कांग्रेस में जान फूंकने का ‘बनारस एक्सपेरिमेंट’ और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का रोड-शो कांग्रेस के लिए एकजुटता का मौका बन गया। दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व उत्साह और जुनून के साथ चुनकर लोकसभा में भेजने वाले इस प्राचीन शहर के मतदाताओं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों ने इस बार कांग्रेस अध्यक्ष के स्वागत में ऐसा समां बांधा कि लोग कह उठे, ‘अभी जान (कांग्रेस में) बाकी है’। युवा पीढ़ी, ब्राह्मण वर्ग और अल्पसंख्यकों की इस रोड शो में धमाकेदार भागीदारी रही। आठ किलोमीटर के रोड शो में मार्ग में अपार जनसमूह का सैलाब झंडों, बैनरों, पोस्टरों और बिल्लों (बैजेज) की भरमार के बीच सड़कों पर उमड़ पड़ा।
कांग्रेस का झंडा लेकर गगनभेदी नारों, ढोल-नगाड़े के साथ नाचते-झूमते कांग्रेसियों का हुजूम जैसे शीतनिद्रा से उठकर निकला था। कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता और रणनीतिकार एक बार फिर एक्शन मूड में दिखे। सोनिया गांधी की अस्वस्थता के कारण यद्यपि यह रोड शो अधूरा रह गया। वह बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन नहीं कर सकीं, कांग्रेस की सभा को संबोधित करने नहीं पहुंच सकीं, पर उनका यह अधूरा रोड शो भी पूरा प्रभाव छोड़ गया। मूर्च्छित कांग्रेस को संजीवनी मिली है।
अगले वर्ष 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के मद्देनजर अपनी जमीन तराशने और तलाशने में जुटी कांग्रेस ने वाराणसी से मजबूत हुंकार भरी। सोनिया गांधी का काफिला जिन-जिन रास्तों से होकर गुजरा, उन रास्तों पर लोगों का उत्साह देखने लायक था। कार्यकर्ताओं का उत्साह तो अपने चरम बिंदु पर था।
वाराणसी में साढ़े छह घंटे की यात्रा ने इंदिरा गांधी की 36 साल पुरानी कवायद की याद दिला दी। जनता पार्टी के शासन काल में लगभग ढाई साल सत्ता से बाहर रही इंदिरा गांधी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों का दो अगस्त 1980 को मैराथन दौरा किया था और वाराणसी में उनकी अभूतपूर्व रैली ने उस समय कांग्रेस में नया जोश पैदा कर दिया था। उसके बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी।
उसी तर्ज पर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को काशी में उनके ही घर (चुनाव क्षेत्र) में मजबूती से घेरने के लिए निकलीं सोनिया गांधी। वाराणसी के बाबतपुर हवाई अड्डे से लेकर लहुराबीर तक लगभग साढ़े छह किलोमीटर की यात्रा में हजारों नागरिकों और कांग्रेसियों ने जगह-जगह सोनिया गांधी का स्वागत किया। अनेक स्थानों पर सुरक्षा घेरा तोड़ कर सोनिया ने अपनी कार का दरवाजा खोलकर फुट स्टेप पर खड़े होकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। हाथ हिलाकर स्वागत के प्रति आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने संकेतों में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए एकजुट होने का संकेत दिया। मुस्लिम-बहुल इलाकों में सोनिया के स्वागत में भीड़ उमड़ पड़ी। पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक दर्जन जिलों से कार्यकर्ता सोनिया गांधी के रोड शो में शामिल होने बनारस पहुंचे थे। कांग्रेस ने इस रोड शो और जनजागरण रैली के लिए नारा दिया था- ‘27 साल यू.पी. बेहाल’। कांग्रेस ने भाजपा के गढ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश और खासकर वाराणसी में सोनिया गांधी के रोड शो के माध्यम से यह अहसास करा दिया कि अभी वाराणसी में या पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के मुकाबले केवल शून्य नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिग्गज पं. कमलापति त्रिपाठी के पौत्र पं. राजेशपति त्रिपाठी ने कहा कि वाराणसी में सोनिया जी का रोड शो संदेश पूरे देश और पूरे प्रदेश में गूंजेगा, जिससे हमें नई ऊर्जा मिलेगी। रोड शो में उमड़ी भीड़ कांग्रेस के नेताओं में नई आशाओं का संचार करने का कारण बनी। युवा ही नहीं, बड़े-बुजुर्ग सभी सडक़ पर निकल आए थे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर, मुख्यमंत्री की घोषित पार्टी प्रत्याशी शीला दीक्षित, विधायक अजय राय, प्रशांत किशोर, राजेशपति त्रिपाठी, पूर्व सांसद अनु टंडन, रीता बहुगुणा जोशी, श्रीप्रकाश जायसवाल, प्रमोद तिवारी, पूर्व मंत्री संजय सिंह, पूर्व सांसद राजेश मिश्र, गुलाब नबी आजाद सहित सैकड़ों कांग्रेसी वाद-विवाद भूलकर रैली में शामिल हुए। ढोल-नगाड़े की थाप पर नाचते झूमते लोगों के साथ डॉ. भीमराव अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा को पूरी शिद्दत से नमन करते हुए दलित वोट बैंकों को साधने की कोशिश की। ब्राह्मणों के वोट बैंक साधने के लिए सोनिया गांधी की सभा और संबोधन का कार्यक्रम कैंट स्टेशन के प्रमुख चौराहे पर स्थापित पं. कमलापति त्रिपाठी की प्रतिमा के नीचे रखा गया था।
लहुराबीर चौराहे पर पहुंचने पर सोनिया गांधी की तबीयत खराब हो गई। इस बात की सूचना मिलते ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोनिया गांधी के इलाज के लिए उनके पास डॉक्टरों की टीम और चिकित्सा उपकरण के साथ पहुंचने का निर्देश वाराणसी के कमिश्नर नीतिन रमेश गोकर्ण को दिया। जिलाधिकारी विजय किरण आनंद और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी मुख्यमंत्री ने भेजा। सोशल मीडिया ने भी कांग्रेस के रोड शो को पूरा महत्व दिया। ‘सोनिया इन काशी’ हैंडल ट्वीटर के टॉप टेन में बरकरार रहा। राहुल गांधी ने ट्विट किया, ‘सोनिया जी आज वाराणसी में हैं। वही वाराणसी, जो मोदी के खोखले वादों और जमीनी हकीकत के बीच के फासलों का उदाहरण भी बन गई है।’ ‘दिल्ली सवारी है अब उत्तर प्रदेश की बारी है’- टैग लाइन के साथ शीला दीक्षित का ट्विटर एकाउंट भी सक्रिय रहा। सोनिया गांधी का बाबा विश्वनाथ के दर्शन का भी कार्यक्रम था पर वह ना पहुंच सकीं। इसकी टीस उन्होंने बार-बार व्यक्त की। वाराणसी से दिल्ली जाते समय बार-बार कहा, ‘बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए फिर आऊंगी और जरूर आऊंगी।’
‘यूं ही आयरन लेडी नहीं थीं इंदिरा गांधी’
भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को यूं ही ‘आयरन लेडी’ नहीं कहा गया था। अनेक संकटों में देश के अग्रणी नेता के रूप में उन्होंने चुनौतियां स्वीकार कीं और उन पर विजय हासिल की।
वाराणसी में सोनिया गांधी का रोड शो स्व. इंदिरा गांधी के दो अगस्त, 1980 के रोड शो और धुआंधार प्रचार की याद में आयोजित किया गया था। 1980 के लोकसभा चुनाव के दौरान इंदिरा का दौरा चल रहा था। सन् 1977 की करारी हार के बाद कांग्रेस शीत निद्रा में थी। इंदिरा पूरे देश के धुआंधार दौरे कर रही थीं। उन्हें वाराणसी में बेनियाबाग के मैदान में विशाल जनसभा को रात 8:00 बजे संबोधित करना था। पूरा मैदान खचाखच भरा था। इंदिरा जी के इंतजार की अवधि बढ़ती जा रही थी। श्रीकृष्ण तिवारी (अब स्वर्गीय) और कई अन्य कवि, कमलापति के पुत्र लोकपति त्रिपाठी और चंद्रा त्रिपाठी ने मोर्चा संभाल रखा था। समस्या थी कि लोग किसी तरह जमे रहें। उनींदे लोग इंदिरा गांधी का इंतजार करते रहे। पूर्वी उत्तर प्रदेश की विभिन्न सभाओं को संबोधित करती हुई इंदिरा गांधी देर रात 10:00 बजे के आसपास बेनियाबाग पहुंची। हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया। बाबू यानी पं. कमलपति त्रिपाठी, कल्पनाथ राय, श्याम लाल यादव जैसे दिग्गज नेता साथ थे। पुराने लोग बताते हैं कि इंदिरा जी का चेहरा प्रफुल्लित था, खिला-खिला था। न कोई थकावट, न कोई चिंता। उन्होंने कोई डेढ़ घंटा भाषण किया।