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रोजगार का साधन बना हथियार

देश के किसी भी राज्य के मुकाबले हरियाणा में हथियारों के लाइसेंस सबसे अधिक जारी किए जाते हैं मगर वर्तमान सरकार ने इसे जारी करने में कुछ सख्ती बरती है
नौकरी न म‌िलने पर हथ‌ियार लाइसेंस के जर‌िए कई काम म‌िलते हैं

भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ के एक पदाधिकारी की मानें तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से नाराज चल रहे सोलह विधायकों की तमाम शिकायतों में एक यह भी है कि पार्टी कार्यकर्ताओं के हथियारों के लाइसेंस नहीं बनाए जा रहे हैं। दरअसल, हरियाणा में हथियार रखना स्टेटस सिंबल से कहीं आगे एक वर्ग के लिए रोजी-रोटी का महत्वपूर्ण साधन बन गया है। कहीं अच्छी जगह नौकरी नहीं मिलने के कारण वे जायज-नाजायज तरीके से लाइसेंसी हथियार लेकर किसी के पीएसओ यानी पर्सनल सिक्यूरिटी ऑफिसर या कहीं गार्ड लग जाते हैं। ऐसे पीएसओ अथवा सुरक्षा गार्ड को बतौर वेतन महीने के बीस-बाइस हजार रुपये मिल जाते हैं।

बाउंसर उपलब्ध कराने वाली कंपनियां उन्हें हाथों-हाथ लेती हैं जिनके पास खुद की लाइसेंसशुदा बंदूक या रिवाल्वर हो। ऐसे लोग प्राइवेट बैंकों, शोरूम, फैक्ट्रियों, अन्य प्रतिष्ठानों सहित महत्वपूर्ण लोगों के बॉडीगार्ड के तौर पर आसानी से खप जाते हैं। चुनावों या किसी खास आयोजनों में उनकी डिमांड बढ़ जाती है। इन दिनों बॉलीवुड अदाकारों का हरियाणा में शूटिंग का क्रेज बढ़ गया है। खर्च में कटौती के चलते वे मुंबई से बॉडीगार्ड की फौज लाने की बजाय यहां से लोगों को रखना ज्यादा पसंद करते हैं। गुरुग्राम में तो इस्माइलपुर सहित ऐसे कई गांव हैं जहां बाउंसर तैयार किए जाते हैं। गांव के किशन ने बताया कि उनके यहां के अधिकांश लड़के पब-मॉल में लगे हुए हैं।

हरियाणा में लाइसेंसी हथियार रखना लोगों के लिए रोजगार का कितना बड़ा साधन बन चुका है, आरटीआई से प्राप्त गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट से इसका अंदाजा होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, हथियारों के लाइसेंस जारी करने के मामले में उत्तर प्रदेश देश का नंबर पहला है और दूसरे नंबर पर हरियाणा है। यूपी में 2014 तक कुल 11 लाख 23 हजार लाइसेंस जारी किए गए, जबकि हरियाणा में एक लाख 44 हजार 543।  उसके बाद गंगा में न जाने कितना पानी बह गया है। आज भी हरियाणा के तकरीबन सभी प्रमुख जिलों के जिला मजिस्ट्रेट के पास लाइसेंस के लिए औसतन दो सौ आवेदन पड़े हुए हैं।

हथियारों के लाइसेंस दिलाने में सत्तारूढ़ दल के नेताओं का अहम रोल होता है। वे कार्यकर्ताओं को खुश करने के चक्कर में उन्हें लाइसेंस दिलाने के लिए प्रशासन पर अनुचित दबाव बनाते हैं। भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार में एनसीआर के व्यापारियों ने इतना दबाव बना दिया था कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर डीजीपी को लाइसेंस के संबंध में आवश्यक निर्देश देने पड़ गए थे। हालांकि, केंद्र और राज्य में निजाम बदलने के साथ लाइसेंस लेना और लाइसेंसी हथियार रखना थोड़ा कठिन हो गया है। इसकी फीस भी बढ़ा दी गई है। पहले 120 रुपये से लेकर 300 रुपये खर्च कर लाइसेंस बन जाते थे। अब इसमें इजाफा कर हजार रुपये कर दिया गया है। एनओसी फीस के 500 और लाइसेंस बुक के सौ रुपये अलग से देने होते हैं। लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में आवेदन करने पर एसपी कार्यालय से थानों एवं चौकियों की मदद से आवेदक के चाल-चरित्र का सत्यापन कर उसकी रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को दी जाती है। इस दौरान विशेष तौर से देखा जाता है कि आवेदक का स्तर हथियार रखने लायक या उसकी जान को किसी किस्म का खतरा है अथवा नहीं। यही नहीं हरियाणा में अब संगीन, भाला, बल्लम जैसे हथियार रखने के लिए भी 500 रुपये देकर लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया गया है।

दूसरी तरफ लाइसेंस देने के नियम कड़े करने के साथ सूबे में फर्जी लाइसेंस का धंधा भी तेजी से फलने-फूलने लगा है। हरियाणा पुलिस ने पानीपत के ओमप्रकाश नामक एक ऐसे शख्‍स को गिरफ्तार किया है जो अमृतसर के उपायुक्त के दफ्तर में तैनात क्लर्क लखविंदर, तेजिंदर और अमृतसर के हथियार व्यापारी गौरव अरोड़ा की मदद से नकली कागजात तैयार कर लाइसेंस बनवाने का धंधा करता था। इसी तरह दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर संजय नागपाल ने हरियाणा के झज्जर जिले के रमेश कादयान और संदीप को पकड़ा था जिसने दिल्ली के छह लोगों को डेढ़ से दो लाख रुपये लेकर अवैध तरीके से हथियारों के लाइसेंस उपलब्‍ध कराए थे। एसआईटी सोनीपत भी ऐसे एक गैंग का भंडाफोड़ कर चुकी है। हाल में गुरुग्राम में ऐसे ही एक गैंग का खुलासा हुआ है। पुलिस कमिश्नर दफ्तर में एक हथियार के लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आने पर जब जांच की गई तो बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। इसके मास्टर माइंड मनमोहन के कब्‍जे से कई फर्जी लाइसेंस सहित अमेरिका निर्मित माउजर, जापान मेड पिस्टल सहित हथियारों का जखीरा बरामद किया गया है। इस मामले में एक पुलिस वाला भी पकड़ा गया है। रोहतक पुलिस भी मनीष भारद्वाज नाम के एक व्यक्त‌ि को गिरक्रतार कर चुकी है, जिसने नगालैंड से अवैध तरीके से 86 आर्म्स लाइसेंस बनवाए थे। वह खुद यूपी में अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री चलाता था। उसकी निशानदेही पर खुर्जा से हथियार बनाने के दो कारीगर कुर्बान एवं रहमान पकड़े गए थे। पूछताछ में पता चला कि यह गिरोह उत्तर भारत में अवैध हथियारों की सप्लाई किया करता था। यमुनानगर के जगाधरी और करनाल के कई अपराधियों को उन्होंने हथियार बेचे हैं।

हिसार के सिटी मजिस्ट्रेट रहे सुरजीत सिंह नैन कहते हैं कि जो वैध लाइसेंस लेने में असफल रहते हैं वे जाली लाइसेंस बनाने वाले गैंग की शरण में पहुंच जाते हैं। इससे संबंधित अब तक जितने लोग भी पकड़े गए हैं, उनमें अधिकांश का संबंध नगालैंड के दीमापुर में सक्रिय गिरोह से रहा है। दिल्ली में गिरफ्तार झज्जर के दो लोग भी उसी गैंग का हिस्सा थे। सोनीपत के जितेंद्र को एसआईटी ने दीमापुर से लाइसेंस बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। वहां सक्रिय गिरोह बिना पुलिस वेरिफिकेशन के आसानी से लाइसेंस बनवा देता है।

हरियाणा में अवैध हथियारों का गोरखधंधा भी विस्तार ले रहा है। इसका अधिकतर इस्तेमाल आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में किया जाता है। पिछले तीन महीने में झज्जर, सोहना, फिरोजपुर, फरीदाबाद आदि जिलों की पुलिस ने लूट, हत्या के कई ईनामी अपराधी पकड़े हैं, जिनसे बड़ी मात्रा में देसी हथियार बरामद किए गए। नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा में अपराधियों से बरामद 1741 हथियारों में 11 को छोड़कर बाकी सभी देसी थे। सूबे में अवैध हथियार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, मुजफ्फरनगर, शामली, मध्यप्रदेश के उमेरती, बोरिया, सिंगनौर व खरगौन तथा बिहार के मुंगेर से छह से 25 हजार रुपये में सप्लाई किए जा रहे हैं। मुंगेर तो कई दशक से अवैध हथियारों का गढ़ है और यहीं के बने हथियारों के जरिए बिहार में कई बाहुबलियों का कारोबार चलता है। मुंगेर में बने कार्बाइन, स्टेनगन, सेमी ऑटोमेटिक राइफल की हरियाणा में सप्लाई की जा रही है। हरियाणा में अवैध हथियारों की सजती मंडियों के प्रति प्रदेश के डीजीपी डॉक्टर केपी सिंह ने बातचीत में चिंता जाहिर की है।

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