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शिवराज में शिक्षकों को' वेटर’ की नौकरी

व‌िवाह महाकुंभ में श‌िक्षकों को द‌िया खाना परोसने का काम
स‌िंगरौली में कन्या व‌िवाह आयोजन में श‌िरकत करते मुख्यमंत्री श‌‌िवराज स‌िंह चौहान

मध्यप्रदेश सरकार आए दिन शिक्षकों के लिए अजीब-ओ-गरीब काम खोज ही लेती है। हाल ही में सिंगरौली जिले में संपन्न हुए 2400 बेटियों के विवाह महाकुंभ में शिक्षकों की ड्यूटी भोजन परोसने के लिए लगाई गई। कौन शिक्षक सब्जी परोसेगा, चावल परोसने पर किसकी ड्यूटी रहेगी, इसके अलावा पानी, मिठाई, बूंदी और सलाद कौन-कौन अध्यापक परोसेंगे, इसका बाकायदा आदेश जारी किया गया।

अपने पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंगरौली को जिला बनाया था। यह मध्यप्रदेश का 50 वां जिला था। तब से लेकर अब तक, मुख्यमंत्री अपने भाषणों में सिंगरौली को जिला बनाने की बात का जिक्र करना नहीं भूलते। पिछले महीने 22 मई को सिंगरौली के बैढऩ में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत कन्या विवाह महाकुंभ का आयोजन किया गया। इस कन्या विवाह योजना में 2400 बेटियों का विवाह संपन्न हुआ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसमें शिरकत की।

 इस कन्या विवाह महाकुंभ की सफलता के लिए मुख्यमंत्री ने सिंगरौली जिले के प्रशासन, जन-प्रतिनिधियों, समुदाय और जन सहयोग का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, ''मैं गदगद और प्रसन्न हूं। पहले एक साथ 11 सौ कन्या विवाह का रिकॉर्ड बड़वानी जिले का रहा है। आज 2400 कन्याओं का सामूहिक विवाह प्रेरणास्पद है। गरीब कन्याओं के विवाह अवसर पर इतना भव्य और अद्भुत आयोजन वर-वधू के साथ उनके परिवारजनों को भी खुशी और आनंद से भर देता है।’’

मुक्चयमंत्री ने कहा, ''मैंने सिंगरौली को जिला बनाया है। इसे सिंगापुर की तर्ज पर विकसित करने का राज्य सरकार प्रयास कर रही है। बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। सीवेज के लिए पैसा मंजूर हो गया है। यहां पर एयरपोर्ट बनेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिए 90 करोड़ स्वीकृत किए गए हैं।’’

जिस वक्त मुख्यमंत्री ये सब कह रहे थे, उसी वक्त मंच से कुछ ही दूर, राज्य सरकार के इस सामूहिक शादी समारोह में, करीब 400 शिक्षक 'वेटर’ के तौर पर काम कर रहे थे। इसके पहले जब कुछ शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के सामने विरोध किया तो सीएम के आने से ठीक पहले उन्हें वहां से हटा दिया गया।

सिंगरौली जिले में आयोजित मुख्यमंत्री कन्यादान योजना कार्यक्रम के लिए सरकारी शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की तरफ से खाना परोसने का लिखित आधिकारिक आदेश मिला था। सरकारी शिक्षकों को यह स्पष्ट तौर पर निर्देश था कि उन्हें समारोह में क्या करना है। जब जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से खाना परोसने के लिखित आधिकारिक आदेश की बात राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक जोशी के कानों तक पहुंची, तो उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी से इस मामले में तुरंत रिपोर्ट मांगी और कार्रवाई करने की बात कही है। इस प्रकरण में क्या कार्रवाई होती है, यह तो वक्त ही बताएगा।

मध्यप्रदेश सरकार आए दिन शिक्षकों के लिए कोई न कोई अनोखा काम खोज कर ले आती है। सरकार, शंकराचार्य प्रतिमा के आधार भाग के लिए प्रदेश भर से धातु जमा कर रही है। इसके चलते हाल ही में मुरैना कलेक्टर विनोद शर्मा ने बैठक में गांव में धातु संग्रहण के काम में शिक्षकों को लगाने की बात कही। इस पर डीईओ डॉ. आरएन नीखरा ने शिक्षकों के लिए निर्देश जारी करने में जरा भी देर नहीं की। नीखरा ने शिक्षकों को लिखे पत्र में कहा कि प्रतिमा के आधार भाग निर्माण के कार्य में शिक्षक धातु संग्रहण करके पुण्य कमाएं और गांव में रैलियां भी निकालें।

यह कोई पहला मामला नहीं है। असल में मध्यप्रदेश सरकार शिक्षकों का 'मनोबल’ और 'आत्मविश्वास’ बढ़ाने के लिए बड़ी 'समझदारी’ से फैसले लेती रही है! इसके पहले गांव में सीटी बजाकर खुले में शौच जाने वालों को रोकना, उनकी फोटो विभागीय अधिकारी को सौंपना और मंदिर के बाहर जूते-चप्पल की निगरानी करने जैसे प्रयोग मध्यप्रदेश सरकार शिक्षकों पर कर चुकी है।

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