मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के नेतृत्व में केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने 25 मई को एक साल पूरा कर लिया है। हालांकि सरकार ने कई सराहनीय काम किए, लेकिन एक साल में ही कई विवाद भी उनके नाम रहे हैं। सरकार ने मेट्रो रेल, कन्नूर हवाई अड्डा, पोर्ट परियोजना, तिरुवनंतपुरम से कासरगोडा तक जल मार्ग, कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए हरित केरलम, सामान्य शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और स्त्री सुरक्षा जैसी योजनाएं शुरू की हैं।
इसके अलावा संपूर्ण विद्युतीकरण जैसे काम केरल सरकार ने शुरू किए। दसवीं कक्षा तक मातृभाषा मलयालम को अनिवार्य करनेवाला विधेयक भी इस सूची में शामिल है। दूसरी तरफ सरकार की उपलब्धियों पर धब्बा लगाने वाले विवाद भी उठे। इनसे सरकार को बचना चाहिए था। सरकार के कई मंत्रियों ने विवादों के चलते सुर्खियां बटोरीं। सरकारी नियुक्तियों के मामले में उद्योग एवं खेल-कूद मंत्री ईपी जयराजन को इस्तीफा देना पड़ा। महिला से फोन पर अश्लील बातें करने के आरोप में यातायात मंत्री एके शशिंद्रन को भी इस्तीफा देना पड़ा। एक तीसरे मंत्री एमएम मणि, महिलाओं और सरकारी अफसरों से अशिष्ट शब्दों का प्रयोग करने के आरोप में इस्तीफा देने से तो बच गए, लेकिन पार्टी ने उनकी भर्त्सना की।
सरकार से जुड़े विवाद यहीं समाप्त नहीं होते। वार्षिक समारोह का विपक्ष और भाजपा ने बहिष्कार किया। पूर्व मुख्यमंत्री, माकपा नेता और प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष वीएस अच्युतानंदन समारोह में नहीं आए। वाम सरकार और मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने चाहे जितने बेहतर कार्य किए हों, लेकिन पिछले एक साल के दौरान उठे विवादों ने उन्हें फीका जरूर किया है।