Advertisement

शिवराज के खिलाफ अपनों की लामबंदी

भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा
कभी साथ-साथ थेः पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर अब सीएम की आलोचना करने में नहीं चूकते

भाजपा के पोस्टर ब्वॉय, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 2018 विधानसभा चुनावों की तैयारी में ही मशगूल नहीं हैं, बल्कि उन्हें 2019 के लोकसभा चुनावों का मोर्चा भी संभालना है। सो, पार्टी और कार्यकर्ताओं में जान फूंकने के लिए नारा गढ़ा गया है ‘अबकी बार 200 पार।’ लेकिन चुनौतियां कम होने के बजाय बढ़ती दिख रही हैं। हाल में हुए किसान आंदोलन के दौरान मंदसौर गोलीकांड से लोगों की नाराजगी को भुनाने के लिए कांग्रेस कमर कसे हुए है। लेकिन उससे भी बढ़कर शिवराज अपनों की चुनौतियों से परेशान दिखते हैं। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता किसी मुद्दे पर मौका मिलते ही कभी आंखें दिखाने लगते हैं या फिर तंज कसने से नहीं चूकते।

ताजा मामला आरएसएस की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले और अपने बेबाक बयानों के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का है। हाल में जब पेट्रोल-डीजल के दाम रोज-ब-रोज चढ़ने लगे तो गौर ने वित्त मंत्री जयंत मलैया को पत्र लिखकर पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम करने की मांग की। कुछ महीने पहले 75 वर्ष आयु सीमा के फार्मूला के तहत गौर को मंत्री पद से हटा दिया गया था। उनके करीबियों का कहना है ‌कि उनके साथ धोखा हुआ है, उन्हें झूठ बोलकर हटाया गया और इसकी पटकथा मुख्यमंत्री और उनके किचन कैबिनेट ने तैयार की।

हाल ही में भोपाल प्रवास के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जब 75 वर्ष के फार्मूले से इनकार कर दिया तो गौर में शायद नया जज्बा जग गया। फिर तो गौर साहब फ्रंट फुट पर आकर खेलने को तैयार हो गए। उन्होंने बढ़ती कीमतों पर सरकार को ही आड़े हाथों नहीं लिया, व्यापम मामले में जमानत पर जेल से बाहर आए पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा से रायसेन जिले में उनके निर्वाचन क्षेत्र सिरोंज के गांव कोलुआ पठार में जाकर मुलाकात की। शर्मा की गोशाला में वृक्षारोपण कार्यक्रम के बाद रेस्ट हाउस में गौर ने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि सिरोंज विधानसभा चुनाव लक्ष्मीकांत शर्मा के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। शर्मा के साथ उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री और यौन शोषण के आरोपी राघवजी का नाम भी यह कह कर जोड़ दिया कि वे भी एक विनिंग कैंडिडेट हैं। हालांकि राघवजी ने आउटलुक से कहा कि उनकी इस संबंध में गौर से अभी कोई बात नहीं हुई है।

गौर की तरह ही 75 के फार्मूला के आड़ में मंत्री पद गंवा चुके सरताज सिंह भी सरकार के खिलाफ आग उगल रहे हैं। वे कहते हैं, “गलत जानकारियां देकर इस्तीफा लेना पार्टी की संवैधानिक व्यवस्था का हनन है। जिन लोगों ने इस्तीफा मांगा, वो अपने तौर-तरीकों पर फिर विचार करें।” सरताज सिंह 1999 में होशंगाबाद से पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह को लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं।

इन घटनाक्रमों पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान गेंद मुख्यमंत्री के पाले में डाल देते हैं और दो-टूक कहते हैं, “जिसे शिकायत है, वह राष्ट्रीय नेतृत्व से बात करे।” भाजपा में मुख्यमंत्री के खिलाफ शुरू हुई यह सुगबुगाहट पार्टी में लंबे समय से पल रही बेचैनी का ही इजहार है। ऐसे कई मौके आए, जब कद्दावर नेताओं ने शिवराज और संगठन को आंख दिखाई। शिवराज को सांसद प्रहलाद पटेल कमजोर मुख्यमंत्री करार दे चुके हैं। बहुचर्चित व्यापम घोटाले पर प्रहलाद पटेल ने तो यहां तक कह दिया था कि “सिर्फ फर्जी एडमिशन रद्द कर देना पूरा न्याय नहीं है। उनकी भरपाई कौन करेगा, जिनका हक मारा गया और उनको सजा कब दी जाएगी, जिन्होंने मेडिकल सीट खरीदने वालों से रिश्वत ली।”

प्रहलाद की तरह भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय खुद शिवराज सिंह की मौजूदगी में कह चुके हैं, “सीएम ने मुझे शोले का ठाकुर बना दिया है, दोनों हाथ काट दिए हैं, कुछ काम करने नहीं देते।” कुछ समय पहले जब चौहान ने विजयाराजे सिंधिया पर बयानबाजी की थी तो उन्हीं की कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे ने मुख्यमंत्री को उनकी मां से प्रेरणा लेने की नसीहत दे डाली थी जिसका समर्थन दो अन्य मंत्रियों माया सिंह और अर्चना चिटनीस ने किया था।

लेकिन यह पहला मौका है जब आरएसएस से जुड़े और प्रदेश में भाजपा को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभा चुके ये नेता सत्ता और प्रदेश भाजपा की दुर्गति का एहसास कराने में जुट गए हैं। हालांकि राज्य की राजनीति के जानकारों का कहना है ‌कि शिवराज के खिलाफ भले कई नेता अपना गुस्सा जाहिर कर चुके हैं लेकिन कई नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने अपना दर्द छुपा रखा है।

फिलवक्त समय-समय पर सरकार को पानी पी-पीकर कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे नेताओं की साझा चुनौती शिवराज सिंह चौहान ब्रांड को कई निर्वाचन क्षेत्रों में अप्रभावी कर सकती है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement