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दहशत में मुसलमान

बल्लभगढ़ के जुनैद की ट्रेन में हत्या और भय के माहौल से उभरा क्षोभ
उग्र भीड़ द्वारा हो रही हत्याओं के ‌व‌िरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

कहां वह छुट्टियों में घर आया और घरवालों को कुरान पढ़कर सुनाई तो अब्बा ने कहा कि बेटा तो हाफिज यानी कुरान का पाठ करने वाला बन गया! उसकी ख्वाहिश भी यही थी कि एक दिन जामा मस्जिद का इमाम बने। सो, अब्बा हुजूर की वाहवाही से खुश होकर भाइयों-दोस्तों के साथ ईद की खरीदारी करने दिल्ली के सदर बाजार चला गया। लेकिन यह ईद उसकी आखिरी हो गई।

देश में बीफ पर विवाद और गोरक्षकों के हिंसक उत्पात की दर्दनाक घटनाएं तो लंबे वक्त से जारी हैं लेकिन 15 साल के जुनैद की दास्तां दुख-क्षोभ और दहशत की जीती-जागती मिसाल बन गई। घटना के विरोध में मुस्लिम समाज के लोगों ने काली पट्टी बांधकर ईद मनाई और जंतर-मंतर पर धरना देने का ऐलान किया। कई सामाजिक और नागरिक संगठनों ने भी घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

गुरुवार 22 जून को बल्लभगढ़ के गांव खंदावली के जलालुद्दीन का बेटा जुनैद अपने भाई हाशिम, पड़ोसी दोस्त मोइन और मोहसिन के साथ दिल्ली के सदर बाजार से ईद की खरीदारी करके दिल्ली-मथुरा लोकल ट्रेन से घर लौट रहा था। ट्रेन में उन्हें बैठने के लिए सीट मिल गई। ओखला में काफी भीड़ डिब्बे में चढ़ी। इस दौरान धक्कामुक्की हुई और बात-बात में विवाद बढ़ गया। कुछ लोगों ने उनके सिर से टोपी उठाकर कहा, तुम देशद्रोही हो, पाकिस्तानी हो, और तुम्हारे पास बीफ है। फिर तो मारपीट शुरू हो गई। जुनैद के भाई हाशिम का कहना था कि तीनों भाइयों और दो दोस्तों के साथ हमलावरों की भीड़ ने दरिंदगी की। भीड़ में हमलावर लगातार गालियां दे रहे थे। यह वाकया बल्लभगढ़ तक चलता रहा। यहां उन लोगों ने जुनैद के भाई शाकिर को भी बुला लिया था। इन पर लात-घूसों और चाकुओं से वार किए गए। फिर जुनैद और शाकिर को मरा समझकर असावटी स्टेशन पर फेंक कर हमलावर भाग गए। डिब्बे में मौजूद डेढ़ सौ लोगों की भीड़ चुपचाप देखती रही।

वैसे, पुलिस इसे दो गुटों के बीच झगड़े का मामला मान रही है। बल्लभगढ़ के पुलिस अधीक्षक कमलदीप कहते हैं, ''असल में यह मसला बीफ का नहीं है बल्कि गुटों की लड़ाई का है। शुरुआत में जरूर धार्मिक टिप्पणियां की गई थीं। जुनैद और अन्य पर चाकुओं से हमला किया गया। मामले में एक आरोपी पलवल के रमेश सहित पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जांच जारी है।’

सरकारी रवैए पर गुस्से से मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मंगलवार को मेवात में मुस्लिमों की महापंचायत हुई जिसमें फैसला हुआ कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए दिल्ली में दो जुलाई से तीन दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। मेवात, पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम, भरतपुर और अलवर के असरदार मुस्लिमों ने महापंचायत में शिरकत की। मानवाधिकार कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव कहती हैं, ''गाय और सांप्रदायिकता के नाम पर बढ़ती हिंसा और मुसलमानों को निशाना बनाने की घटनाएं रोकी जानी चाहिए।’ घटना के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार अवार्ड लौटा दिया है। यह पुरस्कार उन्हें 2008 में मिला था। उन्होंने आयोग पर विश्वसनीयता खोने का आरोप लगाया। उन्होंने आयोग के चेयरपर्सन जी हसन रिजवी के बयानों पर भी निशाना साधा।

असल में बेकसूर जुनैद की हत्या ईद से ठीक पहले हुई, जो मुस्लिम समाज को ज्यादा ही कचोट रही है। जुनैद के ट्रैक्सी ड्राइवर पिता जलालुद्दीन ने कहा, ''अब मेरा बेटा तो चला गया लेकिन सरकार देश के बिगड़ते माहौल को ठीक करे ताकि फिर कोई जुनैद न मारा जाए।’ मां शायरा कहती हैं, ''जुनैद अक्सर कहता था वह एक दिन मस्जिद का इमाम बनेगा लेकिन मेरे बेटे को पीट-पीट कर मार डाला गया। आखिर क्या गलती थी उस मासूम की।’ जुनैद के छह भाई और एक बहन है। वह नूंह में छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहा था।

जुनैद की घटना कोई पहली नहीं है। इससे पहले राजस्थान के अलवर में भीड़ ने गाय लेकर जा रहे पहलू खां को पीट-पीट कर मार दिया था। दादरी में अखलाक की हत्या भी बीफ को लेकर कर दी गई थी। मुस्लिम समाज से जुड़े लोगों का आरोप है कि भाजपा सरकार के बाद लगातार मुस्लिमों पर हमले हो रहे हैं, फिर भी प्रधानमंत्री ने चुप्पी साध रखी है। आखिर सरकार कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही। इस पर भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन का कहना है, ''इस तरह की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह घटना ट्रेन में हुई है और आरोपी किसी संस्था से जुड़े नहीं थे। इस तरह की घटना भविष्य में न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।’ दूसरी ओर, कांग्रेस प्रवक्ता ब्रजेश कलप्पा कहते हैं, ''जिस तरह की घटनाएं भाजपा शासन में हो रही हैं उससे मुस्लिमों में खौफ पैदा हो रहा है। इस मामले में आरपीएफ और पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।’

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