Advertisement

अम्मा की मौत की उलझी गुत्थी्

वन मंत्री के माफी मांगने के बाद गरम हुई तमिलनाडु की राजनीति, जयललिता की मौत के हालात की जांच करेंगे हाइकोर्ट के पूर्व जज
साजिश का संदेहः जयललिता के शव के पास खड़ी वी.के. शशिकला आईं शक के घेरे में

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता का निधन पिछले साल पांच दिसंबर को हुआ था। करीब सालभर बाद भी उनकी मौत सवालों के घेरे में है। बीते महीने के अंत में तमिलनाडु के वन मंत्री डी. श्रीनिवासन ने जनता से माफी मांगते हुए कहा कि जयललिता के स्वास्थ्य को लेकर उन लोगों ने झूठ बोला था। उनके बयान ने प्रदेश की राजनीति को फिर से गरम कर दिया है। सत्ताधारी अन्नाद्रमुक के संस्‍थापक, पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एमजी रामचंद्रन के जन्मशताब्दी समारोह के कार्यक्रम के दौरान मदुरै में श्रीनिवासन ने कहा, “हमने यह झूठ बोला था कि उन्होंने (जयललिता) इडली खाई और लोगों से मुलाकात की। सच्चाई यह है कि किसी ने भी उन्हें नहीं देखा था। सरकार और पार्टी के लोग वही कह रहे थे जो शशिकला और उनके परिवार की ओर से कहा गया। उन लोगों ने हमें कभी अम्मा के पास जाने नहीं दिया।”

जयललिता को पिछले साल 22 सितंबर की रात तबीयत बिगड़ने पर चेन्नै के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। श्रीनिवासन के मुताबिक कई वर्षों से जयललिता की करीबी सहयोगी रहीं वी.के. शशिकला की ही उनके पास तक पहुंच थी। चटनी-सांबर के साथ इडली के लिए प्रसिद्ध प्रदेश के लिए एक मंत्री का इस तरह माफी मांगना आसानी से हजम होने वाला नहीं है। लोग मजाक में पूछ रहे हैं कि जयललिता ने इडली नहीं खाई तो किसने खाई।

श्रीनिवासन के बयान से साफ है कि अपोलो में 75 दिन भर्ती रहने के दौरान जयललिता के स्वास्‍थ्य को लेकर लोगों को गुमराह किया गया। अपोलो अस्पताल और अन्नाद्रमुक की ओर से जारी किए गए मेडिकल बुलेटिन झूठ का पुलिंदा थे। पांच दिसंबर को मौत होने तक जयललिता का इसी अस्पताल में इलाज किया गया था। श्रीनिवासन की माफी के चंद दिनों के भीतर ही मुख्यमंत्री ई. पलनीसामी ने जयललिता की मौत की जांच हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. अरुमुगासामी से कराने की घोषणा की। आयोग जयललिता के अस्पताल में दाखिल होने, उपचार और उनकी मौत की परिस्थितियों की जांच करेगा। एक सदस्यीय जांच आयोग की घोषणा ऐसे वक्त में की गई जब मुख्यमंत्री ई. पलनीसामी और पूर्व सीएम ओ. पनीरसेल्वम के गुट के बीच सुलह हो गई है। पनीरसेल्वम ने सुलह के लिए मौत की जांच के लिए आयोग के गठन की शर्त रखी थी।

यह पहला मौका नहीं है जब जयललिता की मौत के पीछे साजिश का संदेह उभरा है। कई लोग जेल में बंद शशिकला की ओर उंगली उठा रहे हैं। श्रीनिवासन के बयान ने एक बार फिर जयललिता के स्वास्‍थ्य में अचानक गिरावट के पीछे शशिकला और उनके परिजनों का हाथ होने की बहस को जिंदा कर दिया है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में शशिकला इस समय बेंगलूरू की जेल में बंद हैं। अन्नाद्रमुक से वे निष्कासित की जा चुकी हैं। उन पर अस्पताल में जयललिता से लोगों को मिलने नहीं देने का आरोप है।

जयललिता की मौत के कारणों पर संदेह से इनकार भी नहीं किया जा सकता। उन्हें जो उपचार दिया गया, वह सवालों के घेरे में है। उनके स्वास्‍थ्य को लेकर जारी किए गए मेडिकल बुलेटिन भी संदेहास्पद पाए गए हैं। पनीरसेल्वम, जो जयललिता के अस्पताल में होने के दौरान कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत रखते थे, ने भी उनकी मौत पर सवाल उठाए थे। जयललिता की मौत और सीएम पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने इस पर संदेह जताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। उस समय ऐसी अफवाहें उड़ी थीं कि पोएस गार्डन स्थित अपने आवास में जयललिता के सिर में चोटें लगी थीं। गैंगरीन संक्रमण के कारण उनका पांव काटना पड़ा था।

इन अफवाहों पर विराम लगाने के लिए प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव ने मार्च में विस्तार से एक बयान जारी किया था। अपने दावों की पुष्टि के लिए उन्होंने अपोलो और दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों की टीम की रिपोर्ट का हवाला दिया था। इसके मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने के वक्‍त जयललिता की हालत नाजुक थी। वे लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार थीं। विश्वस्तरीय उपचार के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था। ऐसे में जांच के दौरान एम्स के डॉक्टरों की रिपोर्ट का हवाला देकर अपोलो चिकित्सकीय लापरवाही के आरोप को खारिज कर सकता है।

जांच आयोग अस्पताल में दाखिल करने से पहले की परिस्थितियों की गहन जांच कर सकता है। आखिर किन कारणों से जयललिता को अपोलो में दाखिल कराना पड़ा। जांच उन लोगों पर भी टिक सकती है जो जयललिता की देखरेख कर रहे थे। इनमें शशिकला और उनके परिजनों के अलावा दो डॉक्टर भी हैं। शशिकला परिवार को इन सवालों के ठोस जवाब के साथ आयोग के सामने पेश होना होगा। अन्नाद्रमुक से निष्कासित टी.टी.वी. दिनकरन के नेतृत्व वाले गुट के अनुसार शशिकला की भूमिका पर सवाल खड़े करना एक अभियान का हिस्सा है। दिनकरन पहले ही दावा कर चुके हैं कि आइसीयू में जयललिता के चलने-फिरने का वीडियो शशिकला के पास है। पहले उन्होंने दावा किया था कि अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज में यह है, लेकिन अपोलो ने इसका खंडन किया था। दिनकरन गुट के नेता और कर्नाटक के प्रभारी वीए पुगाझेंडी ने बताया, “न तो शशिकला और न ही उनके परिवार के लोग कुछ छिपा रहे हैं। चिनम्मा सारे आरोपों को गलत साबित कर देंगी।”

मौत की परिस्थितियों को लेकर तटस्‍थ लोग भी कई सवाल उठा रहे हैं, खासकर एक टीवी चैनल के अपोलो एंबुलेंस टीम की रिपोर्ट जारी करने के बाद। जयललिता के आवास से आपातकालीन कॉल आने के बाद सबसे पहले यही टीम हरकत में आई थी। राजनीतिक पर्यवेक्षक डॉ. सुमंत रमन पूछते हैं, “जयललिता के नियमित काफिले का हिस्सा होने के बावजूद एंबुलेंस उनके घर पर क्यों नहीं थी? घर पर उनका उपचार किया जा रहा था और नर्सें देखभाल कर रही थीं तो बुनियादी लाइफ सपोर्ट सिस्टम जैसे ऑक्सीजन सिलिंडर वहां क्यों नहीं था?”

एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार 22 सितंबर की रात एंबुलेंस टीम ने जयललिता का ऑक्सीजन सेचुरेशन का स्तर महज 48 फीसद पाया था, जो बेहद खतरनाक है। वे अचेत थीं। उनका शुगर सामान्य 140 के मुकाबले 502 था। जयललिता जैसे मधुमेह की पुरानी मरीजों के लिए शुगर का स्तर तीन सौ से थोड़ा ऊपर भी होना खतरे की निशानी है। रिकॉर्ड से पता चलता है कि इंजेक्‍शन की बजाय इंसुलिन की गोली खिलाई गई। अस्पताल में दाखिल कराने से पहले उन्हें सही दवाइयां दी गईं या नहीं, यह आयोग की जांच का शीर्ष बिंदु होगा।

सूत्रों के अनुसार शशिकला के परिवार के बेहद रूखे व्यवहार के कारण पहले जयललिता का उपचार कर चुके विशेषज्ञ इस बार उनसे दूर रहे। परिवार के एक वकील ने बताया, “जो मौजूद थे उनमें ज्यादातर शशिकला के रिश्तेदार थे। घर पर जयललिता की निगरानी एक प्लास्टिक सर्जन कर रहे थे। उपचार कैसे किया जाए, यह भी परिवार के लोग तय कर रहे थे, न कि डॉक्टर। शशिकला मुहूर्त देखकर दवाइयां देती थीं, डॉक्टरों की प्रेसक्रिप्‍शन के समय से नहीं। हममें से ज्यादातर लोग जिन्होंने इस परिवार को करीब से देखा है, यह जानते हैं। पर आयोग के सामने इसका खुलासा कौन करेगा?”

पलनीसामी अन्नाद्रमुक पर पूर्ण नियंत्रण और सरकार बचाने के लिए विधानसभा, अदालत और चुनाव आयोग की मदद ले रहे हैं। जयललिता की मौत का रहस्य उनके लिए शशिकला परिवार को जांच में उलझाए रखने का एक राजनैतिक हथियार साबित हो सकता है। ऐसे में जैसे ही आयोग की जांच की मीडिया कवरेज शुरू होगी, तमिलनाडु फिर अजीबोगरीब राजनैतिक नौटंकी का गवाह बनेगा।

सवाल जिनके चाहिए जवाब

-जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा होने के बावजूद जयललिता के आवास पर एंबुलेंस क्यों नहीं थी? उनके काफिले में हर जगह एंबुलेंस का हाेना जरूरी है।

-शशिकला के परिवार ने संकेत दिए थे कि उनका जरूरी उपचार किया जा रहा है। घर पर नर्सें देखभाल के लिए हैं। ऐसे में ऑक्सीजन सिलिंडर घर पर क्यों नहीं रखा गया था?

-एक सप्ताह से ज्यादा समय से जयललिता मूत्र द्वार में इन्‍फेक्‍शन से पीड़ित थीं। इस कारण उन्हें बुखार और डिहाइड्रेशन हो गया। क्या किसी विशेषज्ञ को इलाज के लिए बुलाया गया था? क्यों नर्सों की निगरानी में उन्हें आइवी फ्लूड दिया गया?

-ब्लड शुगर 500 से ज्यादा होने के बावजूद उन्हें इंसुलिन इंजेक्‍शन क्यों नहीं दिया गया?

-अस्पताल में डॉक्टरों के अलावा कौन लोग थे जिन्होंने जयललिता को करीब से देखा था?

-क्या जब राज्यपाल ने उन्हें देखा वे चेतना में थीं? क्या वास्तव में उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी?

-28 अक्टूबर को पार्टी उम्मीदवार के फॉर्म पर जब उनके अंगूठे का निशान लिया गया तो क्या वे होशो-हवास में थीं?

-क्या अस्पताल से घर आने के लिए वे वास्तव में फिट थीं, जैसा अपोलो के प्रताप सी. रेड्डी ने दावा किया था?

Advertisement
Advertisement
Advertisement