अदालत में एक और बेहद थकाऊ दिन काटकर 33 वर्षीय कविता लाल अभी-अभी लौटी हैं। लेकिन आज उनके चेहरे पर हल्की-सी राहत है। आखिर महीनों बाद उस खौफनाक दिन का साया उनके सिर से उठा है, जब उन्हें लगा था कि उन्हें सरेआम निर्वस्त्र कर दिया गया है। हालांकि किसी तरह उनके पुराने दिन लौट नहीं पाएंगे, जब उनका पूरा वजूद ही तार-तार होता लगा था। शायद समय बीतने के साथ ही उस जख्म का दंश कुछ कम हो पाएगा। फिर भी इंसाफ की रोशनी दिखने लगी है। लंबी जांच-पड़ताल के बाद महीनों से उनका भगोड़ा पति अब हिरासत में है। सूरजपुर जिला सत्र अदालत में सुनवाई शुरू हो चुकी है। आज कविता उस 'खुशी की टिकिया’ के बिना भी काम चला सकती हैं। उन्होंने ऐंटी डिपरेशन (अवसाद दूर करने वाली) टैबलेट को यही नाम दे रखा है। जबसे उनकी जिंदगी में उथल-पुथल मची है, इसी टिकिया के सहारे जीती रही हैं। अब उसके बदले वे अपने प्रिय हिंदी धारावाहिक 'एक विवाह ऐसा भी’ में कुछ करने की योजना बना रही है।
सूरजपुर सुनकर चौंक गए हों तो जान लीजिए कि यह छत्तीसगढ़ का एक छोटा-सा कस्बा है। इसी से पता चलता है कि देश में डिजिटल घुसपैठ कितनी दूर-दराज तक हो चुकी है और यह अवास्तविक या आभासी दुनिया कैसे असली जिंदगियों को प्रभावित करने लगी है। कैसे यह जीवन की पुरानी अलिखित मर्यादाओं और शालीनताओं को तार-तार करती जा रही है जिनके सहारे हम जिंदगी की डोर बांधते रहे हैं।
कविता के पति का अपराध कोई मामूली नहीं है। यह कुछ ऐसा है जिससे आदमी पर भरोसा करना ही मुश्किल हो जाता है। उनके सबसे अंतरंग क्षण रिकॉर्ड किए गए और जैसे ही वे डिजिटल डाटा में परिवर्तित हुए, उन क्षणों की मानवीय संवेदनाओं से मुक्त पोर्न साइटों पर महज एक वीडियो क्लिप बन गए। अगर इतने से आप दहशत में नहीं आए तो ऐसी स्थिति में खुद को रखकर देखें, जब आपके बेहद निजी पल बदनाम साइटों और यू-ट्यूब, फेसबुक, वाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया पर सबकी आंखों के सामने आ जाएं।
आखिर कविता के पति ने ऐसा क्यों किया? वजह एक: प्रगाढ़ रिश्ता नहीं रह गया था। विवाह में खट-पट चल रही थी। वजह दो: वह उसकी पैसे और सेक्स की बेहिसाब मांग से तंग आ चुकी थी। कविता कहती हैं, ''जब मैंने ना कहना शुरू किया तो वह हमारे वीडियो वाट्सऐप पर हमारे दोस्तों, परिजनों को भेजने लगा और बाद में पोर्न साइटों पर भी भेज दिया।’’
इंटरनेट पर ''शर्मिंदगी’’ का शिकार होने वाली लगभग सभी महिलाएं ही हैं। यह इतना आम होता जा रहा है कि इसे एक नई फितरत की तरह देख सकते हैं। इसके लिए एक मुहावरा भी गढ़ लिया गया है : रिवेंज पोर्न (प्रतिशोध पोर्न)। यह मुहावरा उस काली दुनिया के दरवाजे खोल देता है, जिसमें बदले के जुनून या किसी और वजह से कोई अपने साथी को बदनाम करने की मंशा से अंतरंग पलों की तस्वीरें या वीडियो उसकी जानकारी के बिना सार्वजनिक कर देता है।
प्यार-मोहब्बत का यह बेहद दुखद और काला पक्ष है। जब कोई लड़की या स्त्री ना कह देती है तो लड़के या पुरुष अमूमन उस पर लांछन लगाने से लेकर एसिड फेंकने तक की हरकतें करते रहे हैं। लेकिन डिजिटल दुनिया ने इसके नए तौर-तरीके मुहैया करा दिए हैं। अब हर पल को रिकॉर्ड करने की फितरत जग गई है और इसे आपकी जेब में रखा सेलफोन बेहद आसान बना देता है। जब प्यार नफरत में बदल जाए तो यही डिजिटल डाटा एसिड से भी खतरनाक बन जाता है।
हाल में ऐसे मामलों का एकदम-से विस्फोट हुआ है। इस विस्फोट में कोई भी वर्ग और इलाका अछूता नहीं रह गया है। इससे यह भी पता चलता है कि हमारे समाज में स्त्रियों की मान-मर्यादा के बारे में वर्ग या तबके से कोई फर्क नहीं पड़ता। पुरुष की इज्जत के आगे उसकी इज्जत कोई मायने नहीं रखती।
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के जुलाई 2014 के आंकड़ों से पता चलता है कि 'इलेक्ट्रॉनिक फार्म में अश्लील कंटेंट के प्रसारण’ में पिछले साल के मुकाबले 104.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उसके बाद के तीन साल में इन मामलों में बेहिसाब बढ़ोतरी हुई है। साइबर सेक्यूरिटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन कहते हैं, ''पांच साल पहले ऐसे मामले महीने में एकाध ही होते थे। अब हर रोज दो-तीन मामले दिख जाते हैं।’’
हैदराबाद में साइबर सेल के प्रमुख जयराम के मुताबिक अब हर महीने प्रतिशोध पोर्न के कम से कम 15 मामले दर्ज होते हैं। इस साइबर सिटी में हाल में एक मामला ऐसा दिखा, जो सामान्य मर्यादाओं की रोशनी में समझ से परे है। एक आदमी अपनी पत्नी की बिना जानकारी के अंतरंग पलों का लाइव वीडियो पोर्न वेबसाइट को भेज रहा था। यह प्रतिशोध की वजह से नहीं था, बल्कि वेबसाइट ने उसके लिए उसे पैसे देने का वादा किया था।
देश में प्रतिशोध पोर्न का पहला मामला लोगों की जानकारी में दिसंबर 2004 में दिल्ली पब्लिक स्कूल के एमएमएस कांड से आया, जब स्कूल के एक लड़के-लड़की की अंतरंग हरकतों का मोबाइल से बनाया वीडियो वायरल हो गया था। तभी यह चेतावनी मिल गई थी कि डिजिटल दुनिया से क्या कुछ होने वाला है। लेकिन तब हर कोई इसे किशोरवय का मामला मानकर खारिज कर देना चाहता था। दुखद यह है कि उसने जैसे रास्ता दिखा दिया और अब यह विकराल बनता जा रहा है।
हालिया घटना श्रीलंकाई क्रिकेटर से नेता बने सनत जयसूरिया और उनकी पूर्व गर्लफ्रेंड मलीका सिरिसेना से जुड़ी है। उनका एमएमएस क्लिप वायरल हुआ, जिसे कथित तौर पर जयसूरिया ने ही प्रतिशोध के कारण लीक किया। श्रीलंका में इस पर जांच चल रही है। उसी दौरान यह खबर आई कि लोकप्रिय आरजे तथा गायिका सुचित्रा कार्तिक का ट्विटर एकाउंट हैक करके तमिल स्टार धनुष सहित कई फिल्मी स्टारों की अंतरंग तस्वीरें लीक कर दी गईं।
चौंकाने वाली बात यह है कि कैसे डिजिटल मीडिया की यह दलील सबके गले उतर गई कि जो कुछ आप करो, उसको रिकॉर्ड करना जरूरी है। अमूमन पुरुष बेवफा होने के पहले या जब उसे अपने अंतरंग साथी का खास ख्याल हो, तब भी वे अपने क्रियाकलापों की रिकॉर्डिंग करते हैं। प्रतिशोध तो इसमें तब जुड़ता है, जब मामला बिगड़ जाए या खटास बढ़ जाए। हाल में कानून की पढ़ाई कर रही एक लड़की डेटिंग वेबसाइट पर एक लडक़े से मिली। वह एक होटल मैनेजर था। लड़की ने जब कहा कि यह एक बार का ही मामला था और वह आगे इस पचड़े में नहीं फंसना चाहती तो वीडियो पोर्न साइटों पर पहुंच गए। एक और लड़की ने अपने द्ब्रवॉयफ्रेंड को इनकार कर दिया तो स्काइप पर उसका एक पुराना चैट वाट्सऐप और कुछ दूसरे साइटों पर चल गया, जो आज भी चल रहा है। यह फेहरिस्त काफी लंबी है।
यह हालत तो तब है जब वकील तथा साइबर पीडि़त काउंसलर देबराती हालदार के मुताबिक, ''आधे से ज्यादा मामलों की तो शिकायतें ही दर्ज नहीं होतीं।’’ नोएडा के साइबर सेल के प्रभारी विवेक रंजन राय का कहना है कि ज्यादातर पीड़ित सामाजिक लांछन के डर से मामले दर्ज कराते ही नहीं। साइबर सेक्यूरिटी विशेषज्ञ तथा साइबर ब्लॉग इंडिया के संस्थापक नीतीश चंदन कहते हैं, ''बहुत ही थोड़े मामले ऐसे होते हैं जिनकी मां-बाप को जानकारी होती है और उससे भी कम मामले ऐसे होते हैं जिनमें वे बच्चों के साथ खड़े होते हैं।’’
स्वाभाविक रूप से अधिकांश पीड़ित यही चाहते हैं कि ऐसे वीडियो या कंटेंट हटा लिए जाएं। कई बार यह बड़ा पेचीदा हो जाता है और मामला सिर्फ पुरुष या किसी लड़के से ही जुड़ा नहीं होता है। 24 वर्षीय साक्षी दुबे को अचानक एक दिन पता चला कि उनके नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट है और उस पर उनकी अश्लील तस्वीरें अपलोड की गई हैं। उन्होंने पाया कि यह हरकत उनकी पड़ोसी लड़की की है जिसकी नजर उनके ब्वॉयफ्रेंड पर थी। साक्षी ने उससे सिर्फ माफी मांग लेने को कहा। वे कहती हैं, ''पुलिस ने उसे डांट-डपट लगाई। उसके मां-बाप मेरे पास माफी मांगने आए और मैंने माफ कर दिया।’’
हालांकि ऑनलाइन बदनामी सिर्फ उन्हीं तक सीमित है जो कंप्यूटर और इंटरनेट पर सक्रिय हैं। अदालती मुकदमे बड़े थकाऊ और परेशानी पैदा करने वाले हो सकते हैं इसलिए आश्चर्य नहीं कि प्रतिशोध पोर्न के ज्यादातर पीड़ित औपचारिक शिकायत करने में हिचकते हैं। साइबर अपराध वकील प्रशांत माली कहते हैं, ''मुकदमे बरसों तक चलते हैं और इस दौरान पीड़ित की जिंदगी में उस घटना का साया लगातार मंडराता रहता है।’’
मुंबई में 31 वर्षीय ममता खरबंदा और उनकी बहन दोनों ही पीड़ित थीं। उनकी बहन के पूर्व ब्वॉयफ्रेंड ने फेसबुक पर दोनों के नाम से फर्जी अकाउंट बनाया और उस पर बहन की अश्लील तस्वीरें पोस्ट कीं। फिर ममता की फोटो मार्प करके डालीं। तस्वीरों के साथ उनके नंबर और भद्दे मैसेज भी डाले। उसने उनके परिवारवालों को दोनों के ''बुरे काम’’ के बारे में ई-मेल भी भेजे। तीन साल पहले यह मामला अंधेरी की सत्र अदालत में आया। मुकदमा आज भी खिंचता जा रहा है और खरबंदा बहनें अब सोचती हैं कि क्या उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटा कर सही किया। ममता कहती हैं, ''वह चैन की जिंदगी जी रहा है, हाल में शादी की और अब उसका एक बच्चा भी है। उसे एक बड़ी आइटी कंपनी में नौकरी भी मिल गई है।’’ ममता को यह नाराजगी भी है कि नौकरी देने वाले पृष्ठभूमि की जांच-परख क्यों नहीं करते।
या, चेन्नै के पास इलमपिल्लै की महज 21 साल की विनुप्रिया की दास्तां ही देखें। वह तो बस खुदकशी के आंकड़ों में शुमार हो गई। आप इसका दोष पुलिस की बेहिसाब लेट-लतीफी पर मढ़ सकते हैं लेकिन यह कोई अपवाद घटना नहीं है। पड़ोस का एक लड़का उसे परेशान करने लगा। जब उसने उसे अनदेखा किया तो लड़के ने उसकी मार्प की गई तस्वीरें फेसबुक पर डाल दीं। उसके पिता ने इसकी शिकायत तमिलनाडु साइबर अपराध शाखा में की। वहां उन्हें बताया गया कि तस्वीरों को हटाने में 10 दिन लग जाएंगे। इस बीच लड़का लगातार और तस्वीरें पोस्ट करता रहा। विनुप्रिया के लिए यह बर्दाश्त के बाहर हो गया और उसने गले में फंदा लगा लिया। दुखी पिता अन्नादुरै कहते हैं, ''अगर पुलिस ने फौरन कार्रवाई की होती तो मेरी बेटी ने खुदकशी नहीं की होती।’’
हरियाणा की छात्रा 23 वर्षीय कौशल तिवारी ने अपनी कुछ बेहद निजी तस्वीरें अपने ब्वॉयफ्रेंड से साझा की। ये तस्वीरें फेसबुक पर उसके नाम के एक फर्जी अकाउंट के जरिए ऑनलाइन हो गईं। कौशल ने हिम्मत दिखाई और इसकी शिकायत पुलिस से की। लड़का लापता हो गया। फेसबुक अकाउंट तो बंद हो गया लेकिन पुलिस ने लड़के को तलाश करने की कोई कोशिश नहीं की।
हालांकि कंटेंट ऑनलाइन होने के बाद उसे हटाना मुश्किल है। फेसबुक और वाट्सऐप जैसी मुख्यधारा की वेबसाइटों के यहां तो बाकायदा एक नीति है लेकिन पोर्न साइटों का संसार तो पूरी तरह अनैतिक है, जिनका पता-ठिकाना पता करना मुश्किल है और जहां शिकायत करने का कोई विकल्प नहीं होता। भारत में 2015 के बाद से फौरी कंप्यूटर रिस्पांस टीम (सीईआरटी) है जिसके पास कंटेंट रोकने या पूरी वेबसाइट को ही बंद करने का अधिकार है। लेकिन, चंदन कहते हैं, ''सच्चाई यह है कि प्रतिशोध पोर्न को रोकने के बावजूद उसे पूरी तरह हटाना कभी संभव नहीं होता।’’ वजह यह है कि इंटरनेट बॉट्स का इस्तेमाल करके वेबसाइटों से कंटेंट उठाते हैं और उसे पोस्ट करते हैं। हालदार बताते हैं, ''अमूमन एक से ज्यादा वीडियो होते हैं इसलिए एक को हटाने के बाद भी दूसरे वीडियो के जरिए पीड़ित को ब्लैकमेल करने की संभावना बनी रहती है।’’ एक साइट से हटाने के बाद वही कंटेंट दोबारा अपलोड किया जा सकता है।
प्रतिशोध पोर्न के बढ़ते मामलों को देखकर मेनका गांधी की अगुआई वाला महिला और बाल विकास मंत्रालय भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और सूचना-प्रौद्योगिकी (आइटी) कानूनों के मौजूदा प्रावधानों के बीच फासलों को खत्म करने के उपायों पर विचार कर रहा है। अमेरिका के कई राज्यों और ब्रिटेन तथा ब्राजील जैसे कई देशों में प्रतिशोध पोर्न के लिए अलग से कानून हैं। माली कहते हैं, ''भारत में कोई अलग से कानून नहीं है। हालांकि हम वकील आइटी कानून की धारा 66ई (किसी के गुप्त अंगों की तस्वीरों का प्रसारण) और 67 ए (इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में काम क्रिया से संबंधित सामग्री का प्रसारण) और आइपीसी की धारा 354बी, 354सी (बिना अनुमति के किसी की आपत्तिजनक तस्वीरें लेना और उसे ऑनलाइन प्रसारित करना) के तहत अपने मुकदमे पेश करते हैं लेकिन अलग कानून होने से साइबर अपराध पर न्याय दिलाना आसान होगा।’’
इन प्रावधानों को बिना सहमति के पोर्नोग्राफी के पीड़ित के लिए बताया जा सकता है लेकिन ये इन मामलों की पेचीदगियों को पूरी तरह नहीं समेटते हैं। मसलन, 354बी के तहत किसी पुरुष को इसलिए दंडित किया जा सकता है कि उसने किसी स्त्री को बेइज्जत करने की मंशा से निर्वस्त्र किया या उसे ऐसा करने पर मजबूर किया है। इससे प्रतिशोध पोर्न के पीडि़तों को मदद नहीं मिलती क्योंकि ऐसी हरकतें अमूमन अनजाने में सहमति के आधार पर हो सकती हैं। चंदन कहते हैं, ''आइपीसी की धारा 499 आपराधिक अवमानना से संबंधित है। लेकिन इसमें बड़ा फर्क यह है कि इसमें ऐसा कंटेंट बनाने के बारे में कुछ नहीं है। मौजूदा कानून सिर्फ प्रसारण और प्रकाशन से संबंधित हैं।’’
ऐसे कंटेंट के खिलाफ नीतियों वाले सोशल मीडिया साइट अपलोड होने के बाद सिर्फ हटा भर सकती हैं। ऐसे में अगर कोई वीडियो उनकी साइट पर एक दिन के लिए भी चल गया तो वह कई बार शेयर और डाउनलोड कर लिया जाता है। फेसबुक और ट्विटर दोनों की एडवाइजरी बोर्ड में शामिल रंजना कुमारी कहती हैं कि अब ये अपने कंटेंट को अधिक सुरक्षित बनाने पर काम कर रही हैं। करोड़ों उपभोक्ताओं के होने से यह काम आसान भी नहीं है। रंजना का कहना है कि पुलिस को ऐसे अपराधों से निबटने का प्रशिक्षण देने से कुछ मदद मिलेगी। हाल में हैदराबाद पुलिस ने ऐसे अपराधों के प्रति जागरूकता के लिए एक वीडियो अभियान चलाया था।
फिलहाल, प्रतिशोध पोर्न के मामले में अधिकतम सजा पांच साल और 10 लाख रु. जुर्माने की है। टंडन कहते हैं, ''ज्यादातर मामलों में वकील दोषियों को जमानत दिलाने में कामयाब हो जाते हैं।’’ चंदन कहते हैं, ''कठोर सजा का प्रावधान ऐसे अपराधियों को कुछ हद तक रोक सकता है।’’ लेकिन कविता जैसे पीड़ितों के लिए तो पूरा जीवन ही टूट-सा जाता है। इसलिए कड़े नियम बनाने से हिचकना नहीं चाहिए।
-साथ में चेन्नै से जी.सी. शेखर और कोलकाता से डोला मित्रा
(पहचान छुपाने के लिए पीड़ितों के नाम बदल दिए गए हैं)