यूपी में भाजपा की सियासत पुलिस पर भारी पड़ रही है। पुलिस पिट रही है। कोई सरेआम सीओ स्तर के अधिकारी पर थप्पड़ जड़ दे रहा है तो कभी एसएसपी आवास में भाजपाई डेरा डाल देते हैं। कई जगह भाजपा नेता दबंगई करते देखे जा सकते हैं। आखिर यह क्या हो रहा है योगीराज में! अराजकता चरम पर है। जिस तरह हिंदुत्ववादी संगठन खुलेआम पुलिस पर रौब गालिब कर रहे हैं उससे योगी के लिए अपनों से निपटना किसी चुनौती से कम नहीं है। बीस अप्रैल का दिन सहारनपुर के दूधली गांव के लिए अभिशाप बन जाएगा, शायद किसी ने सोचा नहीं होगा। आंबेडकर जयंती के मौके पर शोभायात्रा निकालते दलितों पर गांव के दूसरे संप्रदाय के लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। इससे नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं ने मंडल आयुक्त की गाड़ी और कई दुकानों में तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। कुछ दुकानों का फर्नीचर जला दिया गया और कई वाहनों के शीशे तोड़ दिए गए। सहारानपुर से भाजपा सांसद राघव लखनपाल की अगुआई में भाजपा कार्यकर्ताओं की पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई और भाजपा कार्यकर्ता एसएसपी आवास में दाखिल हो गए। उन्होंने एसएसपी आवास में घुसकर तोडफ़ोड़ की और कप्तान से धक्का-मुक्की भी की। इस घटना से एसएसपी के परिवार के सदस्य भी सहम गए।
तत्कालीन एसएसपी लव कुमार का कहना है कि भीड़ जिस तरह उनके आवास में दाखिल हुई, उससे परिजन सहम गए। हालात जैसे थे, उसमें ऐसा होना स्वाभाविक था। इस पर सांसद का कहना है कि पुलिस ने घटना को पूरी तरह मनगढ़ंत बना दिया। मौके पर जिला अधिकारी व एसएसपी दोनों मौजूद थे जिनकी लोगों को बचाने की जिम्मेदारी थी, वही मौके से भाग खड़े हुए। एसएसपी आवास में वे लोगों के साथ उनसे जवाब मांगने गए थे, जिसे पुलिस ने अलग ही रंग दे दिया। आखिर जनता के प्रति जबावदेही उनकी है। साजिश कर उन्हें फंसाया गया है। हालांकि पुलिस ने दंगा करने और एसएसपी बंगले पर हमला करने के आरोप में 13 लोगों को गिरक्रतार तो कर लिया है लेकिन सांसद राघव लखनपाल, विधायक ब्रजेश सिंह, सांसद के भार्ई राहुल और महानगर अध्यक्ष मनोज गगनेजा को हाथ तक नहीं लगाया है। इस मामले में एसएसपी लव कुमार का तबादला कर दिया गया।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि यह घटना प्रदेश सरकार के अराजक हालात को बयां करती है। सरकार को सोचना चाहिए राज्य किस दिशा में जा रहा है। तबादला करना सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करता है। इसी तरह आगरा में हिंदू संगठनों ने खुलकर कानून-व्यवस्था को अपने हाथों में लिया। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आगरा जिले के फतेहपुर सीकरी में 22 अप्रैल को थाने का घेराव किया और जमकर बवाल काटा। उनके हौसले इतने बुलंद थे कि एक कार्यकर्ता ने सीओ रविकांत पाराशर को थप्पड़ जड़ दिया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो जवाब में हिंदुत्ववादी संगठनों ने थाने पर पथराव शुरू कर दिया। हवालात का ताला तोडऩे की कोशिश की, एक दरोगा की बाइक में आग लगा दी। मामले में पुलिस ने पांचों नामजद आरोपियों को सुरक्षा के लिहाज से थाना फतेहपुर सीकरी से सदर थाना भेज दिया। बवाल फतेहपुर सीकरी से आगरा तक पहुंच गया। आरोपियों को छुड़ाने हिंदुत्ववादी संगठन सदर थाने चले गए और वहां पुलिस पर दबाव बनाया। घंटों थाने पर नारेबाजी और प्रदर्शन चला। पुलिस से नोकझोंक भी हुई।
सब्जी व्यापारी फूल कुरैशी और रिजवान से 20 अप्रैल की रात को कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों के लोगों ने मारपीट की थी। असल में हंगामे की शुरुआत फतेहपुर सीकरी से भाजपा विधायक उदयभान सिंह और उनके सांसद बेटे राकेश चौधरी के सदर थाने पर जाने से हुई। सीओ रविकांत पाराशर ने बताया, ‘मामला दर्ज होने के बाद कुछ तथाकथित संगठनों के दबाव के चलते हालात बिगड़े। सारे मामले में कानूनन कार्रवाई की गई। उनके साथ अभद्रता भी हुई। पुलिस ने सुरक्षा के लिहाज से ही कार्रवाई की थी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।’ उधर, इलाके के भाजपा विधायकों ने मामले को प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। पुलिस की कार्रवाई को लेकर भाजपा विधायक गुस्से में हैं।
बाराबंकी से लोकसभा सांसद प्रियंका सिंह रावत ने तो जिले में तैनात उत्तरी बाराबंकी के एडिशनल एसपी के. ज्ञानंजय सिंह की खाल खिंचवाने तक की धमकी दे डाली क्योंकि सांसद को पुलिस अफसर का व्यवहार पसंद नहीं आया। पुलिस अफसर पर चीखते हुए उन्होंने कहा कि सारी मलाई बाहर निकाल दूंगी। उन्होंने एक कत्ल के मामले की जांच के सिलसिले में पुलिस अफसर को फोन किया था जिसकी जांच उनकी निगरानी में हो रही थी। सांसद ने पुलिस अफसर को चेताया कि केंद्र में मोदी और यूपी में योगी सरकार है जो अफसर ठीक काम करेगा, जिले में वही रहेगा। एएसपी ज्ञानंजय सिंह ने बताया, ‘उनसे जिस कत्ल की जानकारी मांगी गई थी उसमें मुल्जिम गिरक्रतार हो चुके हैं और सारी कार्रवाई से सांसद को अवगत करा दिया गया।’
भाजपा नेताओं की दबंगई खुलेआम थाने से अपने बेटों को जबरन छुड़ा लाने में भी दिखी। मेरठ में भाजपा नेता संजय त्यागी और उनके समर्थकों ने पुलिस थाने पर इसलिए हंगामा किया ञ्चयोंकि पुलिस ने नेताजी के बेटे को गाड़ी पर काली फिल्म चढ़ी होने के चलते रोक लिया था और उसका चालान काट दिया था। हंगामा अगर किसी पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए होता तो समझा जा सकता था। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया था बावजूद इसके मामला रफा-दफा कर दिया गया।
फतेहगंज पश्चिमी टोल प्लाजा पर दिल्ली जा रहे सीतापुर के बिसवां क्षेत्र विधायक अपने समर्थकों की गाड़ी रोके जाने से इस कदर नाराज हो गए कि आपा खो बैठे और टोल कर्मियों को दौड़ाकर पीटते नजर आए। टोल प्लाजा के मैनेजर ने थाने में तहरीर सौंपी, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। हालांकि टोल प्लाजा के सीसीटीवी में विधायक की दबंगई कैद हो चुकी थी। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस दबाव में आई। भाजपा की बढ़ती दबंगई पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर कहते हैं, ‘यूपी में आज दशहत का माहौल है। अब भाजपा खुद ही कोतवाल है और खुद ही सरकार। प्रदेश में धर्म की राजनीति की जा रही है।’ राज्य के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने कहा कि आगरा व सहारनपुर दोनों मामलों में गिरक्रतारी हो चुकी है और इसके बाद कहीं कोई इस तरह के मामले सामने नहीं आए हैं। जहां तक बाराबंकी सांसद के खाल खिंचवाने या किसी भाजपा विधायक की दबंगई का मामला है तो इसमें उनका शिष्टाचार महत्वपूर्ण है। गुंडागर्दी और अपराध से मुञ्चत कराने का वादा कर आई भाजपा योगी सरकार के लिए सिरदर्द बन सकती है।