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अपराध पर सख्ती!

अपराध में बेहिसाब बढ़ोतरी से आलोचनाओं की जद में आई योगी सरकार में कुछ माह से मुठभेड़ों का सिलसिला बढ़ा
नई सक्रियताः लखनऊ में गैंगस्टर सुनील शर्मा की मुठभेड़

सत्ता संभालने के कुछ समय बाद ही राज्य में आपराधिक हरकतों में बढ़ोतरी से तीखी आलोचना की जद में आई योगी आदित्यनाथ सरकार अब अपराधियों पर सख्त होती दिख रही है। पिछले कुछ हफ्तों में अचानक पुलिस मानो हरकत में आ गई और कई इनामी और भगोड़े अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया या पकड़ लिया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 20 मार्च से 14 सितंबर, 2017 के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने करीब 420 मुठभेड़ों में 15 शातिर अपराधियों को मार गिराया और 868 इनामी वांछितों को गिरफ्तार किया। इन मुठभेड़ों में 88 पुलिसवाले भी घायल हुए। सबसे ज्यादा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खासकर मेरठ परिक्षेत्र में 10 अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए। पिछले छह महीने में 1,106 अपराधी पकड़े गए।

पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो 54 अपरा‌धियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धाराएं लगाई गईं और 69 अपराधियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया। हाल में लखनऊ में एक सितंबर को सुनील शर्मा मुठभेड़ में मारा गया, जिसने पार्षद पप्पू पांडेय की हत्या की थी। 18 अगस्त को आजमगढ़ में शार्प शूटर सुरजीत सिंह मारा गया। 27 अगस्त को गैंगस्टर उदयराज मारा गया और 29 अगस्त को बिजनौर का गैंगस्टर गुलाम आलम पकड़ा गया और नोएडा के बिजू दुजाना ने दिल्ली में समर्पण किया। पुलिस के मुताबिक उसके अभियान से ज्यादातर अपराधी पड़ोसी राज्यों और नेपाल में भाग गए हैं।

दरअसल, योगी ने सरकार में आते ही कहा था, "मैं अपराधियों को चेतावनी देता हूं कि वे समर्पण कर दें या राज्य छोड़ दें। हम सख्त कदम उठाने से कतई नहीं हिचकेंगे।" ज्यादातर मुठभेड़ें अपराध के लिए बदनाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में हुई हैं।  

असल में यह सख्ती खासकर तब दिखने लगी, जबसे नए पुलिस महानिदेशक की कुर्सी सुलखान सिंह ने संभाली है। इसके अलावा सरकार ने पुलिस का मनोबल बढ़ाने और वांछित अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए नकद इनाम घोषित करने की नीति में भी बदलाव किया है। प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) या गृह सचिव (पुलिस) अब वांछित अपराधियों पर पहले के 2.5 लाख रुपये के मुकाबले पांच लाख रुपये तक का इनाम घोषित कर सकते हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक या जिले के प्रभारी पुलिस अधीक्षक स्तर पर पहले के 5,000 रुपये के मुकाबले अब 25,000 रुपये तक के नकद इनाम घोषित करने का अधिकार होगा।

पिछले महीनों के दौरान अपराधियों और उग्र भीड़ द्वारा पुलिस पर हमले की घटनाओं में वृद्धि भी हुई थी। कुछ हमले तथाकथित गो-रक्षकों के भी रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री और राज्य सरकार के अधिकृत प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि योगी सरकार कानून के मुद्दे पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर कायम है और पुलिस को खुली छूट है कि वह नियम और कानून के आधार पर कोई भी कार्रवाई करे, फिर चाहे वह भाजपा का ही कोई सदस्य क्यों न हो। लेकिन, अपराध और अपराधियों पर लगाम तब भी नहीं लग रही थी।

उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि योगी और उनकी सरकार की नीति अगर साफ है तो पुलिस विभाग को इस बाबत अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए वांछित अपराधियों के खिलाफ मोर्चा खोल देना चाहिए। लेकिन पुलिस की अपनी मजबूरी है। उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग अधिकारियों और जवानों की भारी कमी से जूझ रहा है। करीब 22 करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में 3.63 लाख स्वीकृत पुलिस पद हैं जबकि फिलहाल केवल 1.81 लाख पुलिसकर्मी तैनात हैं। इसका सीधा अर्थ है कि प्रदेश में पुलिस बल स्वीकृत बल से केवल आधा ही है जो देश के औसत पुलिस बल में कमी के 24 प्रतिशत से दोगुना है। हाल ही की एक कैग रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस न केवल स्वीकृत पदों की अपेक्षा आधे बल, वरन पुराने शस्‍त्र और संचार तकनीक के सहारे ही काम कर रही है। उप्र का करीब 48 प्रतिशत सशस्‍त्र पुलिस बल .303 राइफल का इस्तेमाल करता है, जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 20 साल पहले ही अनुपयुक्त घोषित कर दिया था।

बहरहाल देखना यह है कि योगी सरकार की सख्ती और पुलिस की नई चुस्ती अपराध नियंत्रण में कितना कारगर हो पाती है। आखिर सिर्फ मुठभेड़ों से ही तो अपराध नहीं मिटाया जा सकता। इसकी राजनैतिक-सामाजिक वजहें भी दुरुस्त करनी होती हैं। राज्य में भाजपा की बड़ी जीत में अपराध मुक्त माहौल देने का भी एक बड़ा वादा था।

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