लोगों से अमर्यादित व्यवहार के लिए सुर्खियों में रहने वाले छत्तीसगढ़ के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर आय से अधिक संपत्ति के मामले में घिरते नजर आ रहे हैं। 2003 तक बिना पैन कार्ड वाले अजय चंद्राकर को अब अकूत संपत्ति का मालिक बताया जा रहा है। इनके या इनके कुनबे और उनके बुरे दिन के साथियों के नाम पर कई चावल मिल, भंडार गृह, भूसे से चलने वाले पावर प्लांट, स्कूल व संस्था और जमीन होने की खबर है। राज्य के धमतरी जिले के किसान कृष्ण कुमार साहू ने मंत्री की संपत्ति का पूरा ब्योरा सूचना के अधिकार (आरटीआइ) से निकलवाया है। यह करीब नौ हजार पन्नों में बताया जा रहा है। कृष्ण कुमार की शिकायत पर राज्य की जांच एजेंसियों और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से बच निकलने वाले अजय चंद्राकर के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच शुरू कर दी है।
राज्य के धमतरी जिले के कुरुद विधानसभा क्षेत्र के विधायक अजय चंद्राकर एक साधारण किसान परिवार से हैं। वह 1998 में पहली बार विधायक चुने गए। 2003 में राज्य की भाजपा सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद शिक्षा और संसदीय कार्य जैसे विभाग भी उन्हें दिए गए। 2008 में विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाकर लालबत्ती दे दी। इतना ही नहीं, 2013 में मंत्री बनाने के साथ फिर उन्हें पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग दे दिया गया। उनके पास स्वास्थ्य और संसदीय कार्य विभाग भी है। कहा जा रहा है कि 2003 से 2008 के बीच केंद्र सरकार से ग्रामीण विकास की योजनाओं के लिए काफी बजट आया। लेकिन नक्सली इलाकों के चलते कई गावों में न तो विकास कार्य हुए और न ही प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सड़कें बनाई जा सकीं या फिर आधे-अधूरे काम की शिकायतें आईं। शिकायतकर्ता कृष्ण कुमार साहू का कहना है कि मंत्री अजय चंद्राकर का पहले ही कार्यकाल में कायापलट हो गया। कुरुद का खपरैल मकान तीन मंजिला और आधुनिक सुख- सुविधाओं वाला हो गया। जमीन और मकान भी खरीदे गए। अजय चंद्राकर और उनकी पत्नी के खाते में अलग-अलग बैंकों में लाखों रुपये जमा हो गए।
नाममात्र की थी पैतृक संपत्ति
बताया जाता है कि अजय चंद्राकर के पिता कलीराम चंद्राकर को बंटवारे में ढाई एकड़ कृषि जमीन और कुरुद में तीन-चार डिसमिल क्षेत्र का एक खपरैल मकान मिला था। कृष्ण कुमार साहू का कहना है कि अजय चंद्राकर के नाम पर 2003 से पहले एक एकड़ और 64 डिसमिल जमीन थी, जिसमें से मात्र छह डिसमिल ही खेती योग्य थी। विधायक और मंत्री के तौर पर प्राप्त वेतन से उनकी आय दस साल में 27 लाख से ज्यादा नहीं होती। ऐसे में सवाल उठता है कि अजय चंद्राकर के खातों में बेशुमार पैसे कहां से आ गए? कृष्ण कुमार साहू सूचना के अधिकार कानून का इस्तेमाल कर अजय चंद्राकर के बारे में जानकारी निकालकर राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो में गए। वहां सुनवाई नहीं हुई, तो धमतरी और रायपुर की अदालतों में गए, पर वहां भी वह अजय चंद्राकर के सामने कमजोर पड़ गए। इसके बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका लगाई। हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार तो की लेकिन तकनीकी आधार पर अगस्त में खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि याचिका दायर करने में देरी कर दी गई।
क्षेत्र में भय और दहशत का माहौल
अजय चंद्राकर के विधानसभा क्षेत्र कुरुद के निवासी नीलम चंद्राकर का कहना है कि अजय चंद्राकर ने मंत्री पद का दुरुपयोग कर संपत्ति हासिल की है। जब वे मंत्री बने तो उनके पास कुछ नहीं था। चावल मिल और गोदाम भी उन्हें विरासत में नहीं मिले हैं। कुरुद निवासी तपन चंद्राकर का कहना है कि क्षेत्र में मंत्री अजय चंद्राकर ने भय और दहशत का माहौल बना रखा है। इस कारण लोग उनके गलत कामों को सार्वजनिक तौर पर नहीं बोल पाते। मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ही आने वाले भखारा के भारत नाहर का कहना है कि अजय चंद्राकर को मंत्री पद से इस्तीफा देकर स्वयं ही जांच करानी चाहिए।
राज्य शासन है खामोश
सबसे बड़ी बात यह है कि मंत्री अजय चंद्राकर के खिलाफ कृष्ण कुमार साहू की शिकायत पर सरकार ने अब तक कोई जांच नहीं कराई है, जबकि साहू जांच एजेंसियों से लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक इसकी शिकायत कर चुके हैं। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी नारायणसामी ने अजय चंद्राकर के खिलाफ टिप्पणी की थी। इससे नाराज होकर अजय चंद्राकर ने सामी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर दिया। नारायणसामी कानूनी लड़ाई लड़ने के बजाय कोर्ट में माफीनामा दे आए। इससे अजय चंद्राकर के हौसले और बुलंद हो गए।
आय ही नहीं, दूसरे विवाद भी हैं
कुरुद विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी और साहू की बहुलता है। गंगरेल बांध के चलते धान की उपज अच्छी होती है। इसलिए किसानों की दशा अपेक्षाकृत ठीक है। 2003 में अजय चंद्राकर को पिछड़े वर्ग से कुर्मियों के प्रतिनिधि के रूप में कैबिनेट में रखा गया था। 2008 में छवि के चलते चुनाव हारे, लेकिन संगठन के लोगों को साधकर पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत कर ली। 2013 के विधानसभा चुनाव में इसका फायदा मिला और आज वह रमन सिंह मंत्रिमंडल के नंबर दो मंत्री कहे जाते हैं।
कुरुद के तपन चंद्राकर बताते हैं कि अजय चंद्राकर की संपत्ति पांच सौ करोड़ रुपये के आसपास है। पिछले साल पंचायत विभाग की संविदा अधिकारी मंजीत कौर बल ने उन पर कुछ महिला प्रशिक्षु अधिकारियों से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था। मंजीत ने विशाखा कमेटी के प्रमुख के नाते मामले की जांच भी अपने स्तर पर की। बाद में उनकी संविदा अवधि खत्म कर दी गई। वह भी अब अजय चंद्राकर के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं।
पीएमओ तक ऐसे पहुंची बात
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में मामला खारिज होने के बाद कृष्ण कुमार साहू और मंजीत कौर बल ने सबूतों के साथ अजय चंद्राकर की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड जैसी कई संस्थाओं को भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय को निर्देशित कर दिया और मंत्री के खिलाफ जांच की सूचना छत्तीसगढ़ सरकार को भी भेज दी। सरकार ने इस मामले को तब तक दबाए रखा, जब तक शिकायतकर्ताओं को सूचना नहीं मिली। शिकायतकर्ताओं को पत्र मिलने और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा बयान दर्ज करने के बाद राज्य सरकार को चंद्राकर के खिलाफ जांच की बात स्वीकारनी पड़ी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को कहना पड़ा कि पीएमओ से चिट्ठी आई है, सरकार ईडी को जांच में सहयोग करेगी। हालांकि अजय चंद्राकर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला कोई नया नहीं है। भाजपा के पहले शासनकाल में भी आरोप लगे थे और दिसंबर 2013 से मामले कोर्ट और एंटी करप्शन ब्यूरो पहुंचने लगे। इसके बाद भी पार्टी और सरकार आंख बंद किए हुए है, जबकि 2013 में छत्तीसगढ़ के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. रमन सिंह ने राज्य में भ्रष्टाचार के मामले में नो टॉलरेंस नीति अपनाने का ऐलान किया था।
जांच एजेंसियों ने सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ छापेमारी कर कई लोगों को जेल भेजा, लेकिन अजय चंद्राकर पर एफआइआर तक दर्ज नहीं हुई। छत्तीसगढ़ में लोकायुक्त जैसी संस्था भी है, फिर भी सरकार ने शिकायतों की जांच के लिए किसी को अधिकृत नहीं किया। चंद्राकर राज्य के पहले मंत्री हैं, जिनके खिलाफ ईडी ने जांच शुरू की है। इन आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने आउटलुक से कहा, ‘‘मुझे ईडी की किसी भी जांच की कोई जानकारी नहीं है। जो लोग आरोप लगा रहे हैं, वही अच्छी तरह से बता सकते हैं।’’
ऐसी साख और मिशन-65
मंत्री के खिलाफ ईडी की जांच से पार्टी और सरकार दोनों की साख पर बट्टा लग रहा है। अब देखना है कि सरकार और पार्टी अजय चंद्राकर के खिलाफ क्या कदम उठाती है? अगले साल यहां विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 65 सीटें जीतने का लक्ष्य दे गए हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लोगों के दम पर क्या पार्टी यह टारगेट हासिल कर पाएगी? यह बड़ा सवाल है।