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बढ़ रही है भारतीय व्यंजनों की चमक

मीडिया में सेलीब्रिटी शेफ की चमक के कारण छात्र उनके जैसा रुतबा पाने के लिए खटखटा रहे हैं पाक कला स्कूलों के दरवाजे
द‌िल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ कल‌िनरी आर्ट में एक क्लास में तंदूरी च‌िकेन की सजावट सीखते छात्र

धरती पर अगर कोई स्वर्ग से भी अच्छी जगह है, तो वाल्टर एल्विन इस वक्त उस जगह पर हैं। सच में, यह कोई मजाक नहीं है क्योंकि वाल्टर एल्विन इस समय जकारिया रेस्टोरेंट की बॉम्बे कैंटीन में इंटर्नशिप कर रहे हैं। यहां रहना और सीखना एल्विन के लिए सपने के सच होने जैसा है। यहां वह शेफ थॉमस जकारिया के बेहतरीन भारतीय व्यंजनों का स्वाद लेने के साथ-साथ उनको बनाना भी सीख रहे हैं। थॉमस जकारिया की खासियत है कि वे जायकेदार भोजन बनाने के लिए अनूठे प्रयोग करते हैं। एल्विन, जकारिया की बेहतरीन भारतीय व्यंजन शैली से इतना प्रभावित हैं कि वह हर तरह के भारतीय व्यंजनों को बनाना सीखना चाहते हैं। 

वहीं, दूसरी तरफ उत्तरी दिल्ली में श्याम सुंदर भी अपने गुरु मनीष मेहरोत्रा के साथ भारतीय व्यंजन शैली में इंटर्नशिप कर रहा है। गौरतलब है कि यह रेस्टोरेंट दुनिया के टॉप 50 रेस्टोरेंट्स में शामिल है। यह भारत का अकेला रेस्टोरेंट है जिसे यह दर्जा हासिल हुआ है।

मेहरोत्रा के देसी मसालों और व्यंजनों की समझ और उन्हें बनाने की शैली के साथ उनके फ्लेवर्स मिलाने के आधुनिक तरीके से श्याम मंत्रमुग्ध है। श्याम को लगता है कि भारतीय व्यंजनों के निर्माण में निपुणता हासिल करने का उसका स्वप्न जल्द ही साकार होने वाला है। एल्विन और श्याम शेफ बनना चाहते हैं और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कलिनरी आर्ट (आईआईसीए) से एडवांस कोर्स कर रहे हैं। यहां उनके जैसा सोचने वाले वे दोनों अकेले नहीं हैं, बहुत सारे नए छात्र हैं जो एक चुटकी हल्दी और गरम मसाले के छौंके का इस्तेमाल कर पाक कला में पारंगत होना चाहते हैं।

सेलिब्रिटी बन चुके शेफ संजीव कपूर कहते हैं, ''आजकल भारतीय व्यंजनों में रुचि कई गुणा बढ़ गई है, जब मैंने काम शुरू किया था तब तो इसको कॅरियर तक नहीं माना जाता था।’’ वह हंसते हुए बताते हैं कि कैसे उनकी सफलता से चीजें बदलती चली गईं और किस तरह से नए लोग उनके कॅरियर से प्रभावित हुए। वे बताते हैं, ''जब मैंने टीवी शो शुरू किया था तो कई लोगों ने सवाल उठाए थे लेकिन इसके बाद जब उन लोगों ने मेरी कारों और मेरे रुतबे को देखा तब उनकी समझ में आ गया कि मैं कितना सफल हूं।’’

इसके साथ ही फेमस शेफ मनीष मेहरोत्रा कहते हैं, ''यह सही है कि बहुत सारे लोग इस फील्ड में सिर्फ ग्लैमर देख कर आ गए हैं। मूवी, टेलीविजन शो, कुकिंग प्रतियोगिताओं ने लोगों के रुझान को काफी बढ़ा दिया है।’’ जैसे-जैसे भारतीय व्यंजनों की विश्व स्तर पर पहचान बढ़ती जा रही है और लोगों का रुझान इसकी तरफ हो रहा है। इसी के साथ भारतीय शेफ भी फेमस होते जा रहे हैं। जब से ऑस्ट्रेलिया के मास्टर शेफ गैरी महेगन ने भारतीय व्यंजनों की तारीफ की है, तब से हर कोई भारतीय व्यंजन बनाना सीखना चाहता है। गौरतलब है कि बिग बैंग थ्योरी वाली कैली कुआको ने पोहा की थाली पर लार टपकाते हुए कहा था, ''यह मेरा आज तक का बेस्ट खाना था।’’ कायली मैकलेचलन ने भी फेमस शो 'द गुड वाइफ’ में भारतीय व्यंजनों की जमकर तारीफ की थी। इन सब बातों से लोगों की रुचि भारतीय व्यंजनों में काफी बढ़ गई है। इनके अलावा मैडोना को इडली-सांभर पसंद है तो जूलिया राबर्ट्स को चावल, दाल, आलू-गोभी और मटर-पनीर की सब्जी का स्वाद ललचाता है।    

नई दिल्ली के हयात होटल में शेफ वरुण अरोड़ा बताते हैं कि भारत के नए-नए जायकों को ढूंढ़ने के लिए यहां आने वाले लोगों की संख्या आजकल काफी बढ़ रही है। वह यहां से अपने साथ हमारे देसी फ्लेवर ले जाते हैं। ऐसा करने वालों में चार्मेन ओ ब्राहन का नाम प्रमुख है। 'पीपुल पत्रिका’ ने विकास खन्ना को 'हॉटेस्ट शेफ ऑफ अमेरिका’ से नवाजा है। गौरतलब है कि विकास ने ही लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि पाक कला भी एक आकर्षक प्रोफेशन हो सकता है। आधुनिक भारतीय व्यंजनों के शेफ विनीत भाटिया ने लंदन में जायका रेस्टोरेंट के लिए दो मिशिलिन स्टार जीते हैं वहीं खन्ना न्यूयॉर्क में अपने रेस्टोरेंट जुनून के लिए लगातार छह साल से प्रतिष्ठा का स्टार जीत रहे हैं। हालांकि मेहरोत्रा कहते हैं कि मीडिया की वजह से इस प्रोफेशन को बहुत फायदा पहुंचा है। वहां बराबर दिखने के कारण बहुत सारे शेफ काफी फायदे में हैं और बड़ी राशियों के चेक ले रहे हैं। पाक कला इंस्टीट्यूट में आने वाले प्रवेश आवेदनों की संख्या से भी लोगों का इस तरफ बढ़ रहा रुझान साफ दिखता है। सिंबॉयोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ कलिनरी आर्ट्स के हेड कपूर कहते हैं कि हमारे यहां प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या में 100 फीसदी की वृद्धि हुई है। उनका कहना है कि हमारे यहां केवल 60 सीटें हैं और जब हमने 2016 में इसकी शुरुआत की थी तो केवल 35 ही आवेदन आए थे लेकिन इस साल 1500 आवेदन आए हैं। यह जानकारी देते हुए कपूर खुश हो जाते हैं।

आईआईसीए के चेयरमैन, शेफ वीरेंद्र एस. दत्ता बताते हैं कि हमारे यहां भी यही हाल है, हालांकि उनका कहना है कि यह बदलाव 2010 के बाद से शुरू हुआ जब से टेलीविजन ने इसको कवर करना शुरू किया। इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) के डीन राजकुमार गुप्ता भी दत्त की बात से सहमति जताते हुए कहते हैं कि हाल के वर्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले जहां हमारे यहां आने वाले आवेदन में करीब 30 फीसदी लोग ही शेफ बनना चाहते थे लेकिन अब शेफ बनने वालों की तादाद 80 फीसदी हो गई है। साथ ही वह यह भी इंगित करते हैं कि इन लोगों में से ज्यादातर लोग भारतीय व्यंजनों में पारंगत होना चाहते हैं। हालांकि वे कहते हैं कि यह विडंबना ही है कि प्रवेश लेने वाले 80 फीसदी लोग शेफ बनना तो चाहते हैं लेकिन अंत में केवल 40 फीसदी लोग ही शेफ के रूप में अपना कॅरियर शुरू कर पाते हैं।

कपूर कहते हैं, ''लोग इस फील्ड में ग्लैमर की वजह से आ तो जाते हैं लेकिन यहां सफल होने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। किचन में बहुत गर्मी होती है जिसे झेलना आसान नहीं होता है।’’

गुप्ता कहते हैं, ''लोग सेलिब्रिटी बन दुनिया भर में घूमना चाहते है, वह चाहते हैं कि लोग उनकी तारीफ करें लेकिन इसके लिए जरूरी पसीना बहाने के लिए वे तैयार नहीं हैं।’’ यहां की विडंबनाओं की ओर इशारा करते हुए कपूर कहते है कि भारतीय व्यंजनों को बनाने पर पकड़ बनाना आसान नहीं है। ज्यादातर शेफ फेमस भारतीय कैटेगरी और आधुनिक भारतीय व्यंजनों में ही कॅरियर बनाना चाहते हैं। इस बात से नाराज मेहरोत्रा कहते हैं, ''लेकिन उनकी समझ बहुत सीमित है, कुछ तो बस यही समझते हैं कि पिज्जा पर चिकन टिक्का ही आधुनिक भारतीय व्यंजन है।’’ गौरतलब है कि मेहरोत्रा ने अपने नामी व्यंजनों पर बहुत काम किया है जैसे सोया कीमा के साथ बटर अंडा, मञ्चखन पाव के साथ नींबू पत्ती, बेसन लड्डू चीजकेक। अरोड़ा साफ कहते हैं कि बिना मेहनत किए आप यहां सफल नहीं हो सकते हैं। यह सोचना गलत है कि इस क्षेत्र में कदम रखा और बिना मूलभूत चीजें जाने ही सफल हो गए।

कपूर कहते हैं कि दुनिया की नजर में हमारे खान-पान को लेकर बहुत बदलाव आया है। एक वक्त था जब भारतीय भोजन करना खराब नजरिए से देखा जाता था। देश से बाहर रहने वाले भारतीय सबके सामने खाना नहीं खाते थे। लेकिन आज हमें अपने विभिन्न व्यंजनों पर गर्व है। वे अपनी आवाज पर जोर डालते हुए कहते हैं कि मुझे तब बहुत खुशी होती है जब मुझे विदेशों में बड़े-बड़े स्टोर्स में क्विनोवा के साथ बासमती चावल रखा मिलता है। उनका कहना है कि भारतीय व्यंजनों के प्रति दृष्टिकोण बदलने के लिए सभी शेफ बहुत मेहनत कर रहे हैं। कुछ लोग हैं जो यह जानते हैं कि अपनी जड़ों की ओर लौटना कितना महत्वपूर्ण होता है और जो फ्लेवर्स की गूढ़ता को अच्छे से समझते हैं।

वरुण नायर ने हाल ही में एक पाक संस्थान से स्नातक किया है और वे 'जनाब’ नाम से एक रेस्टोरेंट भी चलाते हैं लेकिन वे देश भर में दौरे पर निकले हैं ताकि गांवों में छुपे हुए स्वाद को ढूंढ़ कर लाएं। सुंदर और एल्विन चीफ शेफ के साथ काम करके पाक कला की गूढ़ जानकारियां हासिल करने के लिए अपना सब झोंक रखा है। वहीं अरोड़ा हयात के इंचार्ज होने के नाते भारतीय व्यंजनों को बेहतरीन ट्विस्ट देने का स्वप्न देख रहे हैं।

 

बेकरी बच्चों का खेल नहीं

एक वक्त था जब मैकरून्स को ऊंचे दर्जे की डिस माना जाता था, जिसका स्वाद चखने के लिए 500 रुपये खर्च करने पड़ते थे। क्रीम ब्रूली और क्रीमी मिल्ली-फुल्ली तो केवल फाइव स्टार होटल में ही मिलते थे। लेकिन आज ये सब चीजें मोमोज की तरह हर जगह मिल जाती हैं। लोगों ने यू-ट्यूब और टीवी शो को देख-देख कर इन्हें बनाना तक सीख लिया है।

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कलिनरी आर्ट (आईआईसीए) की कार्यकारी निदेशक रुप्रीत दत्ता का कहना है कि आजकल लोग बिजनेस के लिए पेटिसरीज की क्षमताओं को समझ रहे हैं। उनका कहना है कि लोग आसानी से इसे एक सेकेंडरी कॅरियर के रूप में अपने घर से चला सकते हैं। आयुषी सिंघल जो खुद एक बेकर हैं और लवोने एकेडमी ऑफ बेकिंग साइंस एंड पेस्ट्री आर्ट से एक प्रोफेशनल कोर्स करने जा रही हैं, रूप्रीत दत्ता की बात से सहमत हैं। वह मानती हैं कि बेकरी को घर से चलाए जाने की वजह से इसे एक साइड बिजनेस के रूप में अपनाया जा सकता है। सच में, शिवेश भाटिया, राधिका अरोड़ा, दिवा राजपाल जैसे इंटरनेट सेलिब्रिटी बेकर्स ने लोगों को उनके खाली वक्त में बेकिंग करना सिखा दिया है। मास्टर शेफ इंडिया 2016 में फर्स्ट रनर अप रहने वाली आशिमा अरोड़ा का मानना है कि केवल अपने घर में बेकरी खोल देने भर से आप की दुकान चल निकलेगी ऐसा सोचना ठीक नहीं होगा। उनका कहना है कि आज बेकर्स तो बहुत हैं लेकिन अच्छे बेकर्स की संख्या मुट्ठी भर ही है।

सोशल मीडिया इस छोटे व्यवसाय के लिए काफी फायदेमंद है, यह जरूरी नहीं कि अच्छी डेसर्ट से ही आपको कस्टमर मिलें, लेकिन हां, अगर आपने अपने प्रोडक्ट्स के बेहतरीन फोटोग्राफ्स सोशल मीडिया पर डाले हैं तो इससे आपको अपना शुरुआती बिजनेस मिलने में आसानी होगी। गौरतलब है कि आजकल बहुत तेजी से वेस्टर्न डेसर्ट हमारी देसी मिठाइयों की जगह लेते जा रहे हैं, इसके साथ ही वह बहुत तेजी से बिक भी जाते हैं। अगर हम गुलाब जामुन की जगह रमबाल और रसमलाई की जगह चीजकेक को तवज्जो देते हैं तो हमें ज्यादा फायदा होगा। इस कला में डिप्लोमा कर रही संचिता गर्ग का कहना है कि पेटीसरी एक विज्ञान है जिसे बहुत ध्यान से सीखा जाना चाहिए। सफल बेकर बनने के लिए धैर्य और प्रोडक्ट्स की शुद्धता बहुत जरूरी है। इंडस्ट्री के दिग्गजों का कहना है कि अगर इस बिजनेस में आगे बढ़ना है तो आपको प्रोफेशनल लर्निंग कर लेनी चाहिए। दत्ता कहती हैं कि पिछले कुछ साल में आईआईसीए में बेकरी और पेटीसरी में डिप्लोमा करने के लिए आने वाले आवेदनों की संख्या में 60 फीसदी की वृद्धि हुई है। उनका कहना है कि हाई डिमांड होने के चलते संस्थानों को अपने यहां शॉर्ट टर्म कोर्स चालू करने पड़े हैं। यही वजह है कि भाटिया पश्चिम देशों से एक प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि भारत में वह सोशल मीडिया के जरिए अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं। 

 

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