नई दिल्ली के होटल ताज पैलेस में 18 अगस्त को आउटलुक के संस्थापक संपादक विनोद मेहता की स्मृति में एक लेक्चर का आयोजन किया गया। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान करने वाली हस्तियों को आउटलुक स्पीकआउट अवार्ड्स भी प्रदान किए गए। प्रथम विनोद मेहता मेमोरियल लेक्चर के लिए दो बार पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित जाने-माने अमेरिकी पत्रकार-लेखक स्टीव कॉल को आमंत्रित किया गया। वाशिंगटन पोस्ट के प्रबंध संपादक रहेस्टीव कॉल ने अपने संबोधन में 21वीं सदी में मीडिया के सम्मुख खड़ी चुनौतियां और स्वतंत्रता तथा साख के संकट पर अपने विचार रखे। उन्होंने खासतौर पर विनोद मेहता की लेखन शैली और भारतीय पत्रकारिता में उनके योगदान की सराहना की। पेशेवर और तथ्यपरक पत्रकारिता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सूचना के निरंतर बढ़ते प्रवाह के बीच इसी तरह मीडिया की साख बचाए रखी जा सकती है। कोलंबिया स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के संस्थापक जोसेफ पुलित्जर का उदाहरण देते हुए कॉल ने पत्रकारिता में नए प्रयोगों पर जोर दिया।
फेक न्यूज और सनसनीखेज खबरों के बारे में स्टीव कॉल ने कहा कि पॉॅपुलर और सीरियस प्रेस हमेशा से मौजूद रहा है। खबरों को सनसनीखेज तरीके से प्रस्तुत किया जाता रहा है। लेकिन खतरनाक होता है इसका प्रोपगैंडा में बदल जाना। जब सनसनी का इस्तेमाल धारणाओं के निर्माण और राजनैतिक लाभ उठाने के लिए किया जाने लगता है। उन्होंने कहा कि खबरों और प्रोपगैंडा के बीच का फर्क मिटता जा रहा है। पाठकों के लिए दोनों के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है। यह समस्या लोकतंत्र के लिए खतरा बनती जा रही है। इस चुनौती से उबरने की जिम्मेदारी पत्रकारों, मीडिया संस्थानों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सरकार सबके ऊपर है।
कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सात अलग-अलग श्रेणियों में आउटलुक स्पीकआउट अवॉर्ड प्रदान किए। सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को दिया गया। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली संस्था सेवा की संस्थापक गांधीवादी कार्यकर्ता इला भट्ट को विनोद मेहता मेमोरियल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
सर्वश्रेष्ठ प्रशासक का अवार्ड ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, सर्वश्रेष्ठ सामाजिक रूप से जागरूक उद्यमी का अवार्ड विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी, सर्वश्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता का अवार्ड सुपर-30 के आनंद कुमार, सर्वश्रेष्ठ अकादमिक का अवार्ड जाने-माने राजनीतिक मनोविज्ञानी आशीष नंदी, सर्वश्रेष्ठ नॉन-फिक्शन लेखक का अवार्ड वरिष्ठ पत्रकार अक्षय मुकुल, सर्वश्रेष्ठ कलाकार का अवार्ड रतन थियम, सर्वश्रेष्ठ पत्रकार का अवार्ड पत्रकार हरीश दामोदरन और ह्विसिल ब्लोअर का अवार्ड दिवंगत सत्येन्द्र दुबे को प्रदान किया गया।
सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आज स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के जमाने में हम मिनटों में न्यूज और अपडेट हासिल कर सकते हैं। पारंपरिक जर्नलिज्म खासकर प्रिंट जर्नलिज्म बड़ी चुनौती के दौर से गुजर रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए पश्चिमी देशों में बड़े और स्थापित मीडिया प्रतिष्ठान डिजिटल की ओर रुख कर रहे हैं। भारत में भी मीडिया संस्थानों को देर-सबेर इसी राह पर आगे बढ़ना होगा। संसदीय प्रणाली के महत्व का जिक्र करते हुए अरुण जेटली ने कहा कि शोर-शराबे से
इतर संसद अब भी देश की सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक है। इसके दोनों सदनों में विभिन्न विचारों और पृष्ठभूमि के प्रतिनिधियों को सुना जाता है।
मैगजीन जर्नलिज्म खासकर, जिस तरह की पत्रकारिता आउटलुक करती है, को सबसे चुनौतीपूर्ण करार देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि आज के समय में तकनीक ने खबरों को पूरी तरह बदल दिया है। जेटली ने इन तमाम चुनौतियों के बावजूद बेहतरीन काम के लिए प्रिंट पत्रकारों और प्रकाशकों की सराहना करते हुए कहा कि देश में आज भी कई पत्रिकाएं अपना पाठक वर्ग बचाए हुए हैं। नवीन पटनायक ने अपने अवार्ड को ओडिशा की जनता को समर्पित करते हुए कहा कि राज्य में गरीबी कम करना उनके शासन की बड़ी सफलता रही है।
इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान दे रहे लोगों को पुरस्कृत करते हुए उन्हें बेहद खुशी हो रही है। देश और समाज की भलाई के लिए काम कर रहे ये लोग वाकई सम्मान और सराहना के हकदार हैं। मीडिया के स्वरूप में तेजी से हो रहे बदलावों के बारे में उन्होंने कहा कि इस डिजिटल क्रांति के दौर में सोशल मीडिया एक बड़े प्लेटफॉर्म के तौर पर उभरा है। लेकिन साथ ही यह चुनौती भी है कि इसका दुरुपयोग न हो। सोशल मीडिया पर प्राप्त होने वाली किसी भी तरह की सूचना को बहुत सोच-समझकर साझा किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में राजन रहेजा ग्रुप के चेयरमैन राजन रहेजा, आउटलुक के प्रधान संपादक राजेश रामचंद्रन और आउटलुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंद्रनील रॉय के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद थे।