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पत्नी का गर्मी कनेक्शन

एक पति की दास्तां कहता चुटीला व्यंग्य
व्यंग्य के भाव को दर्शाता कार्टून

अरे साहब, ये अखबार वाले तो रोज बता रहे हैं कि शहर में पारा चढ़ रहा है, गर्मी के मारे घरों में रहना मुश्किल हो रहा है, पर गुरु, हमारे घर पर तो हम उलटा ही महसूस कर रहे हैं। पिछले हफ्ते से हमारे घर का तापमान बहुत कम है, घर में ठंडक-सी भी महसूस हो रही है। अरे भाई, ऐसा इसलिए कि पत्नी हमारी मायके गई है। अब तो हम गर्मी में कूल-कूल फील कर रहे हैं।

वैसे हर साल लोग जब गर्मी से परेशान होते हैं, ऐसे में हमें ये गर्मियों वाला मौसम बड़ा सुहाता है। यही वह मौसम है जब हम अपने बैचलरहुड दिनों को दोबारा जीते हैं। न सुबह दूध लाने की चिकचिक, न मैडम को मेट्रो तक छोडऩे का झंझट। हां, लेकिन घर में ये ठंडक बनी रहे इसलिए दिन में एक-एकाध बार मैडम जी को फोन घनघना कर कह देते हैं, ‘लौट आओ प्रिय, तुम्हारे बिन घर सूना है।’ याद से पीछे ‘लंबी जुदाई’ वाला बैकग्राउंड म्यूजिक भी जरूर बजा देते हैं पर मन में तो अलग ही सुर बज रहे होते हैं, तुम कुछ दिन गुजारो मायके में ताकि हम भी गुजार सकें कुछ दिन अपने जायके से।

गर्मियों में कभी-कभी रेलवे वाले भी हमारी मनचाही मुराद पूरी कर देते हैं। जैसे ही पता चलता है कि पत्नी के लौटने का रिजर्वेशन तो वेटिंग में ही रह गया है तो ऐसा लगता है कि दो-चार दिन की लॉटरी फिर निकल आई और ऊपर वाला छप्पर फाड़ कर देने के मूड में है। वैसे इन गर्मियों में घर को कूल रखने में हमारे कुछ साथियों की भी अहम भूमिका है। वे शाम होते ही हमारे घर ‘जौ वाला शीतल जल’ लेकर आ जाते हैं और घर पर पत्नी के न होने के चलते जमकर उसका रसास्वादन करते हैं। वैसे कई बार ये कोफ्त जरूर होती है कि हमारे घर के पड़ोस वाले वर्मा जी के घर का तापमान हमारे घर से ज्यादा दिनों तक कम रहता है क्योंकि उनकी ससुराल विदेश में जो है। हमारी तो बस 200 किमी दूर है। वैसे नर हैं तो निराश क्यों हों, ऊपर वाले ने सुनी तो हमारे ससुर साहब का भी जल्द विदेश ट्रांसफर हो जाएगा। उम्मीद है कि अगले साल की गर्मियों में हमारी कूल ड्यूरेशन बढ्ने वाली है।

 

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