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‘ब्रांड यूपी’ की तैयारी

सरकार को नई औद्योगिक नीति से विकास और रोजगार बढऩे की उम्मीद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

करीब पंद्रह साल के बाद उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्तासीन हुई योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने हाल ही में अपनी नई औद्योगिक नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के सहारे, योगी सरकार ‘ब्रांड यूपी’ को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ केंद्र के वृहत ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के तहत 'मेक इन यूपी’ के अपने लक्ष्य को भी हासिल करना चाहती है।

वैसे तो पूर्ववर्ती मायावती और अखिलेश यादव सरकारों ने भी अपने शासनकाल के दौरान ऐसी ही औद्योगिक नीतियों का खाका खींचा था लेकिन प्रदेश को इसका कोई खास लाभ नहीं मिला। दोनों ही सरकारों ने लखनऊ, मुंबई, आगरा समेत कई स्थानों में रोड शो और व्यापार शिखर सम्मेलन भी आयोजित किए थे, लेकिन निजी क्षेत्र की कंपनियों ने प्रदेश में कोई बड़ा निवेश करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।

प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने भी कहा कि सरकार की मंशा है कि राज्य में एक साल में उतना निवेश हो जितना कि पिछली अखिलेश सरकार के शासनकाल में पूरे पांच साल के दौरान हुआ था। नई औद्योगिक नीति इस बात पर जोर देती है कि आज की दुनिया में कई प्रकार के आंतरिक एवं बाहरी प्रभाव दिखते हैं, जिसका असर सकारात्मक या नकारात्मक भी हो सकता है। इसलिए आवश्यकता है कि नई नीति इन विभिन्न प्रभावों को प्रदेश के विकास में रोड़ा न बनने दे बल्कि विकास में गति दे।

पिछले महीनों में, प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए योगी ने कई देशों के प्रतिनिधियों समेत उद्योग जगत के लोगों से भी मुलाकात की है, जिनमें भारत-अमेरिका व्यापार काउंसिल, एसोचैम के प्रतिनिधि शामिल थे। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने फ्रांस, जापान, इजरायल, बेल्जियम के राजदूतों से भी मुलाकात करके आर्थिक क्षेत्रों में इन देशों के सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।

नई नीति के मूल में प्रदेश को निर्यात क्षेत्र में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार करना भी है जिससे उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी निवेश स्थल के रूप में स्थापित हो सके। सरकार की यही मंशा है कि नीति प्रदेश के स्थायी, समेकित और संतुलित आर्थिक विकास को बल दे और ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजित करे। योगी सरकार निवेशकों को लुभाने के लिए अक्टूबर-नवंबर महीने में निवेश सम्मेलनों का भी आयोजन करेगी जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित किया जाएगा। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं, ''नई औद्योगिक नीति ने प्रदेश में पारदर्शिता का उदय किया है और पूर्व के पूंजीवाद के चलन को खत्म करने का भी काम किया है।’’

नई नीति, निवेशकों को प्रदेश में बेहतर कानून- व्यवस्था का भरोसा दिलाती है और प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक स्थानों और क्लस्टर्स में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तैनात करने की बात करती है। लखनऊ में नई नीति के बारे में सतीश महाना ने कहा कि पिछली सरकारों के दौरान प्रदेश में निवेशकों के न आने का एक प्रमुख कारण उनका वसूली करने वाले गिरोहों की नजर से बचना भी होता था।

 

नई नीति में खास

-मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड का गठन होगा

-मेगा परियोजनाओं को पुन: परिभाषित करते हुए निवेश को रोजगार सृजन के साथ संबद्ध किया जाएगा

-प्रदेश में अनुकूल वातावरण प्रदान करते हुए निवेश को आकर्षक बनाया जाएगा और सभी वर्गों को समावेशी रोजगार के उचित अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे

-प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया जाएगा और समयबद्ध स्वीकृतियां प्रदान की जाएंगी

-समस्त औद्योगिक सेवाओं/स्वीकृतियों/ अनुमोदनों/लाइसेंसों को प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के अंतर्गत एक समर्पित सिंगल विंडो क्लीयरेंस विभाग बनाया जाएगा

-औद्योगिक क्लस्टर/क्षेत्रों में समर्पित पुलिस बल तैनात होगा

-उद्योगों तथा विनिर्माण इकाइयों को देश-विदेश के बाजारों में उत्पाद पहुंचाने में सहायता प्रदान करने के लिए वायु, जल, सडक़ एवं रेल नेटवर्क का एक कनेक्ट‌िविटी वेब बनाया जाएगा-

-प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए 'मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना’ प्रारंभ की जाएगी

-लघु, मध्यम उद्यम वेंचर कैपिटल फंड सृजित किया जाएगा

-निवेश के प्रोत्साहन एवं 'ब्रांड यूपी’ की मार्केटिंग के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर समिट आयोजित की जाएगी

 

 

 

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