अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की बहाली का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा वहां 15 दिसंबर, 2015 के पहले की राजनीतिक स्थिति बहाल किए जाने के फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा है। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सर्वोच्च अदालत ने राज्यपाल के फैसले को पलट दिया हो। राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा ने कांग्रेस के असंतुष्टों का साथ देकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनवा दी थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कांग्रेस के नाबाम तुकी की पूर्ववर्ती सरकार की बहाली का रास्ता साफ करते हुए अपने फैसले में कहा,‘वहां विधानसभा का सत्र एक महीने पहले बुलाने का राज्यपाल का फैसला संविधान का उल्लंघन है। विधानसभा के स्पीकर को हटाना भी गलत था।’
अरुणाचल में राजनीतिक संकट तब गहरा गया था, जब 60 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस के 47 में से 21 विधायकों ने बगावत करते हुए मुख्यमंत्री नाबाम तुकी को हटाने की मांग कर डाली। वहां 16 दिसंबर, 2015 को कांग्रेस के इन 21 बागी विधायकों ने भाजपा और निर्दलीय विधायकों के सहयोग से निजी सामुदायिक भवन में बैठक कर मुख्यमंत्री को बेदखल करने का फैसला लिया था। तब भी कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। राज्यपाल द्वारा मंत्रिमंडल से बगैर परामर्श लिए निजी भवन में विधानसभा सत्र बुलाने को अदालत में चुनौती दी। लेकिन इस मामले पर सुनवाई के दौरान ही केंद्र सरकार ने वहां गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति शासन लगा दिया। 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई सरकार बनाने पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद अगले ही दिन 19 फरवरी को भाजपा के 11 विधायकों ने बागियों के साथ मिलकर कोलिखो पुल के नेतृत्व में नई सरकार बना ली, जिससे वर्तमान संकट पैदा हुआ।
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट से सरकार बहाली का निर्देश मिला है, कांग्रेस की चुनौतियां कम नहीं हुई हैं। अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक समीकरण को लेकर सवाल बने हुए हैं। उत्तराखंड में भी अरुणाचल प्रदेश की तर्ज पर राज्यपाल द्वारा संवैधानिक प्रावधानों का पालन न करते हुए राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। लेकिन हाईकोर्ट के त्वरित फैसले से भारतीय जनता पार्टी वहां पर सरकार बनाने में विफल रही। अरुणाचल के मामले में अदालत ने इस तरह का कोई दखल नहीं दिया। ऐसे में भाजपा को अपने 11 विधायकों और कांग्रेस के 41 असंतुष्टों के बल पर सरकार बना लेने का मौका मिला। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पुरानी स्थिति बहाल हो गई है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री नाबाम तुकी बदले समीकरणों के बीच बहुमत हासिल कर पाएंगे।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस में उत्साह है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं के बयान आए हैं। अरुणाचल में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे नाबाम तुकी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिला है। यह ऐतिहासिक फैसला है और भाजपा को पता होना चाहिए कि चुनी हुई सरकार को असंवैधानिक तरीके से गिराने की कोशिश ठीक नहीं है। हम लोग फिर से सत्ता संभालेंगे और फिलहाल विधायकों से बात करेंगे।’
सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। विवेक तन्खा ने आउटलुक से बातचीत में कहा,‘अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बहाल की गई है। अब संविधान के अनुसार प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। लोकतंत्र की जीत हुई है। यह फैसला भाजपा नीत केंद्र सरकार की मनमर्जी पर तमाचा है। राज्यपाल की स्थिति खराब हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके फैसलों को पूरी तरह नकार दिया।’
कपिल सिब्बल ने तो गवर्नर को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की मांग कर डाली है। उन्होंने भाजपा से इस मामले में सफाई मांगी है और कहा कि केंद्र सरकार के जो मंत्री अरुणाचल प्रदेश के प्रकरण में शामिल थे, उन्हें सरेआम माफी मांगनी चाहिए। कपिल सिब्बल ने एक ऑडियो टेप का हवाला देते हुए कहा, ‘जब सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा था तो एक बिजनेसमैन के साथ टेप रिकॉर्डेड बातचीत सामने आई थी। इसे कोर्ट में भी जमा किया गया। टेप में बिजनेसमैन को यह कहते हुए सुना गया कि हमें पैसे की जरूरत है और भाजपा के साथ जो नए लोग आएंगे, उन्हें भी पैसे देने होंगे। इसमें प्रधानमंत्री और ग़ृहमंत्री की भी सहमति है। जांच होनी चाहिए कि इसमें कौन बिजनेसमैन शामिल थे और उनके साथ किस पार्टी के लोग थे।’