अधिकतम मूल्य भी हासिल हो जाता है।
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्र सरकार की कंपनियों (सीपीएसई) के विनिवेश के औजार के रूप में अपना फोकस ईटीएफ पर रखा था। जेटली ने अगले वित्त वर्ष के लिए 72 हजार 500 करोड़ रुपये विनिवेश के जरिये जुटाने का लक्ष्य रखा है जिसमें रेलवे की तीन कंपनियों आईआरसीटीसी, आईआरएफसी और आईआरसीओएन को इस वर्ष शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराना भी शामिल है। केंद्र सरकार की कंपनियों का ईटीएफ साल 2014 के मार्च में लॉन्च किया गया था जिसके जरिये छोटे निवेशकों को भी केंद्र सरकार की महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियों के बास्केट में निवेश करने का अवसर मिला है। ईटीएफ निवेश के जोखिम को कम करने वाला एक बढिय़ा तरीका है जो म्युचुअल फंड के सिद्धांत पर काम करता है और इससे निवेशकों के लिए नए मौके सामने आते हैं।
छोटे निवेशकों का लाभ
केंद्र सरकार की विनिवेश योजना के तहत इन कंपनियों की तीसरी ईटीएफ बिक्री के जरिये सरकार ने हाल में 2500 करोड़ रुपये उगाहे हैं। निवेशकों ने इस तरीके से विनिवेश के प्रति जो उत्साह दिखाया है उससे सरकार इन कंपनियों में अपने अधिक से अधिक हिस्से को बेचने के लिए प्रेरित होगी। दूसरा फायदा यह है कि छोटे निवेशकों से पैसे उगाहने के कारण सरकार इन कंपनियों में अपना बहुमत शेयर बनाए रख सकती है और उसे बड़ी कंपनियों को शेयर बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे उसे मैनेजमेंट में बड़ी कंपनियों की चुनौती भी नहीं झेलनी होगी।
शेयर बाजार से डरने वाले छोटे निवेशकों के लिए सीपीएसई ईटीएफ में निवेश करना एक शानदार अवसर है जो इञ्चिवटी से जुड़े लाभ उठा सकते हैं। दरअसल एक ईटीएफ शेयर का समरूप होता है और केंद्र सरकार के ईटीएफ में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां शामिल होती हैं जो कि सुरक्षित होती हैं क्योंकि इनमें सरकार का नियंत्रण होता है। निश्चित रूप से इन कंपनियों के प्रबंधन पर बहस हो सकती है मगर सीपीएसई ईटीएफ का कुल मूल्य 7032 करोड़ रुपये पर होना इसे लेकर आश्वस्त करता है। इस फंड ने पिछले एक साल में 42 फीसदी का रिटर्न दिया है जो कि निफ्टी और सेंसेक्स के जरिये होने वाले रिटर्न के मुकाबले कई गुना अधिक है।
हाल में विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद शेयर बाजार में उछाल है और इसमें अभी और तेजी की उम्मीद है। इस परिदृश्य में सरकार अपने विनिवेश के प्रयास से लाभ हासिल करने की स्थिति में है जिसका स्वाद उसने सीपीएसई ईटीएफ जैसे उत्पादों से चख लिया है। रेलवे के तीन पीएसयू के विनिवेश के लिए भी सरकार यही राह अपना सकती है। और हालांकि, सीपीएसई ईटीएफ ने अपनी उपयोगिता साबित की है, सरकार द्वारा ऐसे ईटीएफ और लाने के कई कारण मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, पुरानी कंपनी ईटीएफ या ऊर्जा क्षेत्र का ईटीएफ लाने की चर्चाएं हैं जिनके जरिये सरकार छोटे निवेशकों को हिस्सेदारी बेचकर अपना हिस्सा कम कर सकती है।
ये एक पारदर्शी मॉडल है जिसमें कम जोखिम है और इसके जरिये इस प्रक्रिया में शामिल होने लायक निवेशक तलाश करना आसान है। कुछ गैर सूचीबद्ध पीएसयू को ईटीएफ मॉडल के जरिये सूचीबद्ध करने से सरकार बड़े पैमाने पर विनिवेश किए बिना, जिसमें लालफीताशाही और प्रशासनिक अवरोधों का खतरा रहता है,ज्यादा सहूलियत से अपना लक्ष्य हासिल कर सकती है। शेयर बाजार के ऊंचा रहने से यह भी सुनिश्चित होगा कि सरकार जिन कंपनियों का विनिवेश करना चाहती है उनमें ज्यादा पैसा हासिल कर पाएगी।
( लेखक आउटलुक मनी के संपादक हैं)