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आइए जानें, कौन सी हैं देश की सबसे खराब ट्रेनें

रेलवे की कायापलट योजना की राह में यात्री सुविधाएं दुरुस्त करने की ‘पहाड़ जैसी’ चुनौती
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन

भारतीय रेलवे खूब सपने बेच रही है। रेलवे का कायाकल्प करने, भोजन का स्तर सुधारने, रेलवे स्टेशनों को हवाई अड्डे से भी बेहतर बनाने के वादे, बुलेट ट्रेन की योजनाएं, हरित कॉरिडोर और भी न जाने क्या-क्या। लेकिन जमीन पर यात्रियों को कितनी सुविधाएं मिल रही हैं? रेलवे के अपने सर्वे में ये बातें सामने आई हैं। रेल मंत्री सुरेश प्रभु की पहल पर यह सर्वे कराया गया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने निजी रुचि लेकर यह जानना चाहा कि देश में जमीनी स्तर पर यात्री सुविधाओं की क्या स्थिति है। इससे इतना तो समझ आ गया है कि तमाम बड़ी-बड़ी योजनाओं के बावजूद यात्रियों को सुविधाएं मुहैया कराना अब भी दूर की कौड़ी है।

रेल मंत्रालय भारतीय रेलवे की कायापलट करने की योजना पर काम कर रहा है। लगभग साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये के फंड के इंतजाम की कवायद चल रही है। लेकिन जमीनी स्तर पर जो हाल है, उसमें यात्री सुविधाओं को दुरुस्त करने में ही 40 फीसद से ज्यादा फंड काम आ जाएगा। रेल मंत्रालय के मातहत कंपनी आईआरसीटीसी और एक निजी प्रबंधन कंपनी ने संयुक्त रूप से देश के चार सौ से अधिक रेलवे स्टेशनों और चार हजार यात्रियों के बीच सर्वे किया। पता चला रेलवे स्टेशनों की साफ-सफाई, ट्रेनों में सफाई, बिस्तर मुहैया कराना, भोजन और ट्रेनों की लेट-लतीफी के मामले में जमीनी स्तर पर ‘पहाड़ जैसा’ काम किया जाना बाकी है।

मसलन, देश की 10 सबसे गंदी ट्रेनों के लिए किए गए सर्वे पर एक नजर डालें। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी से चलने वाली दो ट्रेनें शुमार हैं। वाराणसी से चलाई गई हाई क्लास ट्रेन महामना एक्सप्रेस की क्या हालत हुई, उसके बारे में खबरें भी मीडिया में आई थीं। पहली यात्रा के बाद ट्रेन में गंदगी और पानी, बिजली के टूटे उपकरण, लेट-लतीफी के चलते यह ट्रेन अब यात्रियों की प्रायोरिटी में नहीं है। वाराणसी से अरसे से चलाई जा रही कामायनी एक्सप्रेस और काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस ट्रेनें सर्वे में सबसे खराब ट्रेनों की सूची में शुमार पाई गईं। कामायनी एक्सप्रेस थाणे तक चलती है और वाराणसी को देश की आर्थिक राजधानी से जोड़ती है। काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस नई दिल्ली तक चलती है और वाराणसी को राजनीतिक राजधानी से जोड़ती है। कामायनी को रेलवे ने अपने ही सर्वे में देश की सबसे गंदी ट्रेनों में से एक माना है। जबकि काशी विश्वनाथ को लेट लतीफी और खराब भोजन सप्लाई के मामले में सिरमौर माना है।

महामना एक्सप्रेस

सबसे गंदी ट्रेन लखनऊ से चलने वाली गोमती एक्सप्रेस है। इस ट्रेन के बारे में यात्रियों ने सबसे ज्यादा शिकायत की थी। दूसरी सबसे गंदी ट्रेन है नई दिल्ली से इंदौर तक चलने वाली सराय रोहिल्ला-इंदौर एक्सप्रेस। इस सूची में नई दिल्ली से आजमगढ़ तक चलने वाली कैफियत एक्सप्रेस, जबलपुर तक चलने वाली श्रीधाम एक्सप्रेस, अमृतसर इंटरसिटी एक्सप्रेस, पुणे तक चलने वाली इंद्रायनी एक्सप्रेस, जबलपुर तक चलने वाली महाकौशल एक्सप्रेस, लखनऊ-गोरखपुर एक्सप्रेस और ग्वालियर-बरौनी मेल शामिल हैं।

यात्रियों को खराब भोजन परोसने वाली ट्रेनें पूर्वी इलाकों की हैं। इनमें शामिल हैं-बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, डिब्रूगढ़-राजधानी एक्सप्रेस, भोपाल-शताब्दी एक्सप्रेस, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस, काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, सप्त क्रांति एक्सप्रेस पुणे से जम्मू तक चलने वाली एक्सप्रेस और दिल्ली से अलीपुरदुआर तक चलने वाली महानंदा एक्सप्रेस। लेट लतीफ ट्रेनें भी अधिकतर मध्य और पूर्वी भारत के इलाकों की हैं। ये हैं-भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस, स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस, काशी विश्वनाथ, मगध एक्सप्रेस, पंजाब मेल, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, सप्त क्रांति एक्सप्रेस और विक्रमशिला एक्सप्रेस।

अरसे से रेलवे को शिकायतें मिलती रही हैं। लेकिन रेलवे को सर्वे कराने का विचार अब जाकर सूझा। कमाल सोशल मीडिया का बताया जाता है, जिस पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु और रेलवे के अधिकारी खूब सक्रिय हैं। यात्रियों की ओर से रेलवे को शिकायतों के बारे में जुलाई के पहले पखवारे में सर्वे कराया गया। विभिन्न ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों को रैंकिंग दी गई। सर्वे रिपोर्ट के अलग-अलग हिस्सों को विभागवार कार्रवाई के लिए विभिन्न जोन, मंडलों, रेल कारखानों और आईआरसीटीसी के केंद्रों को भेजा गया है। ट्रेनों की तरह ही रेलवे स्टेशनों की सफाई के बारे में भी रिपोर्ट तैयार कराई गई है। बिहार के मधुबनी स्टेशन को देश का सबसे गंदा रेलवे स्टेशन माना गया है। हैरत की बात है कि राजधानी नई दिल्ली का कोई भी रेलवे स्टेशन देश के टॉप 50 स्टेशनों में शामिल नहीं है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की रैंकिंग 248 बताई जाती है। टॉप 10 गंदे रेलवे स्टेशन हैं- मधुबनी (बिहार), बलिया (उत्तर प्रदेश), बख्तियारपुर (बिहार), रायचूर (कर्नाटक), शाहगंज (उप्र), जंघई (उप्र), अनुग्रह नारायण रोड (बिहार), सगौली (बिहार), आरा (बिहार) और प्रतापगढ़ (उप्र)। 10 सबसे साफ-सुथरे स्टेशनों में पंजाब, गुजरात, गोवा, तमिलनाडु और महाराष्ट्र शुमार हैं। इनमें वाराणसी का कहीं नाम नहीं है, जहां को लेकर रेलवे ने लंबी-चौड़ी योजनाएं बना रखी हैं।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु

इस सर्वे के जरिये रेलवे को जो चुनौतियां दिख रही हैं, उन पर काम करना जरूरी तो है। लेकिन रेलवे की ब्यूरोक्रेसी इसमें कितनी रुचि लेगी, यह यक्ष प्रश्न है। साफ-सफाई, ट्रेनों की लेट-लतीफी, ट्रेनों में भोजन की आपूर्ति जैसे मुद्दे अरसे से उठते रहे हैं। रेलवे के ही एक अधिकारी के अनुसार, भारतीय रेलवे अपनी जिस महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है, उसके मद्देनजर जमीनी स्तर पर काम करना ही होगा। रेल मंत्री सुरेश प्रभु भारतीय रेलवे को वर्ल्ड क्लास का बनाने में जुटे हैं। देश भर के रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की शक्ल देने की योजना पर काम चल रहा है। रेल मंत्रालय चीन, बेल्जियम, फ्रांस और जर्मनी के साथ रेलवे स्टेशनों को विकसित करने के मसले पर बातचीत कर रहा है। आईआरएसडीसी के साथ चाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग ग्रुप को न्यू भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन और बैयप्पनहल्ली (बेंगलुरु) रेलवे स्टेशनों पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का काम भी सौंप दिया गया है। भारतीय रेलवे बेल्जियम के साथ स्टेशनों की जमीन और एयर स्पेस को डेवलप करने को लेकर बातचीत कर रही है। बेल्जियम के साथ ज्वॉइंट वेंचर कंपनी बनाकर मुंबई सेंट्रल, जम्मू, जयपुर और वाराणसी रेलवे स्टेशनों को वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए विकसित किया जाएगा। पंजाब के दो रेलवे स्टेशनों लुधियाना और अंबाला को विकसित करने के लिए फ्रांस अपना प्लान रेल मंत्रालय को सौंप चुका है। नागपुर और सिकंदराबाद स्टेशनों को विकसित करने का करार जर्मनी के साथ किया जा रहा है। 240 करोड़ रुपये की लागत से हैदराबाद, हासपेट, आगरा, रायबरेली, वाराणसी, कामाख्या, हरिद्वार, गया, मदुरई, तारापीठ, तिरुवनंतपुरम, अमृतसर, दिल्ली सफदरजंग, कुरुक्षेत्र, औरंगाबाद, नांदेड़, पुरी, ताराकेश्वर, रामेश्वरम, तिरुपति, गुवाहाटी, जयपुर, अजमेर और न्यू जलपाईगुड़ी को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा रहा है।

भारतीय रेलवे को 21वीं सदी में ले जाने के लिए भारत सरकार के मंत्री और नौकरशाही ने करीब 8.6 लाख करोड़ रुपयों की योजना का मसौदा तैयार किया है। जानकारों के अनुसार, अगर यात्री सेवाएं दुरुस्त करनी हैं तो इसका 40 फीसद हिस्सा बुनियादी सेवाएं लागू करने में खर्च करना होगा। सर्वे रिपोर्ट हाथ में आने के बाद क्या भारतीय रेलवे इस महती और जरूरत वाली योजना पर भी काम करेगी?

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